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दून में दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू, सजने लगे हैं पूजा पंडाल Dehradun News

दुर्गात्सव को लेकर दून की विभिन्न संस्थाओं ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। पूजा पंडालों में दुर्गा की मूर्ति बननी शुरू हो गई हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 09:03 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 08:35 PM (IST)
दून में दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू, सजने लगे हैं पूजा पंडाल Dehradun News
दून में दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू, सजने लगे हैं पूजा पंडाल Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। 29 सितंबर से नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं और षष्ठी से लेकर विजयदशमी तक दुर्गा पूजा की जाती है। दुर्गात्सव को लेकर दून की विभिन्न संस्थाओं ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। पूजा पंडालों में दुर्गा की मूर्ति बननी शुरू हो गई हैं।  

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दून में दुर्गा पूजा को लेकर बंगाली समुदाय में बहुत उत्साह है और वह इसके लिए कई दिनों से तैयारी कर रहे हैं। अब तैयारियों अंतिम चरणों में चल रही है। दून में कोलकाता से आए मूर्तिकार मां दुर्गा के साथ-साथ कार्तिकेय, गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्ति भी तैयार कर चुके हैं।  

मायके आने पर होता है मां दुर्गा का स्वागत 

ऐसी मान्यता है कि षष्ठी के दिन दुर्गा मां अपने बच्चों के साथ मायके आती हैं। उनके स्वागत में धूमधाम से दुर्गा पूजा की जाती है और नवमी के दिन उन्हें धूमधाम से बच्चो के साथ वापस कैलाश पर्वत के लिए विदा किया जाता है। 

बर्धमान के कलाकारों ने किया मां दुर्गा का श्रृंगार

उत्तरायन कालवाडी सांस्कृतिक संस्था के कार्यक्रम संयोजन अधिर मुखर्जी ने बताया कि पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले से आए मूर्तिकारों ने मां दुर्गा की मूर्ति का तैयार किया है। उन्होंने बताया कि दुर्गा मां की मूर्ति बनाने में वेश्यालय की मिट्टी बनाने के लिए इस्तेमाल करते है यह मिट्टी मूर्तिकार साथ लेकर आते हैं। उन्होंने बताया कि अष्टमी के दिन महिलाएं सौ दिए जलाकर मां दुर्गा की पूजा करेंगी। 

सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए रिहर्सल शूरू 

रायपुर के ओएफडी ग्राउंड में आयोजित होने वाली 76वीं दुर्गा पूजा की रिहर्सल आरंभ हो गई है। रायपुर दुर्गा पूजा कमेटी से तपस चक्रवर्ती ने बताया कि मूर्तिकारों के द्वारा तैयार मूर्ति को पान के पत्तों से ढक दिया गया है इन पत्तों को दुर्गा पूजा के दिन ही हटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि दुर्गात्सव के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। इन प्रस्तुतियों की रिहर्सल आरंभ हो गई है। 

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कुछ ऐसी है मान्यता

तपस चक्रवर्ती ने बताया कि शारदा तिलकम, महामंत्र महार्णव, मंत्रमहोदधि जैसे ग्रंथों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बहुत पहले एक वेश्या, देवी दुर्गा की बहुत बड़ी उपासक हुआ करती थी। वेश्या होने के कारण समाज में उसे सम्मान प्राप्त नहीं था। समाज से बहिष्कृत उस वेश्या को तरह-तरह की यातनाओं का सामना करना पड़ता था। 

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मान्यता है कि अपनी भक्त को इसी तिरस्कार से बचाने के लिए दुर्गा ने स्वयं आदेश देकर उसके आंगन की मिट्टी से अपनी मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा शुरू करवाई थी। साथ ही, देवी ने उसे वरदान भी दिया था कि उसके यहां की मिट्टी के उपयोग के बिना प्रतिमाएं पूरी नहीं होंगी।

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