सिडकुल की परियोजना में 3.27 एकड़ ग्रीन बेल्ट बेची, ऐसे हुआ खेल
पंतनगर में आवासीय परियोजना मेट्रोपोलिस सिटी में बड़ा खेल सामने आया है। अब तक निर्माणाधीन परियोजना में 3.7 एकड़ की ग्रीन बेल्ट को नियमों के विपरीत बेच ...और पढ़ें

देहरादून, जेएनएन। पंतनगर में सिडकुल के भूखंडों पर वर्ष 2006 से विकसित की जा रही आवासीय परियोजना 'मेट्रोपोलिस सिटी' में बड़ा खेल सामने आया है। अब तक निर्माणाधीन परियोजना में 3.7 एकड़ की ग्रीन बेल्ट को नियमों के विपरीत बेच दिया गया है। साथ ही ग्रीन बेल्ट की और 3.10 भूमि को बेचने की तैयारी चल रही है।
रेरा ने इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। रेरा सदस्य सीएमएस बिष्ट ने स्टेट इंडस्ट्रियल डेवपलमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लि. (सिडकुल) व स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवपलमेंट कॉर्पोरेशन (सीडा) को आदेश दिए हैं कि वह उप निबंधक कार्यालय के माध्यम से ग्रीन बेल्ट वाली भूमि के हस्तांतरण व सेल डीड को न होने दें। इस परियोजना का निर्माण ऐसोटेक सुपरटैक कंपनी के माध्यम से किया जा रहा है।
सिडकुल व निर्माण कंपनी के खिलाफ ग्रीन बेल्ट बेचे जाने की शिकायत रेरा में मेट्रोपोलिस रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से दायर की गई। इसमें कहा गया कि वर्ष 2006 में सीडा ने जब परियोजना का मानचित्र पास किया तो उस समय ग्रीन बेल्ट का क्षेत्रफल 48 हजार 57 वर्गमीटर (11.87 एकड़) था।
इस मानचित्र की समय अवधि दो नवंबर 2009 को समाप्त हो गई। निर्माण कार्य पूरा न होने पर समय-समय पर कंपनी मानचित्र में संशोधन कर उसे पास कराती रही। मानचित्र की अंतिम स्वीकृति भी सात अगस्त 2015 को समाप्त हो चुकी है और इस स्वीकृति के मानचित्र में ग्रीन बेल्ट 34 हजार 841.653 वर्गमीटर (8.60 एकड़) दिखाई गई है। इसके बाद भी 12 हजार 555.169 वर्गमीटर क्षेत्रफल की ग्रीन बेल्ट को बेचने की तैयारी चल रही है।
रेरा सदस्य सीएमएस बिष्ट ने सुनवाई में तमाम साक्ष्यों पर गौर करने के बाद पाया कि जो मानचित्र पूर्व में स्वीकृत किया गया था, अब ग्रीन बेल्ट की स्थिति वह नहीं है। अंतिम स्वीकृत मानचित्र को आधार बनाकर रेरा ने ग्रीन बेल्ट के 12 हजार 555 वर्गमीटर क्षेत्रफल की बिक्री बंद करने को कहा। क्योंकि इस बदलाव में बहुसंख्य में सदस्यों की भी स्वीकृति नहीं ली गई थी। आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने को इसकी प्रति जिलाधिकारी ऊधमसिंहनगर को भी भेजी गई है।
मेंटिनेंस चार्ज भी गलत तरीके से बढ़ाया
रेरा ने सुनवाई में यह भी पाया कि निर्माण कंपनी ने पूर्व से चले आ रहे प्रति वर्गफीट एक रुपये मेंटिनेंस चार्ज को बढ़ाकर 1.50 रुपये कर दिया है। रेरा ने इस शुल्क को ब्याज सहित वापस करने या आगामी चार्ज में समायोजित करने के भी आदेश दिए।
रेरा में कराना होगा पंजीकरण
रेरा सदस्य बिष्ट ने कहा कि भले ही परियोजना में कई फ्लैट बन चुके हैं और उनमें लोग रह रहे हैं, मगर परियोजना अभी निर्माणाधीन है, लिहाजा इसका पंजीकरण रेरा में जल्द से जल्द कराना सुनिश्चित किया जाए।
क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड ने सील की अवैध प्लाटिंग
क्लेमेनटाउन कैंट क्षेत्र में दरबार साहिब प्रशासन द्वारा कथिथ रूप से बेची की गई करीब सात बीघा जमीन को कैंट बोर्ड ने सील कर दिया है। कैंट बोर्ड का कहना है कि इस जमीन पर अवैध रूप से प्लाटिंग की जा रही थी। आगामी बोर्ड बैठक में तय किया जाएगा कि सील की गई प्रॉपर्टी पर आगे क्या कार्रवाई होनी है।
बताया गया कि दरबार साहिब की क्लेमेनटाउन छावनी क्षेत्र में जमीन है। इसमें से करीब सात बीघा जमीन कुछ साल पहले बेच दी गई। इसके बाद यहां 22 लोगों ने प्लाटिंग शुरू कर दी थी। इधर, अवैध प्लाटिंग की शिकायत किसी ने कैंट बोर्ड से कर दी।
शिकायत के आधार पर कैंट बोर्ड की टीम ने जांच-पड़ताल शुरू की तो आरोप सही पाया गया। इसके बाद कैंट बोर्ड की टीम ने अवैध प्लाटिंग को सील कर दिया। इस मुद्दे को हाल में बोर्ड बैठक में भी शामिल किया गया था। ताकि सदन में सर्वसम्मति से कोई निर्णय लिया जा सके।
बैठक में मात्र 23 बिंदुओं पर चर्चा हो पाई थी, ऐसे में यह मामला फिलहाल अधर में लटका हुआ है। कैंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी मोहम्मद समीर इस्लाम का कहना है कि आगामी बोर्ड में इस मामले को रखा जाएगा।
इधर, दरबार साहिब के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी का कहना है कि दरबार साहिब की जमीनों को कुछ समय से गैरकानूनी ढंग से बेचने की कोशिश हुई है। ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि दरबार साहिब द्वारा कैंट क्षेत्र में किसी भी जमीन को विक्रय नहीं किया गया है। यदि ऐसा है तो यहां खरीद फरोख्त का फर्जीवाड़ा हो सकता है। धोखाधड़ी के तहत किसी ने प्रबंधन की जमीन बेच दी है।
फर्जी पॉवर ऑफ अटार्नी बना बेची दूसरे की जमीन
थाना प्रेमनगर में फर्जी पॉवर ऑफ अटार्नी बनाकर दूसरे की जमीन बेचने का मामला प्रकाश में आया है। शिकायत के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
एसओ प्रेमनगर दिलबर सिंह नेगी ने बताया कि सुनील कुमार नंदा निवासी दिल्ली ने थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। पीड़ित ने बताया कि उनकेताऊ आरके नंदा की नंदा की चौकी प्रेमनगर में करीब डेढ़ बीघा भूमि है। उनका निधन वर्ष 2014 में हो चुका है। कुछ समय पूर्व जब वह उक्त स्थान पर पहुंचे तो पता चला कि वहां किसी पुंडीर ने जमीन के एक भाग पर कब्जा कर लिया।
पूछने पर कब्जा करने वाले व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने यह जमीन सच्चिदानंद तिवारी से खरीदी है। थाना प्रभारी ने बताया कि भूमि विक्रय संबंधी दस्तावेज रजिस्ट्रार कार्यालय से हासिल किए गए। दस्तावेजों के हिसाब से सच्चिदानंद तिवारी ने जो बैनामा रामेश्वरी पुंडीर को किया है, उस बैनामा में उनके द्वारा मुख्तारनामा का प्रयोग किया गया है।
मुख्तारनामा के संबंध में रजिस्ट्रार कार्यालय से दस्तावेज तलब किए गए तो रजिस्ट्रार कार्यालय में उक्त मुख्तारनामा रजिस्टर्ड नहीं होना पाया गया। प्रथम दृष्टया पाया गया कि सच्चिदानंद तिवारी ने भूमि का फर्जी मुख्तारनामा बनाकर रामेश्वरी पुंडीर को बेची है। बताया कि प्रारंभिक जांच के बाद सच्चिदानंद तिवारी व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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