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    Shardiya Navratri 2019: घट स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र शुरू, गूंज रहे माता के जयकारें

    शारदीय नवरात्र शुरू हो गए हैं। प्रथम दिन मां के शैलपुत्री स्‍वरूप की पूजा-अर्चना की जा रही है। मंदिरों और घरों में श्रद्धालुओं ने कलश स्‍थापना कर मां का आह्वान किया।

    By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 29 Sep 2019 10:13 AM (IST)
    Shardiya Navratri 2019: घट स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र शुरू, गूंज रहे माता के जयकारें

    देहरादून, जेएनएन। रविवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो गए हैं। इस मौके पर देवभूमि के मठ-मंदिरों में प्रात:काल घट स्थापना के साथ मां नव दुर्गा के प्रथम रूप शैल पुत्री की पूजा अर्चना हुई। प्रात:काल से ही विभिन्न मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा और माहौल मां दुर्गा के जयकारों से गूंज उठा।

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    शास्त्रीय विधान के अनुसार, घर के देव स्थल पर मिट्टी और रेत के ऊपर जौ बोए गए और गंगा जल से भरे कलश में कुशा, सप्त औषधि, चावल आदि रखे। गणेश पूजन, नव ग्रह पूजन, भूमि पूजन, दीप पूजन के बाद कलश पूजन हुआ और आदि शक्ति से घर विराजने की प्रार्थना की गई। घट के सामने ही मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाएगी। तीसरे दिन घट में बोए जौ भी अंकुरित हो जाएंगे। 

    धार्मिक मान्यता है कि कलश में भरा गंगाजल नौ दिनों तक अमृत तुल्य बन जाता है। शारदीय नवरात्रों में कहीं अष्टमी तो कहीं नवमी को कन्या जिमाई और पूजन भी किया जाता है। इसके अलावा धार्मिक स्थलों और घरों में मां दुर्गा के निमित पाठ भी शुरू हो गए हैं। मां भगवती का जन्म पर्वत राज हिमालय के यहां हुआ था इसलिए इन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है। हरिद्वार स्थित देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही। मंसा देवी, चंडी देवी, माया देवी, सुरेश्वरी देवी, गंगा मंदिर, श्रीदक्षिणकाली मंदिर, मकरवाहिनी मंदिर, शाकुंभरी देवी मंदिर सहित हरकी पैड़ी में श्रद्धालुओं की भीड़ अपेक्षाकृत ज्यादा रही।

    राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने दी नवरात्र पर्व की शुभकामनाएं

    शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि नवरात्रि व्रत पूजन मातृशक्ति की आराधना के साथ अंत:करण की शुद्धि, आत्मानुशासन, आत्म संयम और मन की एकाग्रता बढ़ाने का अवसर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पर्व हमें मातृशक्ति की आराधना व सम्मान की प्रेरणा देता है। समाज में नारी के महत्व को प्रदर्शित करने वाला यह पर्व भारतीय संस्कृति की महान परंपरा का भी प्रतीक है। समाज में बालिकाओं को अधिक सम्मान देने और सशक्त बनाने को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना होगा।

    नवरात्र पर मां कालिका का  विशेष श्रृंगार

    मां कालिका मंदिर में रविवार से अश्विन नवरात्र महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। प्रथम दिन सुबह छह बजे मां कालिका का विशेष श्रृंगार किया गया। इसके बाद घट स्थापना की गई। मंदिर के मुख्य पुजारी ने देवी देवताओं की विधि विधान से पूजा की। इसके बाद 108 ब्राह्मणों के माध्यम से मां दुर्गा पाठ शुरू हुआ। मां कालिका यज्ञशाला में दैनिक हवन किया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे संतों द्वारा मां कालिका दैनिक सत्संग में नवरात्रों के महत्व की महिमा बताई जाएगी। 

    शारदीय नवरात्र की तिथियां 

    29 सितंबर : घटस्थापना, चंद्रदर्शन, मां शैलपुत्री पूजन

    30 सितंबर : मां ब्रह्मचारिणी पूजन

    एक अक्टूबर : मां चंद्रघंटा पूजन

    दो अक्टूबर : मां कुष्मांडा पूजन

    तीन अक्टूबर : मां स्कंदमाता पूजन 

    चार अक्टूबर : मां सरस्वती आवाहन, मां कात्यायनी पूजन

    पांच अक्टूबर : मां सरस्वती व मां कालरात्रि पूजन

    छह अक्टूबर : मां महागौरी पूजन

    सात अक्टूबर : मां सिद्धिदात्री पूजन 

    आठ अक्टूबर : मां दुर्गा विसर्जन, विजयदशमी 

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    विजयदशमी पर्व के मुहूर्त

    विजय मुहूर्त : 14.11 बजे से 14.58 बजे तक

    अपराह्न पूजा मुहूर्त : 13.24 बजे से 15.44 बजे तक

    दशमी तिथि आरंभ : 12.37 बजे (सात अक्टूबर)

    दशमी तिथि समाप्त : 14.50 बजे (आठ अक्टूबर)

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