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    Road Safety With Jagran: दुर्घटनाओं में घायलों की मदद करें, कमाएं पुण्य और पाएं सम्मान

    By Vikas gusainEdited By: Sunil Negi
    Updated: Wed, 23 Nov 2022 07:54 PM (IST)

    Road Safety With Jagran दुर्घटनाओं में घायलों की मदद करें और कमाएं पुण्य और साथ में पाएं सम्मान भी। दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने वालों के लिए पुलिस के माध्यम से गुड सेमेरिटन योजना शुरू की गई।

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    देहरादून के राजपुर रोड के समीप कार से टकराई स्कूटी। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, देहरादून: Road Safety With Jagran: यह सही है कि हादसों को पूरी तरह रोक पाना मुश्किल है, लेकिन मदद को उठे आपके हाथ कई घायलों का जीवन बचा सकते हैं। मानवीय दृष्टिकोण से देखें तो यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि कहीं कोई दुर्घटना होने पर बगैर देरी किए घायलों को अस्पताल पहुंचाया जाए।

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    चिकित्सक को भी चाहिए कि वह कागजी मकड़जाल में उलझने के बजाय घायल का जीवन बचाने में जुट जाए। अब प्रश्न यह है कि इस आदर्श स्थिति को लेकर क्या हम संवेदनशील हैं।

    घायलों को अस्पताल तक ले जाने में हिचकते हैं लोग

    अमूमन देखा जाता है कि पुलिस का भय और कानूनी पेच को देखते हुए घायलों को अस्पताल तक ले जाने में लोग हिचकते हैं। इसे देखते हुए आमजन को घायलों की मदद को प्रेरित करने के लिए प्रदेश में अब गुड सेमेरिटन योजना शुरू की गई है, जिसके तहत घायलों की मदद करने वालों को दो से 25 हजार रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साथ ही उन्हें कानूनी पेच से दूर रखा जाएगा। सड़क सुरक्षा कोष से इस योजना के लिए पुलिस को पांच लाख रुपये दिए जा चुके हैं, जबकि केंद्र सरकार ने भी परिवहन विभाग के लिए इतनी ही राशि स्वीकृत की है।

    हर साल औसतन 750 को बनना पड़ता है काल का ग्रास

    उत्तराखंड में हर साल औसतन 1200 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें औसतन 750 व्यक्तियों को असमय काल का ग्रास बनना पड़ता है। विशेषज्ञों ने यह पाया है कि सड़क दुर्घटना होने पर घायलों के लिए पहला घंटा महत्वपूर्ण होता है, जिसे गोल्डन आवर कहते हैं। यदि इस अवधि के भीतर गंभीर घायल को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसका जीवन बचाने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है। कई बार देखने में आता है कि घायलों की मदद को जल्दी से कोई आगे नहीं आता। इसके पीछे कई कारण हैं। मसलन, घायल को अस्पताल में ले जाने में होने वाला खर्च, अस्पताल में होने वाली पूछताछ और इसके बाद कानूनी पचड़ों का भय। उस पर संवेदनाएं तब शून्य हो जाती हैं, जब घायल को अस्पताल पहुंचाने पर इसके पुलिस केस होने की बात कही जाती है।

    ऐसे में बचाव एवं राहत टीमें जब तक दुर्घटनास्थल तक पहुंच घायलों को अस्पताल ले जाती हैं, तब तक घायल व्यक्ति का काफी खून बह चुका होता है। कई बार अंदरूनी चोट समय से उपचार के अभाव में घातक बन जाती है। इस सबको देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को गुड सेमेरिटन योजना शुरू करने के निर्देश दिए। यही नहीं, हाल में हुई परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस योजना को जल्द शुरू करने को कहा और अब इसे लागू भी कर दिया गया है। उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा के लिए गठित लीड एजेंसी के अध्यक्ष व संयुक्त आयुक्त परिवहन एसके सिंह के अनुसार यह योजना पुलिस के माध्यम से शुरू की गई है। इसके लिए पुलिस को धनराशि भी उपलब्ध करा दी गई है। जल्द ही परिवहन विभाग भी इसे शुरू करेगा।

    ऐसे कर सकते हैं आवेदन

    गुड समेरिटन योजना के तहत पुलिस ने दो से लेकर 25 हजार रुपये तक की प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है। इसके लिए एक प्रारूप बनाया गया है। आवेदक निर्धारित प्रारूप भरकर इसे सीधे पुलिस मुख्यालय, जिले के यातायात कार्यालय, क्षेत्राधिकारी यातायात कार्यालय, पुलिस अधीक्षक यातायात कार्यालय, वरिष्ठ व पुलिस अधीक्षक कार्यालय, यातायात निदेशालय को वाट्सएप, ई-मेल, इंटरनेट मीडिया, डाक के माध्यम से अथवा स्वयं उपस्थित होकर दे सकते हैं। पीडि़त की सहायता से संबंधित तथ्य अखबार की कटिंग, इंटरनेट मीडिया स्क्रीन शाट, फोटो, वीडियो आदि भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

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