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    उत्तराखंड में भारी बारिश से हाल-बेहाल, पानी के कारण 325 सड़कें बंद; नेशनल हाईवे से भी आवागमन हुआ ठप

    Updated: Tue, 09 Jul 2024 08:38 AM (IST)

    उत्तराखंड में भारी बारिश के हाल-बेहाल हैं। लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल होता जा रहा है। प्रदेश में अब तक 325 सड़कें बंद हैं। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य राजमार्ग व ग्रामीण सड़के भी शामिल हैं। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि बंद पड़ी 325 सड़कों को फिर से चालू करने के लिए कार्मिकों के साथ 279 मशीनें काम कर रही हैं।

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    वर्षा के बाद फुव्वारा चौक से रिंग रोड जाने वाले मार्ग पर हुए जलभराव के बीच गुजरते स्कूली बच्चे। जागरण

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में हो रही भारी वर्षा के कारण अभी 325 सड़कें बंद हैं। इनमें राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग, मुख्य जिला मार्ग, ग्रामीण मार्ग व अन्य जिला मार्ग शामिल हैं। पहले इनकी संख्या 387 थी, इनमें से 62 मार्गों को खोल दिया गया है।

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    लोक निर्माण विभाग व सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर भारी बरसात के कारण सड़कों और बाढ़ सुरक्षा के कार्यों के संबंध में जानकारी ली।

    279 मशीनें कर रही काम

    कैबिनेट मंत्री ने बताया कि प्रदेश में भारी बरसात के कारण सड़कों पर मलबा आने से अभी बंद पड़ी 325 सड़कों को खोलने के लिए कार्मिकों के साथ 279 मशीनें लगातार काम कर रही है। उन्होंने बताया कि बंद हुए तीन राष्ट्रीय राजमार्ग में से दो को सुचारू कर दिया गया है। इसके अलावा प्रभावित हुए 14 राज्य राजमार्गों में से आठ राज्य राजमार्ग यातायात के लिए खोल दिए गए हैं।

    कैबिनेट मंत्री ने बताया कि अल्मोड़ा के मोहान, रानीखेत में ब्रिटिश काल का बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। वहां पर वैली ब्रिज की वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। इसी प्रकार जनपद चंपावत में लधिया नदी पर 70 मीटर पुल बह गया है। यहां संपर्क स्थापित कर दिया गया है।

    जलस्तर बढ़ने से फिलहाल नहीं कोई खतरा

    सिंचाई विभाग के बारे में उन्होंने बताया कि गढ़वाल मंडल में वर्षा से नदियों का जल स्तर तो बढ़ा है, लेकिन फिलहाल कोई खतरा नहीं है। कुमाऊं मंडल में सिंचाई खंड अल्मोड़ा के अंतर्गत चार दिनों से भारी बारिश होने के कारण कोसी, पनार, जैगन नदियां व स्थानीय नदी व नाले उफान पर हैं।

    अल्मोड़ा में भारी बरसात के कारण पचास नहरों को क्षति पहुंचने के साथ-साथ जनपद पिथौरागढ़ में 90 मीटर सुरक्षा दीवार को क्षति हुई है, जिसकी लागत लगभग 135 लाख है। वहीं चंपावत में 29 नहरें और 18 बाढ़ योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं।

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