दून में 1214 लोगों को छोड़नी होगी नदी भूमि, नोटिस जारी Dehradun News
देहरादून में नदी श्रेणी की भूमि पर बसे 1214 लोगों का आवंटन निरस्त किया जाएगा। हाईकोर्ट ने नदी तालाब जोहड़ आदि की भूमि पर किए सभी तरह के आवंटन को निरस्त करने के आदेश दिए हैं।
देहरादून, सुमन सेमवाल। देहरादून में नदी श्रेणी की भूमि पर बसे 1214 लोगों का आवंटन निरस्त किया जाएगा। हाईकोर्ट ने नदी, तालाब, जोहड़ आदि की भूमि पर किए सभी तरह के आवंटन को निरस्त करने के आदेश दिए हैं। इसके अनुपालन में प्रशासन ने संबंधित कब्जाधारियों को नोटिस जारी करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। अब तक बड़ी संख्या में नोटिस भेजे भी जा चुके हैं और नोटिस मिलते ही लोगों को हड़कंप की स्थिति है।
जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम-1950 के प्रावधानों में स्पष्ट किया गया है कि नदी, तालाब, जोहड़ आदि की भूमि का श्रेणी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इसके बाद भी सरकार ने बेहद बड़े पैमाने पर समय-समय पर इस तरह की भूमि का आवंटन कर दिया।
जब यह मामला एक याचिका के रूप में हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से आदेश जारी किए कि ऐसे सभी आवंटन का चिह्नीकरण कर उन्हें निरस्त किया जाए। यह जिम्मेदारी कोर्ट ने राजस्व सचिव को सौंपी है। राजस्व सचिव की ओर से इसको लेकर सभी जिलाधिकारियों को नदी श्रेणी की भूमि पर किए गए आवंटन को चिह्नित करने के आदेश दिए थे।
जिला स्तर पर किए गए चिह्नीकरण के बाद रिपोर्ट अब शासन को भेजी जा चुकी है। इसमें संबंधित तहसीलों के माध्यम से बताया गया है कि अधिनियम की धारा 122-बी के तहत कब्जेधारियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इसके बाद आवंटन निरस्त कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
नदी श्रेणी में आवंटन की स्थिति
तहसील---------------------संख्या
विकासनगर------------करीब 1000
देहरादून सदर-------------------205
ऋषिकेश---------------------------05
डोईवाला---------------------------04
पट्टेधारक बेच चुके अपनी भूमि
सरकार ने दशकों पहले नदी श्रेणी की भूमि में जो पट्टे लोगों को अवंटित किए थे, उन पर भूमिधरी अधिकार मिलते ही वह बेचे जा चुके हैं। इस तरह की जमीनें बड़े पैमाने पर एक नहीं, बल्कि कई दफा बेची जा चुकी हैं। ऐसे में प्रशासन के नोटिस पट्टेधारक के नाम पर पहुंच रहे हैं, जबकि उन पर अब कोई और काबिज हैं।
सरकार की यह चूक अब बड़ी परेशानी बनने वाली हैं। क्योंकि जब इस तरह के प्रकरणों में सुनवाई होगी तो पट्टेधारक को हाजिर कर पाना टेढ़ी खीर होगा। अभी यह भी तय नहीं है कि जो पट्टेधारक जमीन बेच चुके हैं, कार्रवाई की जद में वह आएंगे या काबिज लोगों का आवंटन निरस्त किया जाएगा।
फिलहाल, प्रशासन ने अपनी जान बचाने के लिए शासन के माध्यम से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है। अब कोर्ट का इस पर रुख क्या होगा, उससे भी काफी कुछ तस्वीर साफ हो जाएगी।
नोटिस पर होगी नियमानुसार सुनवाई
उत्तराखंड के राजस्व सचिव सुशील कुमार के मुताबिक, हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में नदी श्रेणी की भूमि पर कार्रवाई शुरू कर दी है। नोटिस भेजे जा रहे हैं और फिर नियमानुसार सुनवाई की जाएगी। इस बीच हाईकोर्ट का जो भी अन्य आदेश आता है, उसका भी अनुपालन कराया जाएगा।
सरकार की अनदेखी से उपजे हालात
न ही सरकार जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत नदी श्रेणी की भूमि पर पट्टे आवंटित करती, न ही यह नौबत खड़ी होती। क्योंकि अब प्रशासन की यह कार्रवाई बड़ी संख्या में तोडफ़ोड़ का कारण भी बन सकती है।
गोल्डन फॉरेस्ट में भी यही हुआ
वर्ष 1997 में जब गोल्डन फॉरेस्ट व उसकी सहायक कंपनियों की करीब 500 हेक्टेयर भूमि को सरकार में निहित किया गया था, तब प्रशासन व पुलिस पर इनकी निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बावजूद इसके यह जमीनें बिकती चली गईं और जब मामला सुप्रीम कोर्ट में जमीनों की नीलामी के लिए पहुंचा तो अधिकारियों के पसीने छूट गए। क्योंकि इन जमीनों पर बड़ी संख्या में भवन खड़े हो चुके हैं। अभी भी यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है और कभी भी बड़े स्तर पर कार्रवाई की नौबत आ सकती है।
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