उच्च हिमालयी क्षेत्र के गांवों की आजीविका संवारेगी कंडाली, कई उत्पाद किए जा सकते हैं तैयार
यूएनडीपी के सहयोग से गंगोत्री नेशनल पार्क गोविंद और अस्कोट अभयारण्यों में चल रही सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत इनसे लगे गांवों में कंडाली आजीविका संव ...और पढ़ें

देहरादून, राज्य ब्यूरो। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से गंगोत्री नेशनल पार्क, गोविंद और अस्कोट अभयारण्यों में चल रही सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत इनसे लगे गांवों में कंडाली (हिमालयन नेटल) आजीविका संवारने का बड़ा जरिया बनेगी। इस सिलसिले में शनिवार को हुए वेबिनार के जरिये उच्च हिमालयी क्षेत्र के इन गांवों के युवाओं को कंडाली से रेशा समेत अन्य उत्पाद तैयार करने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
वेबिनार में सेवानिवृत्त आइएफएस एसटीएस लेप्चा ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में हिमालयन नेटल आजीविका का बड़ा जरिया बना है। उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र से भी वहां रेशा भेजा जाता है। ऐसे में अगर यहीं इसके प्रसंस्करण की व्यवस्था हो जाए तो यह आजीविका के बड़े अवसर के रूप में सामने आएगा। इसके साथ ही कंडाली से अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि आजीविका के वैकल्पिक स्रोत के तौर पर इसे अपनाया जा सकता है। इस संबंध में उन्होंने विस्तृत प्रस्तुतीकरण भी दिया।
डीएफओ पिथौरागढ़ डॉ. विनय भार्गव ने मुनस्यारी ईको पार्क का उदाहरण देते हुए कहा कि अन्य क्षेत्रों में भी ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इसी मॉडल पर पार्क बनाए जा सकते हैं। डीएफओ उत्तरकाशी संदीप कुमार ने स्थानीय युवाओं को ईको टूरिज्म व पर्वतारोहण से जोड़ने पर बल दिया। सगंध पौधा केंद्र देहरादून के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान ने कहा कि 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले गांवों में सगंध खेती के तहत डेमस्क गुलाब, जेरेनियम जैसी फसलों के जरिये स्थानीय निवासी अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। उन्होंने सगंध खेती के लिए दी जाने वाली रियायतों की जानकारी भी दी।
सिक्योर हिमालय के नोडल अधिकारी और अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक रंजन कुमार मिश्र ने परियोजना से जुड़े विविध पहलुओं पर रोशनी डाली। आइएफएस डॉ. मनोज चंद्रन, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के पूर्व सदस्य सचिव वीएस बोनाल, वन और पर्यावरण मंत्रालय में आइजी डॉ. शक्ति सिंह खंडूरी, पीडब्यूसी के निदेशक डॉ.एम. पटनायक, यूएनडीपी की अपर्णा पांडे, गायत्री मेहर, पार्थ जोशी के अलावा तीनों संरक्षित क्षेत्रों से लगे गांवों के 20 युवाओं ने शिरकत की।

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