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    Uttarakhand News: 12 साल से कागजों में चल रहा था राजाजी टाइगर रिजर्व फाउंडेशन, RTI से खुला राज; मचा हड़कंप

    राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे निर्माण के लिए एनओसी शर्तों के उल्लंघन का मामला सूचना आयोग पहुंचने पर उजागर हुआ। वर्षों से टाइगर रिजर्व फाउंडेशन में 5 लाख की धनराशि जमा नहीं कराई गई थी। सूचना आयोग में मामला उठने के बाद फाउंडेशन का गठन किया गया और आश्रम द्वारा धनराशि जमा की गई। जाँच में नियमों की अनदेखी और विभागीय लापरवाही सामने आई है।

    By Suman semwal Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 02 May 2025 10:48 AM (IST)
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    राजाजी टाइगर रिजर्व फाउंडेशन का एनओसी मामला। जागरण

    जागरण संवाददाता, देहरादून। राजाजी टाइगर रिजर्व जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र से सटे निर्माण की एनओसी देने के मामले में गंभीर बात पकड़ में आई है। जिस शर्त पर टाइगर रिजर्व प्रशासन ने निर्माण को एनओसी दी, इसकी एक शर्त के अनुसार टाइगर रिजर्व फाउंडेशन को वन्यजीव संरक्षण के कार्यों के लिए 05 लाख रुपए जमा कराए जाने थे। लेकिन, सालों तक भी धनराशि जमा नहीं कराई गई।

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    जब मामला सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक अपील के रूप में सूचना आयोग पहुंचा तो पता चला कि यह फाउंडेशन सिर्फ कागजों में संचालित हो रहा है। हालांकि, अब सूचना आयोग में मामला उजागर होने के बाद न सिर्फ फाउंडेशन का गठन किया गया है, बल्कि पांच लाख की धनराशि भी जमा करा दी गई है।

    गंगा दर्शन माई ग़िंदा कुंवर सुभाषघाट (हरिद्वार) के प्रबंधक रमेश चंद शर्मा ने राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के वन क्षेत्राधिकारी से आरटीआइ में एनओसी को लेकर जानकारी मांगी थी। जिसमें उन्होंने पूछा था कि मायापुर वन ब्लाक की सीमा पर निजी भूमि निर्मल पंचायती अखाड़ा की दी गई एनओसी और उसकी शर्तों के विपरीत किए गए निर्माण पर क्या कार्रवाई की गई। तय समय के भीतर उचित जानकारी न मिलने पर मामला सूचना आयोग पहुंचा। अपील पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त ने दी गई एनओसी और शर्तों के उल्लंघन पर पूरी रिपोर्ट तलब की।

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    पता चला कि यह एनओसी वर्ष 2013 में आवासीय निर्माण के लिए जारी की गई थी। जिसमें तय किया गया था कि संबंधित निर्माण से निकलने वाले प्रकाश को वन क्षेत्र में रोकने की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा राजाजी की तरफ ग्रीन बेल्ट बनाकर चौड़ी पत्ती की ऊंची प्रजाति का पौधारोपण किया जाएगा।

    वन्यजीवों के पीने के पानी के लिए बड़े वाटर होल बनाए जाएंगे, जैविक-अजैविक कूड़े का वैज्ञानिक विधि से निस्तारण कराया जाएगा और राजाजी टाइगर रिजर्व के टाइगर फाउंडेशन में 05 लाख की धनराशि दो वर्ष में दो समान किश्तों में प्रदान की जाएगी।

    राजाजी टाइगर रिजर्व।


    इन सभी नियमों की अनदेखी के साथ ही यह बात भी सामने आई कि बहुमंजिला निर्माण करते हुए वेडिंग प्वाइंट का भी निर्माण कर दिया गया है। मुख्य गेट भी पार्क की दिशा में खोला गया है। जिससे वन क्षेत्र की तरफ तेज रोशनी का रुख होता है। यह बात भी सामने आई कि एनओसी की शर्तों के विपरीत की गई गतिविधि को रोकने के नाम पर विभागीय अधिकारियों ने महज खानापूर्ति की है।

    इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने राजाजी टाइगर रिजर्व निदेशक से लेकर अन्य अधिकारियों से पूरी रिपोर्ट तलब की थी। जिसके क्रम में अधिकारियों ने बताया कि संबंधित आश्रम ने एनओसी की शर्तों का पालन शुरू कर दिया है।

    फाउंडेशन में धनराशि जमा कराने के साथ ही आश्रम से निकलने वाले तेज प्रकाश और स्पीकर की ध्वनि को वन क्षेत्र की तरफ जाने से रोकने के इंतजाम किए जा चुके हैं। टाइगर रिजर्व की तरफ चौड़ी पत्ती के ऊंची प्रजाति के वृक्षों की ग्रीन बेल्ट बनाने की कार्रवाई की धरातल पर शुरू की गई है और वर्षाकाल में पौधारोपण किया जाएगा।

    आरटीआई। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)


    इसके अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व में एक बड़ा वाटर होल बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है और जैविक-अजैविक कूड़े के उचित निस्तारण के लिए व्यवस्था बनाई गई है। आश्रम ने यह भरोसा भी दिलाया कि भविष्य में जो भी नियम लागू किए जाएंगे, उनका भी पालन किया जाएगा।

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    2021 से 2023 के बीच भेजे आठ पत्र

    सूचना आयोग में यह बात भी सामने आई कि राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा में किए गए निर्माण में शर्तों के उल्लंघन पर वन्यजीव प्रतिपालक, हरिद्वार कार्यालय ने वर्ष 2021 से 2023 के बीच 08 पत्र जारी किए। जिसमें मानकों का पालन न करने की दशा में एनओसी निरस्त किए जाने की चेतावनी जारी की गई थी।

    हालांकि, अधिकारियों ने धरातल पर कुछ नहीं किया। इससे भी पता चलता है कि टाइगर रिजर्व प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अति संवेदनशील वन क्षेत्र में नियमों का पालन कराने में किस कदर हीलाहवाली बरतते रहे।