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    न्यायिक डेटा की सुरक्षा पर बोले न्यायमूर्ति, 'डेटा सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती, नष्ट होने की स्थिति में विकल्प जरूरी'

    Updated: Mon, 14 Apr 2025 08:38 AM (IST)

    राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल की ओर से आयोजित नार्थ जोन द्वितीय रीजनल कांफ्रेंस में न्यायिक डेटा की सुरक्षा पर चर्चा हुई। न्यायमूर्ति एम सुंदर ने कहा कि वर्तमान में डेटा को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती है। ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के बारे में भी चर्चा हुई। न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट न्यायालयों में चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहा है।

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    राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल की ओर से आयोजित कांफ्रेंस के दौरान मंचासीन न्यायाधीशगण। साभार-आयोजक

    जागरण संवाददाता, देहरादून। राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल की ओर से आयोजित नार्थ जोन द्वितीय रीजनल कांफ्रेंस के दूसरे दिन न्यायमूर्ति एम सुंदर ने न्यायिक डेटा सुरक्षित रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में डेटा को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती है।

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    किन्हीं परिस्थितियों में डेटा नष्ट होने की स्थिति में विकल्प के संबंध में भी विचार करना आवश्यक है। कहा कि हमें डेटा को एक से अधिक सर्वर में सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने ई-सेवा के सराहनीय कार्य की प्रशंसा भी की व कुछ विधिक अनुवाद करने वाले साफ्टवेयर के बारे में भी जानकारी दी।

    राजपुर रोड स्थित होटल हयात सेंट्रिक में आयोजित कांफ्रेंस के समापन पर न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के संबंध में कहा कि यह प्रोजेक्ट न्यायालयों में चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहा है। जिसमें कई मामले जैसे ऑनलाइन ट्रैफिक चालानों का वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से शीघ्र निपटारा किया जा रहा है।

    वर्तमान में करीब सवा पांच करोड़ आदेश अपलोड

    न्यायमूर्ति ने डेटा के माध्यम से बताया कि वर्तमान में न्यायालयों के लगभग 5.23 करोड़ आदेश अपलोड हैं, जिसमें से मात्र 2.18 करोड़ आदेश डाउनलोड किए गए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि वादकारियों में अभी भी जागरुकता की कमी है। इस संबंध में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने की जरूरत पर भी न्यायमूर्ति ने प्रकाश डाला।

    न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने ई सर्विस की भूमिका के बारे में बताया कि जब भी सिस्टम में कोई बदलाव होता है तो मानव प्रकृति यही है कि उसे स्वीकार करने में समय लगता है। उन्होंने त्वरित न्याय और सशक्त न्याय के संबंध में भी विस्तार से समझाया।

    आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से निर्णय तैयार करने के संबंध में विचार रखे

    न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा व एम सुंदर ने वर्तमान में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से निर्णय तैयार करने के संबंध में तथा वर्तमान तकनीकी के बारे में विचार रखे। बताया कि न्यायालयों की ओर से आदेश तैयार करने में किस सीमा तक एआइ की सहायता ली जा सकती है तथा इसमें किन-किन चुनौतियों का सामना करना होगा। उन्होंने हिंसा व दुर्व्यवहार का निपटारा किस प्रकार से ऑनलाइन किया जाना चाहिए, इस संबंध में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

    उच्च न्यायालय उत्तराखंड के न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी ने समापन टिप्पणी के साथ ही कांफ्रेंस में प्रतिभाग करने वाले उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिगण का और जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों का धन्यवाद ज्ञापित किया। 

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