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    उत्तराखंड के इस शहर में 11 प्रजातियों के सांपों का आतंक, नाग के काटने से सबसे ज्यादा मौत

    Snakes in Uttarakhand उत्तराखंड के इस शहर में सांपों की 11 प्रजातियां सक्रिय हैं जिनमें से नाग के काटने से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। पिछले एक साल में 192 कोबरा सांपों को रेस्क्यू किया गया है। इसके अलावा अन्य विषैले सांपों को मिलाकर पूरे साल में 415 सांपों और 36 अन्य वन्य जीवों को रेस्क्यू किया गया है।

    By rajesh panwar Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 27 Mar 2025 06:16 PM (IST)
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    Snakes in Uttarakhand: पछवादून में 11 प्रजातियों के सांपों की मौजूदगी. File Photo

    जागरण संवाददाता, विकासनगर। Snakes in Uttarakhand: पछवादून में इंडियन स्पेक्टिकल कोबरा सांप की सबसे ज्यादा सक्रियता है। पिछले एक साल के आंकड़ें देखें तो पूरे साल में 192 कोबरा सांप रेस्क्यू किए गए हैं। इसके अलावा अन्य विषैले सांपों को मिलाकर पूरे साल में 415 सांपों व 36 अन्य वन्य जीव रेस्क्यू किए जा चुके हैं।

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    यह भी उल्लेखनीय है कि पछवादून में 11 प्रजातियों के सांपों की मौजूदगी है, जिससे यह भी स्पष्ट होता है कि पछवादून के जंगल सांपों के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं। पिछले साल सबसे ज्यादा सांप गर्मी व वर्षा काल में रेस्क्यू किए गए हैं। गर्मी शुरू होते ही विषधरों के निकलने का क्रम शुरू हो जाता है।

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    सबसे अधिक लोग नाग के काटने से मरते हैं

    कालसी वन प्रभाग की चौहड़पुर रेंज के सर्प मित्र आदिल मिर्जा बताते हैं कि इंडियन स्पेक्टिकल कोबरा यानि नाग भारतीय उपमहाद्वीप का जहरीला सांप है। लेकिन इसका विष करैत सांप जितना घातक नहीं है और यह रसल वाइपर जैसा आक्रामक नहीं है, उसके बाद भी भारत में सबसे अधिक लोग नाग के काटने से मरते हैं, क्योंकि यह सभी जगह बहुतायत में पाया जाता है।

    कामन करैत सांप रात में निकलता है और काफी विषैला होता है। जबकि रसल वाइपर सांप अत्यंत जहरीला सांप है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। अपने उभरे रंग के कारण इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। यह स्वाभाविक रूप से वन्यजीवी है और कृषि क्षेत्रों में पाया जाता है। जबकि इंडियन रेट स्नेक को किसान मित्र के रूप में भी जाना जाता है।

    कॉमन त्रिंकेट सांप को मराठी भाषा में तस्कर सांप के नाम से भी जाना जाता है और यह बिना जहर वाला सांप है, जो मिट्टी के घरों में रहना पसंद करता है। जंगली कैट स्नेक हल्के विषैले होते हैं। जिनमें न्यूरोटॉक्सिक विष होता है, लेकिन मनुष्यों के लिए बहुत प्रभावी नहीं होते। चेकर्ड कीलबैक जिसे आमतौर पर एशियाई पानी के सांप के रूप में भी जाना जाता है। यह जहरीले नहीं होते हैं।

    लखनवाला में कोबरा सांप का रेस्क्यू करते सर्प मित्र आदिल मिर्जा। साभार सर्प मित्र

    वुल्फ स्नेक को आमतौर पर भेड़िया सांप के रूप में जाना जाता है। बफ धारीदार कीलबैक एशिया भर में पाए जाने वाले गैर विषैले सांप हैं। यह आम तौर पर गैर-आक्रामक सांप है, जो मेंढकों और टोड को खाता है। सर्प मित्र ने लोगों से अपील की कि सांप निकलने पर तुरंत सूचना दें, ताकि रेस्क्यू कर सांप को सुरक्षित स्थानों पर रिलीज किया जा सके।

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    साल भर में रेस्क्यू किए गए 415 सांप

    विकासनगर: सर्प मित्र ने एक साल में 192 इंडियन स्पेक्टिकल कोबरा, एक किंग कोबरा, 27 कामन करैत, 28 रसल वाइपर, 86 इंडियन रेट स्नेक, 21 कामन त्रिंकेट, 9 जंगली कैट स्नेक, 42 चेकर्ड कीलबैक, 2 वुल्फ स्नेक, 6 बफ स्ट्रीपड किल बैक स्नेक, एक अजगर सांप कुल 415 सांपों को रेस्क्यू किया गया।

    इसके अलावा पांच मानिटर लिजर्ड, दो बिज्जू, 13 मिश्रित प्रजाति के उल्लू, एक घायल लंगूर, छह घायल बंदर, सात घायल चील, एक घायल गीदड़, एक शिकारा पक्षी का भी रेस्क्यू किया गया।