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    देहरादून में डेंगू के साथ अब स्क्रब टाइफस का भी खतरा, दो मरीज भर्ती

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 01:57 PM (IST)

    देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्क्रब टाइफस से पीड़ित दो बच्चे भर्ती हुए हैं। डॉक्टरों के अनुसार दोनों की हालत स्थिर है। यह बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होती है जो माइट्स में पाया जाता है। लक्षणों में तेज बुखार सिरदर्द और शरीर पर लाल दाने शामिल हैं। बचाव के लिए साफ-सफाई और सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

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    चिकित्सकों ने दी सावधानी बरतने की सलाह. Concept Photo

    जागरण संवाददाता, देहरादून। डेंगू के बढ़ते प्रकोप के बीच अब स्क्रब टाइफस के मरीज भी सामने आने लगे हैं। दून मेडिकल कeलेज अस्पताल में स्क्रब टाइफस से पीड़ित दो बच्चे भर्ती हैं, जिनकी हालत फिलहाल स्थिर है।

    जानकारी के अनुसार, पौड़ी गढ़वाल निवासी 15 वर्षीय मानसी सात दिन से तेज बुखार और चार दिन से पेट दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची थी। जांच में स्क्रब टाइफस की पुष्टि होने पर उसे आईवी एंटीबायोटिक और सहायक उपचार शुरू किया गया।

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    वहीं, घनसाली निवासी 11 वर्षीय आशुतोष को सात दिन से बुखार था और भर्ती के समय उसका ब्लड प्रेशर भी लो था। जांच में उसमें भी स्क्रब टाइफस पाया गया। बाल रोग विभागाध्यक्ष डा. अशोक कुमार ने बताया कि सिरदर्द, तेज बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द, त्वचा पर लाल दाने और माइट्स के काटने वाली जगह पर काला गोल निशान इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।

    दोनों बच्चों का उपचार डा. तन्वी की देखरेख में किया जा रहा है और उनकी स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है।डा. अशोक ने बताया कि यह रोग ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होता है, जो माइट्स में पाया जाता है।

    माइट्स आमतौर पर दुधारू व कृषि उपयोगी मवेशियों, जंगलों और बगीचों में रहते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में गोशालाएं घरों से सटी होने के कारण माइट्स घरों में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं और संक्रमण फैला देते हैं। इसलिए संक्रमण की रोकथाम के घरों और जानवरों की साफ-सफाई पर जोर देना और सावधानी बरतना जरूरी है।

    ऐसे करें बचाव

    • दुधारू और कृषि उपयोगी पशुओं की रहने की जगह घर से दूर रखें।
    • कुत्ते, बिल्ली जैसे पालतू जानवरों की नियमित सफाई करें।
    • घर और आसपास की स्वच्छता बनाए रखें।
    • जंगल, घास और बगीचे में जमीन पर न लेटें।
    • नंगे पैर न चलें, बड़ी झाड़ियों में जाने से बचें।
    • बुखार न उतरने या सांस फूलने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।