Shardiya Navratri 2022: भक्तों की मनोकामना पूरी करती है मां वैष्णो देवी, वर्ष भर खुला रहता है मंदिर
Shardiya Navratri 2022 उत्तराखंड के पौड़ी जनपद में जिला मुख्यालय से करीब नौ किलोमीटर दूरी पर सिद्वपीठ मां वैष्णो देवी का मंदिर है। मान्यता है कि मां वैष्णो देवी भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। यह मंदिर साल भर खुला रहता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। Shardiya Navratri 2022 जिला मुख्यालय पौड़ी से करीब नौ किमी की दूरी पर देवप्रयाग मार्ग पर अछरीखाल के समीप है सिद्वपीठ मां वैष्णो देवी का मंदिर है। मंदिर वर्ष भर श्रद्धालुओं के लिए पूजा-अर्चना के लिए खुला रहता है। नवरात्र में सिद्वपीठ में पूजा अर्चना का अपना अलग ही महत्व है। अछरीखाल तक छोटे बड़े वाहनों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
यह है मंदिर का इतिहास
स्थानीय लोगों के मुताबिक मां वैष्णो देवी मंदिर काफी प्राचीन है,लेकिन 90 के दशक में यह काफी जीर्ण शीर्ण हो गया। वर्ष 2000 में कुछ स्थानीय लोगों ने जम्मू कश्मीर के कटरा से मां वैष्णो देवी पिंड लाकर भव्य मंदिर बनाकर स्थापित किए गए।
- इसके बाद मंदिर में भक्तों व श्रद्धालुओं का पूजा अर्चना को आना जाना बढ़ता गया।
यह है धार्मिक महत्व
बताते हैं कि अछरीखाल में पहले एक सरोवर था। जिसमें यक्ष कन्याएं अछरी यानी जल क्रीड़ा करती थी। उन्होंने ने ही अपनी आराध्य देवी मां वैष्णो देवी के मंदिर को इस स्थान पर स्थापित किया था। मौजूदा समय में यह सरोवर अब सूख चुका है।
- नवरात्र के दौरान यहां पूजा अर्चना के लिए स्थानीय ही नहीं बल्कि जनपदों से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
दूर दूर से भी आते श्रद्धालु
स्थानी निवासी राकेश फर्स्वाण ने बताया कि मां वैष्णो देवी मंदिर में सेवा ही मेरा कर्म बन गया है। जो सच्चे मन से मां से मन्नते मांगता है उसकी मुराद हमेशा पूरी होती है। नवरात्र में पूजा अर्चना को लेकर स्थानीय ही नहीं दूर से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।
नवरात्र में पूजा का अपना महत्व
राजेंद्र सिंह रावत (संस्थापक मां वैष्णों देवी मंदिर पौड़ी) ने बताया कि मां वैष्णो देवी मंदिर में नवरात्र को पूजा का अपना अलग ही महत्व है। मां भी भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में जितना संभव हा सकता, रहने की व्यवस्था की जाती है।