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हार्इ कोर्ट का आदेश, मनरेगा घोटाले के दोषियों पर मुकदमे हों दर्ज

चंपावत जिले में हुए मनरेगा घोटाले का जिन्न एकबार फिर से बाहर निकल आया है। हार्इ कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ मकदमे दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 08:33 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 08:58 AM (IST)
हार्इ कोर्ट का आदेश, मनरेगा घोटाले के दोषियों पर मुकदमे हों दर्ज
हार्इ कोर्ट का आदेश, मनरेगा घोटाले के दोषियों पर मुकदमे हों दर्ज

नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने चंपावत जिले के भिंगराड़ा रेंज की 31 वन पंचायतों में मनरेगा के कार्यों में घोटाले के मामले में दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने कुमाऊं कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में अनियमितता की पुष्टि के बाद भी अब तक मुकदमा दर्ज नहीं होने पर हैरानी जताई। कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए तत्कालीन डीएफओ समेत अन्य वन विभाग के कर्मचारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

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मई 2011 में भिंगराड़ा के बालातड़ी निवासी और हाई कोर्ट के अधिवक्ता संजय भट्ट को गांव में आठ लाख की लागत से फर्जी तरीके से चेकडैम बने होने की जानकारी मिली तो उन्होंने डीएम चम्पावत से इसकी शिकायत की। जिला प्रशासन ने शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। मामला लोकायुक्त तक पहुंचा तो जिला प्रशासन ने फिर शिकायत से पीठ फेर लिया। इसी बीच उन्हें 31 वन पंचायतों में मनरेगा के तहत हुए कार्यों में 37 लाख 18 हजार के सीमेंट खरीद का पता चला। सहायक आयुक्त वाणिज्य कर टनकपुर से सीमेंट खरीद फर्मों के बारे में आरटीआइ से जानकारी ली तो फर्में फर्जी निकली।

2015 में हाई कोर्ट में दायर हुई पीआइएल

जब शासन से निराशा हाथ लगी तो अधिवक्ता भट्ट ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। तीन जून 2015 को शासन ने तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर एनएस नयाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया। 26 अक्टूबर को कमिश्नर ने जांच में पाया कि मनरेगा के अंतर्गत कार्यों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। जांच रिपोर्ट में कमिश्नर ने प्राथमिकी दर्ज करने की संस्तुति की थी, लेकिन फिर से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। मंगलवार को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में मामले में सुनवाई हुई। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद घोटाले के दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश पारित किए।

दोषियों में तत्कालीन डीएफओ के साथ ही रेंजर, वन दरोगा व अन्य शामिल हैं। यहां बता दें कि यह घोटाला एक करोड़ 37 लाख 18 हजार रुपये का है। इसमें से 80 लाख से अधिक रुपये सिर्फ मजदूरी बांटना दर्शाया गया है।

सीमेंट खरीद के लिए गांव में बन गईं फर्में

महालक्ष्मी ट्रेडर्स कुलियालगांव, भट्ट ट्रेडर्स कुलियालगांव, महाराणा टे्रडर्स बिरगुल, मनोज ट्रेडर्स टनकपुर, जोशी सीमेंट सेंटर भिंगराड़ा, धर्मानंद दुकानदार पाटी। जांच में यह भी पाया गया कि मनरेगा अंतर्गत जिन जॉबकार्ड धारकों को भुगतान किया गया, वह गांव में रहते ही नहीं थे।

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