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यहां नौ साल बाद खुले जूनियर हाईस्कूल डांगूठा के ताले, जानिए

त्यूणी में पिछले कई वर्षों से बंद पड़े 22 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों (जूहा) में से एक विद्यालय के ताले नौ साल बाद खुल गए।

By Edited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 09:51 PM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 02:57 PM (IST)
यहां नौ साल बाद खुले जूनियर हाईस्कूल डांगूठा के ताले, जानिए
यहां नौ साल बाद खुले जूनियर हाईस्कूल डांगूठा के ताले, जानिए

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v style="text-align: justify;">त्यूणी, चंदराम राजगुरु। चकराता ब्लॉक क्षेत्र के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में पिछले कई वर्षों से बंद पड़े 22 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों (जूहा) में से एक विद्यालय के ताले नौ साल बाद खुल गए। शिक्षा विभाग ने यहां अरसे बाद एक शिक्षक की तैनाती कर दी, जिससे विद्यालय में इसी सत्र से शिक्षण कार्य शुरू हो गया। नौ साल बाद खुले जूहा डांगूठा में 17 बच्चों ने कक्षा 6वीं में दाखिला कराया है। जिससे वीरान पड़े इस विद्यालय में रोनक लौट गई। एसएमसी अध्यक्ष ने कहा स्कूल में पठन-पाठन शुरू होने से दूर-दराज के छात्र-छात्राओं को पढ़ने के लिए अब 14 किमी राइंका भटाड़-कथियान नहीं जाना पड़ेगा। बरहाल क्षेत्र के बंद पड़े 21 अन्य जूहा के ताले कब खुलेंगे इसका जबाव किसी के पास नहीं है। सर्वशिक्षा अभियान का ये नारा सब पढ़ें, सब बढ़ें जौनसार-बावर में सार्थक नहीं हो रहा। 
सरकार और तंत्र की उदासीनता से ग्रामीण इलाकों में खोले गए कई राजकीय विद्यालय वर्षों से शिक्षकों की राह ताक रहे हैं। सरकार ने गांव-गांव में शिक्षा का उजियारा फैलाने को लाखों की लागत से विद्यालय भवन तो बना दिए पर इनके संचालन को नियमित शिक्षकों की तैनाती नहीं की। शिक्षकों की कमी से चकराता ब्लॉक क्षेत्र के 21 जूनियर हाईस्कूलों में ताले पड़े हैं। कहने को यहां 47 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय खोले गए हैं। जिसमें से सिर्फ 26 जूहा का ही संचालन हो रहा है, जबकि अन्य विद्यालय बंद पड़े हैं। 
नौ साल बाद शिक्षा विभाग ने जूहा डांगूठा में जैसे-तैसे एक शिक्षक की तैनाती कर दी। उप शिक्षाधिकारी चकराता पंकज कुमार के निर्देशानुसार सामान्य विषय के शिक्षक सेन सिंह रावत ने जूहा डांगूठा में कुछ दिनों पहले अपनी ज्वाइनिंग दे दी, जिससे यहां इसी सत्र 2019-20 से शिक्षण कार्य शुरू हो गया। शिक्षक के आने से वीरान पड़े जूहा डांगूठा में रोनक लौट गई। विद्यालय खुलने से यहां कक्षा 6वीं में 17 छात्र-छात्राओं ने दाखिला कराया है। विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष प्रेम सिंह चौहान, निहाल सिंह, नरेंद्र, राजू, शूरवीर, विक्रम व यशपाल आदि ने बताया कि जूहा डांगूठा पटियूड़, डांगूठा, ऐठान, खादरा समेत आसपास गांवों व तोक-मजरों के छात्र-छात्राओं के लिए नजदीक विद्यालय पड़ता है। 
नौ साल के लंबे इंतजार बाद विद्यालय भवन के ताले खुलने से ग्रामीण अभिभावकों के चेहरे खिल उठे हैं। एसएमसी अध्यक्ष प्रेम सिंह चौहान ने कहा शिक्षा विभाग को मानकों के अनुसार जूहा में तीन शिक्षकों की तैनाती करनी चाहिए। जिससे किसी शिक्षक के बीमार पड़ने या राजकीय कार्य से कहीं चले जाने पर शिक्षण कार्य सुचारु तरीके से चल सके। कहा विद्यालय खुलने से दूर-दूराज के छात्र-छात्राओं को अब पढ़ने के लिए 14 किमी दूर राइंका भटाड़-कथियान की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। उपशिक्षाधिकारी पंकज कुमार ने कहा क्षेत्र में बंद पड़े अन्य विद्यालयों को भी खोलने के प्रयास जारी हैं। जिनमें शिक्षकों की तैनाती को लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। 
21 बंद पड़े जूहा के कब खुलेंगे ताले 
चकराता ब्लॉक क्षेत्र में शिक्षकों की कमी से बंद पड़े जूहा बगूर, जूहा बानपुर, जूहा डिमिच, जूहा बृनाड़, जूहा दाबला, जूहा बनियाना, जूहा कांडा, जूहा खारसी, जूहा भूठ, जूहा कोटुवा, जूहा शिर्वा, जूहा म्यूंडा, जूहा निमगा, जूहा रजाणू, जूहा सहिया-तपलाड़, जूहा नायली, जूहा कुल्हा, जूहा छुमरा, जूहा डेरसा व जूहा इंद्रौली समेत 21 राजकीय विद्यालयों के ताले कब खुलेंगे लोगों को इसका इंतजार है। बरहाल लंबे समय से बंद पड़े इन विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती कब होगी इसका जबाव किसी के पास नहीं है।
ग्रामीणों ने चंदा जुटाकर चार साल चलाया स्कूल 
जूहा डांगूठा के वर्ष 2006 में खुलने के बाद शिक्षा विभाग ने यहां बच्चों के एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कराने को व्यवस्था पर एक शिक्षक भेजा था। जो कुछ समय बाद चला गया। शुरुआत में छात्रसंख्या 40 थी। शिक्षक के चले जाने से ग्रामप्रधान व ग्रामीणों ने आपस में चंदा जुटाकर बच्चों को पढ़ाने के लिए गांव के एक शिक्षित युवक को रखा था। जिसने वर्ष 2010 तक विद्यालय का संचालन किया। इस दौरान यहां अन्य विद्यालय से शिक्षक को बीच-बीच में व्यवस्था बनाने के लिए भेजे गए। वर्ष 2010 से विद्यालय बंद हो गया। नौ साल बाद जूहा डांगूठा में सिर्फ एक शिक्षक की तैनाती होने से कक्षा 7वीं के 18 छात्र-छात्राओं ने अपना दाखिला 14 किमी राइंका भटाड़ में कराया है।

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