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देवी का मुख पूरब की ओर, फिर भी मंदिर का नाम दक्षिण काली

सिद्धपीठ मां दक्षिण काली मंदिर में पीठ की माई का मुख दक्षिण की ओर नहीं है बल्कि पूरब की ओर है, लेकिन गंगा यहां दक्षिण की तरफ बहती है। इससे ही मंदिर का नाम पड़ा।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 09:51 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 09:02 PM (IST)
देवी का मुख पूरब की ओर, फिर भी मंदिर का नाम दक्षिण काली
देवी का मुख पूरब की ओर, फिर भी मंदिर का नाम दक्षिण काली

देहरादून, [जेएनएन]: हरिद्वार जिले में दस महाविद्याओं की सिद्धपीठ मां दक्षिण काली मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। इस पीठ की माई का मुख दक्षिण की ओर नहीं है बल्कि पूरब की ओर है, लेकिन गंगा यहां दक्षिण की तरफ बहती है। इसलिए इस पीठ को दक्षिण काली पीठ के नाम से जाना जाता है। 

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भारत में ऐसी तीन जगह हैं, जहां गंगा उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है, लेकिन देवी का मुंह दक्षिण की तरफ है। यह तीनों दक्षिण के नाम से ही प्रसिद्ध है। माई को शनिवार का दिन बहुत प्रिय है। माई को नारियल, गुलाब पुष्प, काला जामुन, मीठा पान पसंद है। 

धार्मिक महत्व

इस पीठ की स्थापना विक्रम संवत 351 में हुई। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती है। नवरात्रों में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। माई को रात्रि पूजन बहुत पसंद है। शनिवार को माई स्वेच्छा से खिचड़ी खाती हैं। इस पीठ की स्थापना कामराज गुरु ने की। भारत की रक्षा के लिए 1962 में चीन के सीजफायर को रोकने के लिए एक अनुष्ठान हुआ। तब राष्ट्रीय स्वामी दतिया जी तीन दिन इस पीठ पर रहे। 

ऐसे पहुंचे मंदिर

श्री दक्षिण काली मंदिर हरिद्वार- नजीबाबाद हाईवे से चीला जाने वाले मार्ग पर स्थित है। रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से ऑटो या टैक्सी से यहां पहुंचा जा सकता है। निजी वाहनों से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

नवरात्र में देवी के नौ रूपों की होती है पूजा 

दक्षिण काली पीठाधीश्वर और महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी के अनुसार आदि शक्ति की आराधना से सृष्टि को संबल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में शक्ति के सभी नौ स्वरूपों की आराधना व्यक्ति की अंतर्शक्ति को ऊद्गामी बना देती है। 

सनातन धर्म पर्व और संस्कारों का सर्वोत्कृष्ट गुलदस्ता है। जिसमें मानव जीवन की उपयोगिता और सार्थकता को प्रत्यक्ष रुप में दर्शाया गया है। नवरात्रों में नौ के नौ दिन व्यक्ति को मां भगवती के सभी नौ स्वरूपों की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए।

सच्चे मन से की गई अर्चना से बदल जाता है जीवन 

मंदिर के मुख्य पुजारी विवेक कुमार पांडेय के अनुसार सच्चे मन से की गई मां की पूजा-अर्चना और मां की शक्ति ही मनुष्य का जीवन बदल सकती है। संसार में वही व्यक्ति सफलता की ओर बढ़ता है जो मां भगवती की आराधना सच्चे मन से करते हैं। शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा, मां चंडी, मां काली, मां वैष्णव, मां चामुंडा, मां मंसा देवी के स्वरूपों की जो व्यक्ति पूजा करते हैं। उनके परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है।

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