बर्ड वाचिंग के क्षेत्र में कोटद्वार के आगे बढ़ रहे कदम
कोटद्वार क्षेत्र को बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए पिछले सात वर्षों से प्रयासरत राजीव बिष्ट के प्रयास रंग लाते नजर आने लगे हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में बर्ड वाचिंग की अपार संभावनाएं हैं, बावजूद इसके सरकारी सिस्टम ने कभी इस ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई। विकास के नाम पर योजनाएं तो तमाम बनी, लेकिन किसी भी योजना में बर्ड वाचिंग को शामिल नहीं किया गया। ऐसे में कोटद्वार क्षेत्र को बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए पिछले सात वर्षों से प्रयासरत राजीव बिष्ट के प्रयास रंग लाते नजर आने लगे हैं।
दरअसल, राष्ट्रीय स्तर पर 16 सितंबर से शुरू हुए पर्व के दौरान कोटद्वार क्षेत्र के अंतर्गत दुगड्डा में सरकारी स्तर से दो-दिवसीय बर्ड वाचिंग कैंप का आयोजन किया जा रहा है।
कुछ वर्ष पूर्व तक देश-विदेश में लैंसडौन वन प्रभाग की पहचान महज कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के मध्य अवस्थित एक कॉरीडोर के रूप में थी, लेकिन अब स्थितियां पूरी तरह बदल रही हैं।
क्षेत्र में पर्यटक तो पहुंच रहा है, लेकिन उसका उद्देश्य हाथी देखना नहीं, बल्कि प्रभाग के जंगलों में मौजूद चिड़ियों के संसार को करीब से जानना है। कोटद्वार क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम काशीरामपुर तल्ला निवासी राजीव बिष्ट के पिछले सात वर्षों की मेहनत का परिणाम है कि आज कोटद्वार क्षेत्र की बर्ड वाचिंग के मामले में अलग पहचान बनी है और अब सरकारी सिस्टम को भी यह समझ आने लगा है कि वास्तव में कोटद्वार क्षेत्र में बर्ड वाचिंग को व्यवसाय से जोड़ा जा सकता है।
इसी कड़ी में कोटद्वार क्षेत्र में पहली बार सरकारी स्तर से दो-दिवसीय बर्ड वाचिंग कैंप का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें जिले के आला अधिकारियों के साथ ही पक्षी प्रेमी शामिल होने जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 16 सितंबर से शुरू हुए पर्व के तहत कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में 20 व 21 सितंबर को बर्ड वाचिंग कैंप का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 25 लोग शामिल होंगे।
वन महकमे की ओर से आयोजित होने वाला यह दो-दिवसीय शिविर कोटद्वार क्षेत्र के लिए इस कारण अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि पहली बार सरकारी सिस्टम को कोटद्वार में बर्ड वाचिंग के रूप में नजर आया है।
पक्षियों का मौजूद है संसार
कोटद्वार व आसपास के क्षेत्र में वर्ष भर पक्षियों का संसार मौजूद रहता है। प्रभाग में पक्षियों की साढ़े तीन सौ से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं, जिनमें रूफस वुडपेकर, ग्रेटर यलो नैप, लेसर यलो नैप, लिनिएटेड बारबेट, ब्लू थ्रोटेड बारबेट, मरून ओरियल, क्रिस्टेड किंगफिशर, स्ट्राकबिल्ड किंगफिशर, पाइड किंगफिशर, क्रिमशन सनबर्ड सहित कई अन्य शामिल हैं।
दुर्लभ श्रेणी की प्रजाति
बर्ड वाचिंग प्रेमी राजीव बिष्ट के मुताबिक प्रभाग के जंगलों में इन दिनों पक्षियों की कई ऐसी प्रजातियां मौजूद हैं, जो दुर्लभ श्रेणी में शामिल हैं। यदि प्रभाग में मौजूद पक्षियों के इस अनमोल खजाने से देश-दुनिया को अवगत कराया जाए तो क्षेत्र में‘बर्ड वाचिंग’का बेहतर माध्यम बन सकता है।
पक्षियों का बड़ा संसार
लैंसडौन प्रभाग के वनाधिकारी वैभव कुमार के अनुसार प्रभाग में वास्तव में पक्षियों का बड़ा संसार मौजूद है। प्रयास है कि यह संसार पर्यटकों की नजर में आए और क्षेत्र की इसका लाभ हो।
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