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    UP Politics: भीमनगरी का उद्घाटन सीएम के हाथों से, मंच से PDA की धार कुंद करेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

    UP Politics भीम नगरी समारोह इस बार कुछ खास होने जा रहा है। आयोजन में इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आ रहे हैं। वे कार्यक्रम का उदघाटन करेंगे। रविवार शाम को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की अधिकारियों को जानकारी मिल गई। इसके बाद आयोजकों के साथ ही अधिकारी भी तैयारियों में जुट गए। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 अप्रैल को डेढ़ घंटे तक शहर में रहेंगे।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 14 Apr 2025 07:43 AM (IST)
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    Agra News: भीमनगरी के उद्घाटन में आएंगे सीएम योगी आदित्यनाथ

    यशपाल चौहान, जागरण आगरा। सपा के पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (पीडीए) फार्मूले से वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों का घाटा झेल चुकी भाजपा अब इसकी धार कुंद करने में जुट गई है। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती के एक दिन पूर्व प्रतिमाओं और पार्कों में सफाई और दीपांजलि के बाद भीमनगरी के आयोजन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शामिल होने की सहमति यही इशारा दे रही है।

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    दलितों का गढ़ माने जाने वाले आगरा में कई विधानसभा सीटों पर दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। भाजपा उन्हें पार्टी से फिर जोड़कर अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है। केंद्र और प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी बने दलित वोटरों ने 2014 से 2022 के विधानसभा चुनाव तक भाजपा का हर स्तर पर खूब साथ निभाया।

    प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बनी तो अधिकांश जिलों में ट्रिपल इंजन की भी सरकार बनी। मगर, 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा के पीडीए फार्मूले के प्रभाव में आए दलित वोटर भाजपा से छिटक गए। इसके चलते भाजपा को प्रदेश में सीटों का जबरदस्त घाटा उठाना पड़ा। चिंता का विषय बने इस समीकरण को तोड़ने के लिए भाजपा नेतृत्व ने डा. भीमराव आंबेडकर जयंती को अवसर के तौर पर लिया है। देश भर में विभिन्न आयोजनों के माध्यम से दलित वोटर को पार्टी से जोड़ने को प्रयास किया जा रहा है।

    भीमनगरी के उद्घाटन कार्यक्रम में आएंगे सीएम

    इसी क्रम में आवास विकास कॉलोनी, सिकंदरा के सेक्टर 11 में आयोजित भीमनगरी का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करने आ रहे हैं। इससे पूर्व भी आयोजन समिति ने उन्हें कई बार आमंत्रित किया था, लेकिन वह नहीं आ सके थे। लगातार तीन लोकसभा चुनाव में बसपा के हाथ खाली रहने के लिए उसका कोर वोटर छिटकना माना जाता है।

    भाजपा दलित वोटर को पालने में बनाए रखने की जुगत में जुटी

    2027 के विधानसभा चुनाव में यदि यह वोटर बसपा की ओर लौटता है तो यह भी भाजपा के लिए बड़े घाटे का सबब बन सकता है। ऐसे में, भाजपा की इस मशक्कत को दलित वोटर को अपने पाले में बनाए रखने की जुगत भी माना जा रहा है। विगत लोकसभा चुनाव में संविधान बदलने का भ्रम फैला दलित वोटों को अपने पाले में करने में सफल रही कांग्रेस भी दलितों को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश में है।

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