जानें- स्नेह राणा से जुड़ी कुछ खास बातें, मैदान में उनका पेड़ के पीछे छिपना और तेज गेंदबाजी से स्पिन तक का सफर
ब्रिस्टल में अपनी फिरकी में इंग्लैंड के बल्लेबाजों को नचाने के बाद पिच पर खूंटा डालकर बल्लेबाजी करने वाली स्नेह राणा बचपन से ही आलराउंडर की भूमिका में रही हैं। स्नेह के कोच और बहन कहते हैं कि आलराउंडर की खूबी तो स्नेह में बचपन से ही थी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। ब्रिस्टल में अपनी फिरकी में इंग्लैंड के बल्लेबाजों को नचाने के बाद पिच पर खूंटा डालकर बल्लेबाजी करने वाली स्नेह राणा बचपन से ही आलराउंडर की भूमिका में रही हैं। स्नेह के कोच और बहन कहते हैं कि 'आलराउंडर की खूबी तो स्नेह में बचपन से ही थी। स्नेह पढ़ाई और खेल दोनों में ही अव्वल रही हैं। स्नेह क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस हो या फिर पेंटिंग और ट्रैकिंग, हर क्षेत्र में वह अव्वल रही हैं।' तो चलिए जानते हैं उनकी तेज गेंदबाजी से स्पिन तक का सफर और एकबार खेल के मैदान में क्यों छिप गई थी वो पेड़ के पीछे।
बहन रुचि राणा व कोच नरेंद्र शाह कहते हैं कि स्नेह ने कभी मेहनत से जी नहीं चुराया, शायद यही कारण भी है कि पांच साल क्रिकेट से दूर रहने के बाद उसने इतनी जबरदस्त वापसी की। देहरादून के सिनौला गांव (मालसी) में किसान परिवार में जन्मीं स्नेह ने महज चार साल की उम्र में ही क्रिकेट से दोस्ती कर ली। बचपन में गांव के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने से शुरू हुआ यह शौक आज उसका जुनून बन गया है।
शायद पिता भगवान सिंह राणा ने उसकी प्रतिभा को बचपन में ही पहचान लिया और उन्हें नौ साल की उम्र में देहरादून की लिटिल मास्टर क्रिकेट क्लब में प्रवेश दिला दिया। यहां से कोच नरेंद्र शाह के निर्देशन में स्नेह के प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने की शुरुआत हुई। कोच नरेंद्र शाह बताते हैं कि स्नेह जितना खेल में ध्यान लगाती थी, उतना ही वह पढ़ाई में भी ध्यान देती थी।
तेज गेंदबाज से स्पिन तक का सफर
कोच नरेंद्र शाह बताते हैं कि जब वह पहली बार स्नेह का खेल देखने गए थे तो वह डरकर पेड़ के पीछे छिप गई थी। काफी समझाने के बाद वह खेलने के लिए तैयार हुई। उन्होंने बताया कि लिटिल मास्टर क्लब में आने के बाद स्नेह तेज गेंदबाजी करने लगी थी। उसकी गेंद अंदर की तरफ आती थी, यह देखकर मैने उसे स्पिन गेंदबाजी करने की सलाह दी। स्नेह ने भी सलाह मानी और इस क्षेत्र में मेहनत की। इसके बाद से वह आफ स्पिन गेंदबाजी करने लगी। स्नेह बचपन से ही काफी मेहनती थी।
पिता को याद कर भावुक हो गई थीं स्नेह
बहन रुचि राणा ने बताया कि टीम में चयन होने से करीब दो माह पहले पिता भगवान सिंह राणा का निधन हो गया था। पिता के निधन ने स्नेह को अंदर से पूरी तरह तोड़ दिया। जब 2016 में खेल के दौरान स्नेह के घुटने में चोट लगी थी और वह लंबे समय से क्रिकेट से दूरी हो गई थी। इस दौरान पिता ने उसे प्रोत्साहित किया। पापा चाहते थे कि स्नेह टीम में दोबारा से वापसी करे। यही कारण था कि जब स्नेह का चयन इंग्लैंड दौरे में जाने वाली भारतीय टीम में हुआ तो उस दौरान पापा उसके साथ नहीं थे। स्नेह पापा की याद में भावुक हो गई। हालांकि उसे पापा का यह सपना सच होने की खुशी थी।
टूर्नामेंट के दौरान किताबें साथ लाती थीं स्नेह
कोच नरेंद्र शाह ने बताया कि स्नेह जब भी टूर्नामेंट खेलने बाहर जाती थी तो क्रिकेट किट के साथ किताबें भी होती थी। मैच और अभ्यास के बाद वह खाली समय में अपनी पढ़ाई करती थी। इस दौरान वह अपने दोस्तों को भी पढ़ाती थी। उसने कक्षा दस में 89 फीसद अंक हासिल किए थे।
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