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ऐतिहासिक झंडा मेला के लिए संगतें पहुंची देहरादून

दून में श्री झंडा मेला में विभिन्न राज्यों से संगतों के देहरादून पहुंचने का सिलसिला रविवार शाम तक जारी रहा। अब तक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान की संगत पहुंच चुकी हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 05 Mar 2018 01:04 PM (IST)Updated: Mon, 05 Mar 2018 09:03 PM (IST)
ऐतिहासिक झंडा मेला के लिए संगतें पहुंची देहरादून
ऐतिहासिक झंडा मेला के लिए संगतें पहुंची देहरादून

देहरादून, [जेएनएन]: द्रोणनगरी के ऐतिहासिक झंडे मेले के लिए दरबार साहिब रंग-बिरंगी रोशनी से नहा चुका है। श्री झंडा मेला में विभिन्न राज्यों से संगतों के देहरादून पहुंचने का सिलसिला रविवार शाम तक जारी रहा। 

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रविवार को नित्य पूजा-अर्चना के बाद श्री महंत देवेंद्र दास महाराज ने संगतों को दर्शन दिए। उन्होंने श्रद्धालुओं को श्री गुरुराम राय के बताए रास्ते पर चलकर जीवन में आदर्श स्थापित करने का आह्वान भी किया। अब तक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान की संगत पहुंच चुकी हैं। 

इसके बाद श्रीमहंत ने झंडे मेले के कुशल संचालन के लिए प्रबंधन और संगत को दिशा-निर्देश भी दिए। वहीं, दरबार साहिब में सादे और सनील के गिलाफ सिलने का काम भी शुरू हो गया है। दिनभर महिलाएं इस काम में जुटी रहीं। दरबार साहिब के प्रबंधक कैलाश चंद्र जुयाल ने बताया कि झंडा साहिब पर 41 सादे गिलाफ, 21 सनील के गिलाफ और एक दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है।

उन्होंने बताया कि दरबार साहिब की साज-सज्जा का काम पूरा हो चुका है। मंगलवार को मोथरोवाला से नए डंडेजी भी दरबार साहिब लाए जा चुके हैं। उन्हें तराशने का काम चल रहा है।

देहरादून के संस्थापक हैं श्री गुरु रामराय

श्री गुरु रामराय सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हरिहर राय के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनका जन्म होली के पांचवें दिन वर्ष 1646 को पंजाब के जिला होशियारपुर (अब रोपड़) के कीरतपुर में हुआ था। झंडा जी मेले का इतिहास देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा है। श्री गुरुरामराय जी का पदार्पण यहां सन 1676 में हुआ था। उन्होंने यहां की रमणीयता से मुग्ध होकर ऊंची-नीची धरती पर जो डेरा बनाया, उसी के अपभ्रंश स्वरूप से इस जगह का नाम डेरादीन से डेरादून और फिर देहरादून हो गया।

उन्होंने इस धरती को अपनी कर्मस्थली बनाया। गुरु महाराज ने दरबार में लोक कल्याण के लिए एक विशाल झंडा लगाकर लोगों को इसी ध्वज से आशीर्वाद प्राप्त करने का संदेश दिया। इसी के साथ झंडा साहिब के दर्शन की परंपरा शुरू हो गई। श्री गुरुराम राय को देहरादून का संस्थापक कहा जाता है। उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में ही झंडेजी मेला आयोजित होता है। 

सीएम ने प्रदेशवासियों को झंडा मेला की शुभकामनाएं दी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को देहरादून में आयोजित झंडा मेला की बधाई व शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, मानवता व विश्वास से ओत-प्रोत ऐतिहासिक झंडा मेला विशिष्ट परंपराओं को समेटे है। झंडा मेला विश्वास और श्रद्धाभाव का मेला है। उन्होंने कहा कि श्री गुरू राम राय जी महाराज की सीख एवं उनका संदेश आज कहीं अधिक प्रासंगिक है। हमें अपनी इस सौहार्दपूर्ण परम्परा को बनाये रखना है तथा समाज के हर वर्ग की राज्य के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करनी है।

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