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    देहरादून में मुफ्त ऑक्सीजन फ्लो मीटर बांट रहे सरदार सुरिंदर सिंह

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 05 May 2021 08:51 AM (IST)

    कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन और इससे संबंधित उपकरणों के लिए हाहाकार मचा है। इनकी कालाबाजारी तक हो रही है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आगे बढ़कर निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। ऐसे ही शख्स हैं गढ़ी कैंट निवासी सरदार सुरिंदर सिंह।

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    ऑक्सीजन सिलिंडर में खुद का बनाया ऑक्सीजन फ्लो मीटर लगाते सरदार सुरिंदर सिंह।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन और इससे संबंधित उपकरणों के लिए हाहाकार मचा है। इनकी कालाबाजारी तक हो रही है। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो आगे बढ़कर निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। ऐसे ही शख्स हैं गढ़ी कैंट निवासी सरदार सुरिंदर सिंह। वह जरूरतमंदों को निश्शुल्क ऑक्सीजन फ्लो मीटर उपलब्ध करा रहे हैं। खास बात यह है कि सुरिंदर जो ऑक्सीजन फ्लो मीटर जरूरतमंदों को दे रहे हैं, वह उन्होंने खुद बनाए हैं। अब तक वह 100 से अधिक व्यक्तियों को ऑक्सीजन फ्लो मीटर दे चुके हैं।

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    कोरोना की दूसरी लहर फेफड़ों को ज्यादा प्रभावित कर रही है। अधिकांश संक्रमितों को सांस लेने की समस्या हो रही है। इससे पूरे देश में ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है। इसके साथ ही ऑक्सीजन से संबंधित उपकरणों फ्लो मीटर, मास्क, ऑक्सीमीटर आदि की मांग भी बढ़ी है। दून में ऑक्सीजन की आपूर्ति तो पर्याप्त है, मगर उपकरणों का फिलहाल बाजार में टोटा चल रहा है। खासकर फ्लो मीटर ढूंढने से भी नहीं मिल रहा। ऐसे में सुरिंदर ने जरूरतमंदों को निश्शुल्क ऑक्सीजन फ्लोमीटर उपलब्ध कराने की नेक पहल की है।

    सुरिंदर ने बताया कि इसके लिए उन्होंने पहले अपने एक डॉक्टर मित्र की मदद से ऑक्सीजन फ्लो मीटर बनाने की प्रकिया जानी। सुरिंदर की फर्नीचर की दुकान है, लेकिन वह पिछले 15 दिन से इस दुकान में ऑक्सीजन फ्लो मीटर बनाने में जुटे हैं। इसके लिए दिन-रात उनके पास फोन आ रहे हैं। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ दिल्ली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर से भी लोग फ्लो मीटर की मांग कर रहे हैं।

    यह है फ्लो मीटर

    यह ऑक्सीजन सिलिंडर में लगने वाला एक यंत्र है। इसकी मदद से मरीज तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा का पता चलता है। फ्लो मीटर के माध्यम से ही प्रतिघंटे के हिसाब से मरीज को जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है, उतना प्रवाह छोड़ा जाता है।

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