छात्रों की मानसिकता अध्ययन को दून में होगा राष्ट्रीय सम्मेलन Dehradun News
छात्रों की बदलती मानसिकता और क्षमता के अध्ययन लिए दून के प्रोग्रेसिव प्रिंसिपल एसोसिएशन पेसल वीड स्कूल में 20 से 22 दिसंबर तक यह सम्मेलन आयोजित होगा।
By Edited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 07:53 PM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 04:09 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। आधुनिक समय में छात्रों की बदलती मानसिकता और क्षमता के अध्ययन लिए दून में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा। प्रोग्रेसिव प्रिंसिपल एसोसिएशन पेसल वीड स्कूल में 20 से 22 दिसंबर तक यह सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। सम्मेलन 'अपने बच्चों को जानने के लिए नवाचार' और 'भविष्य के निष्ठावान शिक्षार्थी', इन दो विषयों पर आधारित होगा। सम्मेलन में देश भर से प्रधानाचार्य, शिक्षक और शिक्षाविद शिरकत करेंगे।
शुक्रवार को एस्लेहॉल के पास एक निजी होटल में पत्रकारों से वार्ता में एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि सम्मेलन के कई उद्देश्य हैं। बदलते समय के साथ लगातार छात्रों की मानसिकता में भी बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों को भी इन बदलावों के अनुसार ही चलना होगा। साथ ही शिक्षकों को आधुनिक शिक्षा की तकनीक की जानकारियां भी दी जाएंगी। बताया कि सम्मेलन में ट्रेनिंग के लिए चुने हुए 300 शिक्षक और 200 प्रधानाचार्य पूरे देश से आने वाले हैं। विदेश से भी शिक्षाविद् सम्मेलन में जुट रहे हैं।
सम्मेलन के प्रमुख वक्ता गैरेथ जॉनसन, निदेशक एशविले इंटरनेशनल एजुकेशन और इंटरप्राइजेस, लंदन, अशोक गागुली, पूर्व अध्यक्ष, सीबीएससी, बाला सुब्रमणियम, तमिलनाडु सरकार के शैक्षिक सलाहकार, प्रो. हरीश चौधरी, डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, आइआइटी, नई दिल्ली, डॉ. शीला टाउरी, शिक्षाविद्, शौमी रंजन दास, पूर्व हैड मास्टर, दून स्कूल, डॉ. विनीत गुप्ता, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, शमी सभरवाल, पूर्व जीओसी, सब एरिया, उत्तराखंड।
सालाना 360 करोड़ का व्यवसाय कर रहे निजी स्कूल
एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि निजी स्कूलों को अभिभावक सरकारी स्कूलों से बेहतर विकल्प के तौर पर चुनते हैं। पिछले तीन दशकों में निजी माध्यमिक स्कूलों में दाखिलों में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, निजी प्राथमिक स्कूलों में नामाकन में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
बताया कि देश ही नहीं विदेशों से भी छात्र दून के स्कूलों में पढ़ाई करने आ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार साल 2001 में लगभग 40 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से फीस और अन्य माध्यम से निजी स्कूलों ने जुटाए थे। जो वर्ष 2018 में बढ़कर 360 करोड़ हो गया है। कहा कि राज्य सरकार के राजस्व में निजी स्कूल लगातार ज्यादा से ज्यादा कोष पहुंचा रहे हैं।
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