पंचायतों में घपले का सच आएगा सामने, एसआइटी करेगी जांच
प्रदेशभर में पंचायतों में 14 वें वित्त आयोग से आवंटित धनराशि से खरीद और निर्माण कार्यां में हुए घपले की जांच एसआइटी से कराने को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंजूरी दे दी।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेशभर में पंचायतों में 14 वें वित्त आयोग से आवंटित धनराशि से खरीद और निर्माण कार्यां में हुए घपले का सच अब सामने आएगा। प्रकरण की गंभीरता के मद्देनजर रखे गए एसआइटी (विशेष जांच दल) के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंजूरी दे दी है।
पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एसआइटी जांच के दायरे में पिछले पांच साल के कार्यां को रखा जाएगा, लेकिन पहले चरण में उनके मंत्री बनने से अब तक के कार्यकाल के दौरान हुए कार्यां की जांच की जाएगी।
उन्होंने दो टूक कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पंचायतों में 14 वें वित्त आयोग से जारी धनराशि से हुए घपले का मामला तब आया, जब उत्तरकाशी जिले में आपदा से निबटने को खरीदी गई सामग्री में गड़बड़ी की शिकायत हुई। जांच में इसकी पुष्टि भी हुई।
इस बीच अन्य जिलों से भी खरीद-फरोख्त के साथ ही निर्माण कार्यां में धांधली को लेकर बड़े पैमाने पर शिकायतें विभागीय मंत्री अरविंद पांडेय तक पहुंची। बात सामने आई कि कई जगह एक सोलर बैटरी 20 से 22 हजार में खरीदना दर्शाया गया, जबकि इसका वास्तविक मूल्य सात हजार रुपये है।
इसी प्रकार अन्य सामग्री की एमआरपी से कई-कई गुना अधिक दाम पर खरीद की गई। तमाम निर्माण कार्यां में भी भारी अनियमितता की शिकायतें आई। पिथौरागढ़ जिले से सबसे ज्यादा शिकायतें मिली हैं। पंचायतों में करोड़ों के घपले को देखते हुए विभागीय मंत्री ने 11 जुलाई को इसकी एसआइटी जांच के निर्देश दिए थे।
अब मुख्यमंत्री ने इसकी मंजूरी दे दी है। पंचायतीराज मंत्री पांडेय ने बताया कि मंगलवार को उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर पूरे प्रकरण की ओर उनका ध्यान दिलाते हुए कहा कि एसआइटी जांच जरूरी है। इस पर मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा कि एसआइटी जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
साथ ही इससे सरकारी धन के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा। घपले के लिए सभी जिम्मेदार पंचायती राज मंत्री ने कहा कि पंचायतों में हुए इस घपले के लिए प्रमुख सचिव से लेकर निचले स्तर तक के अफसर, सभी जिम्मेदार हैं। साथ ही बोले कि अगर कहीं धोखे से मुझसे भी साइन हो गए हों तो मैं भी जिम्मेदार हूं। अब एसआइटी अपना काम करेगी। जांच के बाद ही सामने आ पाएगा कि वास्तव में घपला है कितने का।
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