उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में पहली मर्तबा गिने जाएंगे हिम तेंदुए
सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत हिम तेंदुओं की गणना का खाका तैयार कर लिया गया है। अगले वर्ष मार्च से आइटीबीपी एसएसबी के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों की मदद से इसकी गणना शुरू होगी।
देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुओं की वास्तविक संख्या कितनी है, अब इस रहस्य से जल्द ही पर्दा उठ जाएगा। सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत हिम तेंदुओं की गणना का खाका तैयार कर लिया गया है। अगले वर्ष मार्च से गणना शुरू होगी और इस कार्य में आइटीबीपी, एसएसबी के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों की मदद ली जाएगी। यह पहला मौका है, जब राज्य में हिम तेंदुओं की गिनती होगी। कार्ययोजना के अनुसार दो साल के भीतर गणना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
दुर्लभ हिम तेंदुओं की मौजूदगी हमेशा से उत्सुकता का विषय रही है। पूर्व में हुए सर्वेक्षणों में इस बात की पुष्टि हुई है कि उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की ठीकठाक संख्या है। समय-समय पर गंगोत्री नेशनल पार्क, नंदादेवी बायोस्फीयर, अस्कोट अभयारण्य समेत अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्रों में वन विभाग के कैमरा ट्रैप में कैद हिम तेंदुओं की तस्वीरें इसकी तस्दीक करती हैं। बावजूद इसके अभी तक यह रहस्य ही बना हुआ है कि यहां वास्तव में हिम तेंदुए कितने हैं।
अब गंगोत्री नेशनल पार्क व गोविंद वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक के क्षेत्र में चल रही सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत पहली बार हिम तेंदुओं की गणना होगी। परियोजना के नोडल अधिकारी मुख्य वन संरक्षक आरके मिश्र ने बताया कि हिम तेंदुओं की गणना का कार्यक्रम निर्धारित कर दिया गया है।
हिम तेंदुओं की गणना कैमरा ट्रैप के अलावा प्रत्यक्ष रूप से देखकर, फुटमार्क, मल के नमूनों के आधार पर होगी। सर्दी खत्म होते ही गणना की कवायद शुरू कर दी जाएगी। गणना के नतीजों के आधार पर हिम तेंदुओं के संरक्षण को कदम उठाए जाएंगे।
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39 किमी में एक हिम तेंदुए की मौजूदगी
समुद्र तल से तीन से साढ़े चार हजार मीटर की ऊंचाई पर 39 किलोमीटर क्षेत्र में एक हिम तेंदुए की मौजूदगी का अनुमान है। दुर्लभ प्रजाति होने के कारण इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) ने हिम तेंदुए को संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल किया है।
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