विज्ञानी करेंगे बांस और रिंगाल के उत्पादन में सहयोग
उत्तराखंड में बांस-रिंगाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सर्व कल्याण विकास समिति (एसकेवीएस) को विज्ञानियों का सहयोग भी मिलेगा। गुरुवार को समिति और भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में बांस-रिंगाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सर्व कल्याण विकास समिति (एसकेवीएस) को विज्ञानियों का सहयोग भी मिलेगा। गुरुवार को समिति और भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
कौलागढ़ स्थित परिसर में भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के निदेशक डॉ. आरएस यादव ने यह एमओयू होने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि बांस का पौधा अपार संभावनाएं रखता है। कई गुणों वाले इस पौधे को बढ़ावा देने की दृष्टि से यह एमओयू मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम नजर आएंगे और प्रदेश के किसानों को इसका पूरा लाभ मिलेगा। बताया कि इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश की बंजर भूमि पर मृदा एवं जल संरक्षण तकनीक से बांस के पौधों का रोपण कर भूमि की उर्वरकता बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा।
लंबे समय से केंद्र और राज्य सरकार बांस के प्लांटेशन के लिए किसानों और ग्राम पंचायतों को अनुदान दे रही है, लेकिन सही दिशा एवं ज्ञान के अभाव में इस अनुदान का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। कहा कि भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के अनुभवी विज्ञानियों के दिशा-निर्देशन में समिति प्रदेशभर के किसानों को वैज्ञानिक तरीकों से बांस-रिंगाल का प्लांटेशन और प्रबंध सिखा सकेगी। प्रदेशभर में करीब 76 हेक्टेयर भूमि पर बांस का रोपण किया जाएगा। यह पूरा अभियान प्रधान विज्ञानी डॉ. राजेश कौशल की निगरानी में चलाया जाएगा। डॉ. कौशल साल 2003 से बांस के पौधरोपण, प्रबंधन एवं संवर्धन के लिए काम कर रहै हैं।
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