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    ‘अंधेरे’ में दम तोड़ने लगा सूरज से स्वरोजगार का सपना, आवेदन सीमा पूरी; लक्ष्य से अभी मीलों दूरी

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 01:40 PM (IST)

    उत्तराखंड में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की रफ्तार बेहद सुस्त है। सरकार 250 मेगावाट का लक्ष्य लेकर चली थी पर दो साल में सिर्फ 60 मेगावाट ही स्थापित हो पाए हैं। नए आवेदन बंद हैं और पुराने लंबित हैं। उरेड़ा अब निष्क्रिय आवंटियों पर सख्ती करेगा। पीएम सूर्य घर योजना में राज्य सब्सिडी खत्म होने से भ्रम की स्थिति है।

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    मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की धरातलीय प्रगति पर उठ रहे सवाल। प्रतीकात्‍मक

    विजय जोशी, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार का अवसर देने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना कागजों पर तो पूरी हो चुकी है, लेकिन जमीन पर इसकी रफ्तार बेहद सुस्त है।

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    सरकार ने तीन साल में 250 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन दो साल गुजरने के बाद भी मुश्किल से 60 मेगावाट ही स्थापित हो पाए हैं। नए आवेदनों पर रोक है और पुराने धरातल पर उतर नहीं रहे। ऐसे में अब उरेड़ा ने प्लांट न लगाने वालों पर सख्ती का निर्णय लिया है।

    योजना का 250 मेगावाट का आवेदन कोटा कई महीने पहले ही पूरा हो गया था। ऊर्जा निगम की फिजिबिलिटी रिपोर्ट के बाद कई आवेदकों को उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा अभिकरण (उरेड़ा) से स्वीकृति भी मिल गई, लेकिन ज्यादातर आवंटी प्लांट स्थापित करने में सुस्त पड़ गए। नतीजा न तो पुराने आवंटन रद किए गए, न नए इच्छुक लाभार्थियों को मौका मिला।

    प्रदेश में योजना के तहत नए आवेदन पर रोक है, लेकिन बड़ी संख्या में फाइलें महीनों से लंबित हैं। कई विकासकर्ताओं ने प्लांट स्थापित कर भी दिए हैं, पर उन्हें अब तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली। वहीं, 143 भूमि परिवर्तन के नाम पर अनुचित मांगों के आरोप भी सामने आए हैं, जबकि राज्य की सौर नीति में इसकी कोई अनिवार्यता नहीं है।

    मुख्यालय की सख्ती, जमीन पर असर नहीं

    उरेड़ा मुख्यालय ने अब सख्त निर्देश दिए हैं कि जो आवंटी संयंत्र स्थापना में गंभीर नहीं हैं, उनके आवंटन जनपद स्तरीय समिति की मंजूरी से तुरंत निरस्त किए जाएं और यह क्षमता नए इच्छुक लाभार्थियों को दी जाए।

    रिपोर्टों में सामने आया है कि ऊर्जा निगम के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) बेहद कम हुए हैं, सीएएफ आवेदन और कमीशनिंग की गति भी बेहद धीमी है। कई जिलों से संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट तक समय पर नहीं भेजी जा रही, जबकि मुख्यालय ने इन्हें ईमेल से नियमित भेजना अनिवार्य कर दिया है।

    उरेड़ा का दावा, निरस्त होंगे आवेदन

    उरेड़ा के डिप्टी मुख्य परियोजना अधिकारी अखिलेश शर्मा ने बताया कि 60 मेगावाट से अधिक क्षमता के संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। योजना की समय सीमा 31 मार्च 2026 तक है और उम्मीद है कि लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। फिलहाल नए आवेदन बंद हैं और पुराने आवेदनों की समीक्षा चल रही है। जो आवंटी गंभीर नहीं पाए जाएंगे, उनके आवंटन निरस्त कर दिए जाएंगे और लंबित आवेदनों को स्वीकृति दी जाएगी।

    पीएम सूर्य घर योजना में भी भ्रम की स्थिति

    राज्य में पीएम सूर्य घर योजना के तहत घरों की छतों पर सोलर प्लांट लगाने के आवेदन बड़ी संख्या में आए और कई स्थापित भी हुए हैं। लेकिन अब राज्य सरकार ने अपनी सब्सिडी समाप्त कर दी है। अब केवल केंद्र सरकार की सब्सिडी दी जा रही है।

    उरेड़ा ने स्पष्ट किया है कि 31 मार्च 2025 तक स्थापित प्लांट पर ही राज्य सब्सिडी मिलेगी, उसके बाद केवल केंद्र की ओर से लाभ मिलेगा। बावजूद इसके, सब्सिडी को लेकर आवेदकों में भारी गफलत बनी हुई है।