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    एम्स ऋषिकेश में प्रोस्टेट कैंसर की रोबोटिक सर्जरी है उपलब्ध, जा‍निए प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 07 Jun 2019 08:32 AM (IST)

    एम्स संस्थान उत्तराखंड का पहला अस्पताल है। जहां रोबोटिक तकनीक जैसी अत्याधुनिक विधि द्वारा प्रोस्टेट कैंसर का उपचार किया जा रहा है।

    एम्स ऋषिकेश में प्रोस्टेट कैंसर की रोबोटिक सर्जरी है उपलब्ध, जा‍निए प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण

    ऋषिकेश, जेएनएन। एम्स ऋषिकेश में प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम के लिए आधुनिक तकनीक रोबोटिक सर्जरी उपलब्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि एम्स संस्थान उत्तराखंड का पहला अस्पताल है। जहां रोबोटिक तकनीक जैसी अत्याधुनिक विधि द्वारा प्रोस्टेट कैंसर का उपचार किया जा रहा है। भारत में प्रोस्टेट कैंसर की दर प्रति लाख पर 9-10 है, जो कि एशिया के अन्य हिस्सों से अधिक है। इसमें कोई संदेह नहीं किया महानगरों में यह अनुपात बदल रहा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी सीमित संसाधन व जनजागरुकता की कमी की वजह से मृत्यु दर अधिक है। एम्स के यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अकुर मित्तल ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती स्थिति में पता चल जाने पर इसका पूर्ण उपचार संभव है। जीवनशैली में बदलाव के कारण भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। 

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    क्या होता है प्रोस्टेट कैंसर 

    प्रोस्टेट अखरोट के आकार की एक छोटी ग्रंथी है, जो कि पेशाब की थैली के आगे वाले भाग में स्थित होती है। यह एक विशेष प्रकार का द्रव्य उत्पादित करती है जिसमें शुक्राणु ट्रांसपोर्ट होते हैं। यह तरल पदार्थ वीर्य का हिस्सा होता है। डॉ. मित्तल ने बताया कि आमतौर पर प्रोस्टेट ग्रंथी का वजन 18 ग्राम के आसपास होता है, मगर उम्र के साथ साथ ग्रंथी का वजन भी बढ़ने लगता है और इसका वजन 30 से 35 ग्राम व इससे भी अधिक हो जाता है। ग्रंथी का आकार बढ़ने पर यह मूत्र मार्ग पर दबाव डालता है जिससे मूत्र का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। उन्होंने बताया कि आकार का बढ़ना सामान्य प्रक्रिया भी हो सकती है अथवा इसकी वजह कैंसर भी हो सकती है। दोनों ही परिस्थितियों में लगभग समान लक्षण प्रकट होते हैं लिहाजा कैंसर को प्रारंभिक अवस्था में पकड़ने के लिए विशेष जांच की जरूरत होती है।

    प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण 

    बार-बार पेशाब आना खासतौर पर रात के समय, पेशाब करने में समस्या होना, रुक-रुककर पेशाब आना, पेशाब की धार कमजोर होना, पेशाब करते समय दर्द एवं जलन होना तथा पीठ, जांच व कूल्हे की हड्डियों में दर्द रहना आदि हैं। 

    रोबोटिक तकनीक के फायदे 

    प्रोस्टेट ग्रंथी की शरीर में जटिल बनावट के कारण परंपरागत सर्जरी से ऑपरेशन कठिन होता है। रोबोटिक तकनीक से प्रोस्टेट ग्रंथी तथा उसके आसपास की नसें स्पष्ट दिखाई देती हैं तथा ज्यादा लचीले एवं घुमाने में आसान रोबोटिक उपकरणों के इस्तेमाल से सर्जरी ज्यादा सफल रहती है, साथ ही रिकवरी तेजी से होती है। 

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