Road Safety With Jagran: जांच का स्तर बढ़ा रहा है दुर्घटना के पीड़ितों का दर्द, 1100 से अधिक मामले हैं लंबित
Road Safety With Jagran उत्तराखंड की विभिन्न अदालतों में चल रहे वाहन दुर्घटना प्रतिकर के 1661 मामलों में से 554 का ही निस्तारण हो पाया है। वहीं 1107 मामले लंबित चल रहे हैं। ऐसे में पीड़ित और उनके स्वजन का परेशान होना स्वाभाविक है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: सड़क दुर्घटनाओं के मामले में विभागीय जांच और पैरवी के मोर्चे पर ठोस पहल न होने से पीड़ितों पर जल्द मरहम नहीं लग पा रहा। ऐसे में पीड़ित अथवा उनके स्वजन का परेशान होना स्वाभाविक है। उत्तराखंड का परिदृश्य तो कुछ यही बयां कर रहा है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो प्रदेश की विभिन्न अदालतों में चल रहे वाहन दुर्घटना प्रतिकर (एमएसीटी) के 1661 प्रकरणों में से अभी तक 554 का ही निस्तारण हो पाया है। 1107 मामलों में प्रभावितों को इनके निस्तारित होने की प्रतीक्षा है।
लंबी चलती हैमामलों की सुनवाई
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं और इनमें हताहत होने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। इसके साथ ही अदालतों में वाहन दुर्घटना प्रतिकर के वादों की संख्या भी बढ़ रही है। अमूमन देखा गया है कि इन मामलों की सुनवाई लंबी चलती है। कारण यह कि पुलिस और परिवहन विभाग की ओर से दुर्घटना की जांच के जो साक्ष्य व तथ्य रखे जाते हैं, वे कई बार अधूरे होने के कारण कमजोर पड़ जाते हैं। इससे दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए तारीख आगे बढ़ानी पड़ती है।
जांच का कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं
दरअसल, प्रदेश में अभी दुर्घटनाओं की जांच का कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं है। दुर्घटनाओं की जांच में प्रत्यक्षदर्शियों के बयान, स्थलीय निरीक्षण व वाहन से संबंधित जानकारी को ही आधार बनाया जाता है। ऐसे में कई बार जांच रिपोर्ट पर सवाल उठते आए हैं। बीमा कंपनियों के साथ ही वाहन स्वामी भी इन पर आपत्ति लगाते हैं। इस सबके चलते मामलों की सुनवाई लंबी खिंचती है।
लोक अदालतों में 554 मामले निस्तारित
सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में लोक अदालतें अब राहत दिला रही हैं। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से प्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित लोक अदालतों में इस साल अब तक 554 मामलों का निस्तारण किया गया। इनमें पीडि़तों के लिए 43.37 करोड़ की समझौता राशि तय की गई।
वैज्ञानिक जांच को अब बढ़ रहे कदम
दुर्घटनाओं की वैज्ञानिक तरीके से जांच की दिशा में अब कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इस कड़ी में सड़क सुरक्षा के लिए गठित लीड एजेंसी सभी जिलों में परिवहन, पुलिस व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को वैज्ञानिक विधि से जांच करने का प्रशिक्षण देने की योजना बना रही है। इसके लिए सड़क दुर्घटना की जांच का अध्ययन करने वाली संस्थाओं से विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया जा रहा है।
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