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कृषि भूमि पर 'कारोबार' को सचिव का झटका, जानिए क्या है पूरा मामला

सचिव आवास ने कृषि भूमि पर कम भू-उपयोग शुल्क देकर उसके उपयोग परिवर्तन के प्रस्ताव को झटका दे दिया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 01:27 PM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 08:35 PM (IST)
कृषि भूमि पर 'कारोबार' को सचिव का झटका, जानिए क्या है पूरा मामला
कृषि भूमि पर 'कारोबार' को सचिव का झटका, जानिए क्या है पूरा मामला

देहरादून, सुमन सेमवाल। कृषि भूमि पर कम भू-उपयोग शुल्क देकर उसके उपयोग परिवर्तन के प्रस्ताव को सचिव आवास ने झटका दे दिया। यह प्रस्ताव उत्तराखंड आवास और नगर विकास प्राधिकरण (उडा) की बोर्ड बैठक में लाया गया था, जिस पर आपत्ति जताते हुए सचिव नितेश झा ने स्पष्ट किया कि यह काम शासन का है। उडा अपने स्तर पर इस तरह के प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई न करे।

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शुक्रवार को हुई उडा की बोर्ड बैठक में सभी सात श्रेणी के भू-उपयोग परिवर्तन के शुल्क को संशोधित करने का प्रस्ताव लाया गया था। इसमें वर्ष 2016 की दरों को बेहद कम कर दिया गया था। उदाहरण के लिए पूर्व में कृषि भूमि का भू-उपयोग बदलकर उसे व्यावसायिक, कार्यालय, मॉल, थियेटर, मनोरंजन पार्क, थीम पार्क आदि के रूप में परिवर्तित करने का शुल्क 150 फीसद किया गया था। यानि की जितनी भूमि का भू-उपयोग (लैंडयूज) बदला जा रहा है, उसके सर्किल रेट की 150 फीसद राशि अदा करनी पड़ती। इस राशि को प्रस्ताव में अप्रत्याशित रूप से 150 से घटाकर महज 30 फीसद कर दिया गया। सचिव आवास नितेश झा ने बैठक में इस पर न सिर्फ आपत्ति जताई, बल्कि यह भी कहा कि भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क पर निर्णय लेने या प्रस्ताव तैयार करने का अधिकार शासन का है।

जनसाधारण की मांग का दिया था हवाला

उडा के प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्ष 2016 में भू-उपयोग परिवर्तन का जो शुल्क तय किया गया है, उसमें व्यवहारिक कठिनाइयां आ रही हैं और जनसाधारण की मांग के अनुरूप उसे संशोधित करने की जरूरत है। हालांकि, उडा की प्रस्तावित दरों का अवलोकन करें तो इसका लाभ आवासीय निर्माण की जगह व्यवसायिक निर्माणों को अधिक होता दिखा। कृषि से आवासीय या अन्य श्रेणी से भू-उपयोग आवासीय किए जाने पर महज 30 से 40 फीसद का ही फायदा होता दिख रहा था, जबकि विभिन्न व्यवसायिक गतिविधियों में यह कमी 120 फीसद तक की होती।

यह था उडा का प्रस्ताव

मूल भू-उपयोग, विभिन्न श्रेणियों में परिवर्तन

कृषि-हरित भूमि से परिवर्तन पर

परिवहन-संचार में पहले की तरह 10 फीसद, मनोरंजन-पर्यटन में 30 से घटाकर 20 फीसद, सार्वजनिक/अद्र्ध सार्वजनिक में 25 से घटाकर 10, आवासीय-ग्रुप हाउसिंग में 50 से घटाकर 20, औद्योगिक में 50 से 20 व व्यावसायिक श्रेणियों में 150 फीसद से घटाकर 30 फीसद।

परिवहन-संचार से परिवर्तन पर

कृषि-हरित में पहले की तरह अनुमन्यता, मनोरंजन में पहले की तरह 20 फीसद, सार्वजनिक में 40 की जगह 10, आवासीय में 60 से 20, औद्योगिक में 50 से 20 व व्यावसायिक श्रेणियों में 100 से घटाकर 30 फीसद।

मनोरंजन-पर्यटन से परिवर्तन पर

कृषि-हरित में पहले की तरह अनुमन्यता, परिवहन में पहले अनुमन्यता थी और अब 10 फीसद, सार्वजनिक में 30 की जगह 10, आवासीय में 50 से 20, औद्योगिक में 70 से 20 व व्यावसायिक श्रेणियों में 100 से घटाकर 30 फीसद। सिर्फ व्यावसायिक श्रेणी में बिना परिवर्तन सभी तरह की गतिविधियों को पहले की तरह हरी झंडी का प्रस्ताव रखा गया।

सार्वजनिक और अर्ध सार्वजनिक से परिवर्तन पर

कृषि-हरित, मनोरंजन, सार्वजनिक भूमि में पहले की तरह अनुमन्यता, परिवहन में अनुमन्यता से 10 फीसद, आवासीय में पहले की तरह 20, औद्योगिक में 50 की जगह 20 व व्यावसायिक श्रेणियों में 100 से घटाकर 30 फीसद। 

आवासीय श्रेणी में परिवर्तन पर

कृषि, परिवहन में पहले की तरह अनुमन्यता, मनोरंजन में पहले की तरह 10, औद्योगिक में 200 की जगह प्रतिबंध और व्यावसायिक श्रेणियों में 100 से घटाकर 30 फीसद।

औद्योगिक श्रेणी में परिवर्तन पर

कृषि, परिवहन में पहले की तरह अनुमन्यता, आवासीय में 100 फीसद की जगह प्रतिबंध व व्यावसायिक श्रेणियों में 100 से घटाकर 30 फीसद।

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