सड़क सुरक्षा के लिए अब उठ रहे हैं सार्थक कदम
प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर अब थोड़ी गंभीरता नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सड़क सुरक्षा को लेकर बनाई गई समिति के निर्णयों के क्रम में राज्य में भी परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में राज्य सड़क सुरक्षा परिषद का गठन किया गया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर अब थोड़ी गंभीरता नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सड़क सुरक्षा को लेकर बनाई गई समिति के निर्णयों के क्रम में राज्य में भी परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में राज्य सड़क सुरक्षा परिषद का गठन किया गया है। इसके साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति बनाई गई है। परिषद और समिति की नियमित अंतराल में बैठकें हो रही हैं और अब धरातल पर भी इनके निर्देशों का अनुपालन होता नजर आ रहा है।
देश भर में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर गठित सड़क सुरक्षा समिति लगातार सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर रही है। समिति ने हर राज्य में सड़क सुरक्षा के लिए परिषद और समितियों का गठन करने को कहा है। इस कड़ी में प्रदेश में सड़क सुरक्षा के लिए चार स्तरीय समितियां बनाई गई हैं। इनमें परिषद और समिति परिवहन मंत्री और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई है। सड़क सुरक्षा परिषद के सचिवालय के रूप में कार्य करने को लीड एजेंसी का गठन किया गया है, जिसकी कमान संयुक्त परिवहन आयुक्त को सौंपी गई है। इसके बाद जिला स्तर पर भी सड़क सुरक्षा समितियों का गठन किया गया है।
प्रदेश में सड़क सुरक्षा कोष की स्थापना की जा चुकी है। इस कोष में सड़क सुरक्षा के लिए 21 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसमें से परिवहन विभाग को 3.30 करोड़, पुलिस विभाग को 6.58 करोड़, लोक निर्माण विभाग को 7.62 करोड़ और चिकित्सा विभाग को 1.50 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई है।
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ये भी उठाए गए हैं कदम
- उत्तराखंड सड़क परिवहन दुर्घटना राहत निधि का गठन: दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए उत्तराखंड सड़क परिवहन दुर्घटना राहत निधि का गठन किया गया है। इस निधि से सार्वजनिक वाहनों के यात्रियों की दुर्घटना की स्थिति में मृतक आश्रित एवं घायलों को आर्थिक सहायता दी जाती है। इसमें मृतक के आश्रितों को एक लाख रुपये, गंभीर घायल को 40 हजार और साधारण घायल को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
- वाहनों में स्पीड गवर्नर स्थापित करना: इसके अंतर्गत ओवर स्पीडिंग पर नियंत्रण के लिए सभी प्रकार के व्यावसायिक चार पहियां वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य किया गया है। इसके लिए 24 कंपनियों को अधिकृत किया गया है।
- सार्वजनिक सेवायानों में वीलटी डिवाइस : परिवहन विभाग ने अब सार्वजनिक वाहनों पर व्हीकल लोकेशन ट्रेसिंग (वीएलटी) डिवाइस लगाना अनिवार्य किया है। इसके लिए 16 कंपनियों को अधिकृत किया गया है। अभी तक 7000 वाहनों में यह डिवाइस लगाई जा चुकी है।
- चालक प्रशिक्षण संस्थान का निर्माण: प्रदेश में वाहन चालकों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए देहरादून में चालक प्रशिक्षण संस्थान खोला गया है। यहां हिल ट्रेक का भी निर्माण किया गया है।
- व्यावसायिक वाहनों के लिए रिफ्रेशर कोर्स: प्रदेश में व्यावसायिक वाहन चालकों के लाइसेंस के नवीनीकरण के दौरान उन्हें दो दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स कराना भी अनिवार्य किया गया है। अभी तक एक लाख चालकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
- उत्तराखंड सड़क परिवहन दुर्घटना राहत निधि का गठन: दुर्घटनाओं पर रोकथाम के लिए उत्तराखंड सड़क परिवहन दुर्घटना राहत निधि का गठन किया गया है। इस निधि से सार्वजनिक वाहनों से संबंधित यात्रियों की दुर्घटना की स्थिति में मृतक आश्रित एवं घायलों को आर्थिक सहायता दी जाती है। इसमें मृतक के आश्रितों को एक लाख रुपये, गंभीर घायल को 40 हजार और साधरण घायल को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
- सीपीयू का गठन एक: प्रदेश में सड़क सुरक्षा व यातायात सुधारने के लिए पुलिस की ओर सिटी पेट्रोल यूनिट का गठन किया गया है। अभी देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में सीपीयू तैनात हैं। सिटी पेट्रोल यूनिट के गठन के बाद यातायात व्यवस्था में काफी सुधार देखने को मिला है। अब सीपीयू को राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी जांच का काम सौंपा जा रहा है।