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Shardiya Navratri 2022: मां काली के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं कष्ट, नवरात्र पर यहा उमड़ी श्रद्धलुओं भारी भीड़

Shardiya Navratri 2022 उत्‍तराखंड के देहरादून जनपद के कालसी में चकराता मोटर मार्ग पर सिद्धपीठ मां काली माता मंदिर स्थित है। मान्‍यता है कि मां काली के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 07:08 PM (IST)
Shardiya Navratri 2022: मां काली के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं कष्ट, नवरात्र पर यहा उमड़ी श्रद्धलुओं भारी भीड़
कालसी में चकराता मोटर मार्ग पर करीब दो किमी दूर स्थित सिद्धपीठ मां काली माता मंदिर।

संवाद सूत्र, कालसी (देहरादून) : Shardiya Navratri 2022: जौनसार-बावर के प्रवेश द्वार कालसी में चकराता मोटर मार्ग पर करीब दो किमी दूर स्थित सिद्धपीठ मां काली माता मंदिर में दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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डोरी बांधने की परंपरा

विशेष मान्यता के चलते दर्शन को उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल प्रदेश से भी श्रद्धालु यहां आते हैं। यहां पर मन्नत मांगते समय डोरी बांधने की परंपरा है और मन्नत पूरी होने पर डोरी खोलने आना पड़ता है।

  • नवरात्र पर मां काली माता मंदिर में भारी भीड़ रहती है।
  • मंदिर की तलहटी में बहती अमलावा नदी और यहां की प्राकृति छटा श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।
  • मंदिर में माता के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु कुछ देर यहां रुक प्रकृति का आनंद लेते हैं।

यह मंदिर का इतिहास

सिद्ध पीठ महाकाली मंदिर कालसी का निर्माण पांडव कालीन माना गया है। मंदिर के दाएं एक किलोमीटर की दूरी पर विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक अशोक शिलालेख कालसी में स्थित है।

  • वहीं, मंदिर के किनारे बहती अमलावा नदी के कुछ दूरी पर प्राचीन ठाकुरद्वारा गुरुद्वारा भी है।
  • इसकी स्थापना खुद सिख धर्म के गुरु गोविंद सिंह महाराज ने की थी और वह यहां आकर 10 दिन तक रुके थे।
  • मंदिर में काली माता की दिव्य मूर्ति है। जिसके दर्शन करने से मनुष्य धन्य हो जाता है।

यह है धार्मिक महत्व

  • पौराणिक सिद्ध पीठ महाकाली माता मंदिर का विशेष महत्व है। मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां पर उत्तराखंड राज्य सहित देश के अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं।
  • नई गाड़ी खरीदने पर पूजा-अर्चना करने का भी यहां विशेष महत्व है, जो भी नया वाहन खरीदता है, वह सिद्ध पीठ काली माता मंदिर में पूजा कराने के लिए अवश्य आता है।
  • मंदिर के जहां एक और 500 मीटर की दूरी पर पतित पावनी मां यमुना नदी बहती है, वहीं, दूसरे छोर पर टौंस नदी प्रवाहित होती है।
  • मान्यता है कि जो भी भक्त यहां दर्शन करने आता है वह माता का दिव्य स्वरूप को देख पलभर के लिए उसमें खो सा जाता है।

नवरात्र पर मंदिर में नौ दिन चलता अनुष्ठान

पुजारी आचार्य भारत भूषण शर्मा (सिद्ध पीठ महाकाली माता मंदिर कालसी) ने बताया कि पौराणिक सिद्ध पीठ महाकाली माता मंदिर कालसी में जो माता की मूर्ति है, वह खुद पांडवों ने स्थापित की थी।

  • काली माता मंदिर की जो मूर्ति है वह दिन में रूप बदलती रहती है। माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है।
  • दशहरा, दीपावली, नवरात्र में मंदिर में माता की विशेष साधना की जाती है। इसके अलावा हर रविवार को यहां पर श्रद्धालु भंडारा आयोजित करते हैं।
  • महाकाली के दर्शन करने से ही मानव का कल्याण होता है। वर्षभर श्रद्धालु अपनी मन्नत को लेकर मां के दरबार में नारियल फोड़ते हैं और मनवांछित फल पाते हैं।
  • नवरात्र पर मंदिर में नौ दिनों तक अनुष्ठान चलता रहता है।

दूर-दूर से भक्त यहां पूजा-अर्चना को आते

अक्षय नेगी (देव माली, कालसी) ने बताया कि सिद्ध पीठ महाकाली माता मंदिर कालसी के दर्शन करने से व्यक्ति के जीवन व परिवार में खुशहाली आती है।

  • मान्यता है कि सच्चे मन से जो भी माता की उपासना करता है वह खाली हाथ कभी नहीं लौटता। माता की अपने भक्तों पर अपार कृपा दृष्टि है।

जो भी भक्त सच्चे मन से यहां मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना अवष्य पूरी होती है। नवरात्र के दौरान मंदिर में माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त यहां पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।

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