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उत्तराखंड में फिर बसेगा गेंडों का संसार, जिम कॉर्बेट में सैलानी कर सकेंगे दीदार

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में दस गेंडे लाने के प्रस्ताव को सहमति मिल गई है। इसके तहत असम और बंगाल से ये गेंडे लाए जाएंगे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 06:34 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 08:37 PM (IST)
उत्तराखंड में फिर बसेगा गेंडों का संसार, जिम कॉर्बेट में सैलानी कर सकेंगे दीदार

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में गैंडों का संसार फिर से बसाने की तैयारी है और कार्बेट टाइगर रिजर्व में यह जल्द ही देखने को मिलेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता और वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत की मौजूदगी में मंगलवार को सचिवालय में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति दे दी गई। भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोध के आधार पर तैयार चार करोड़ के इस प्रोजेक्ट के तहत पश्चिम बंगाल और असोम से यहां 10 गैंडे लाए जाएंगे।

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वन्यजीव बोर्ड की बैठक में भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से कार्बेट में गैंडे लाए जाने के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया गया। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज के मुताबिक इतिहास में उत्तराखंड में एक दौर में गैंडों की मौजूदगी का उल्लेख मिलता है। इसी के मद्देनजर इन्हें फिर से यहां लाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि कार्बेट टाइगर रिजर्व की भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियां गैंडों के लिए अनुकूल हैं। इनके आने से जैव विविधता सशक्त होगी और मानव के साथ संघर्ष की संभावना भी शून्य रहेगी। यही नहीं, इससे पर्यटन की गतिविधियां भी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि कोशिश ये है कि सभी औपचारिकताएं पूरी कर अगले तीन-चार माह में गैंडों की यहां बसागत कर ली जाए।

गुलदार व सूअरों को नियंत्रित करेंगे वाइल्ड डॉग

वन्यजीव बोर्ड की बैठक में राज्य में प्रायोगिक तौर पर वाइल्ड डॉग लाने पर भी सहमति जताई गई। बताया गया कि ये राजाजी टाइगर रिजर्व में लाए जाएंगे और वहां इनके लिए अनुकूल माहौल भी है। इन्हें लाने से गुलदारों के साथ ही सूअरों की संख्या प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

बंदरों के लिए बनेंगे प्राकृतिक बाड़े

बंदरों के एक बड़ी समस्या के रूप में उभरने का मसला भी बोर्ड बैठक में उठा। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक के मुताबिक तय हुआ कि बंदरों के बंध्याकरण की मुहिम तेज करने के साथ ही गढ़वाल व कुमाऊं में 100-100 हेक्टेयर वन क्षेत्र में प्राकृतिक तौर पर बाड़े बनाए जाएंगे। इनमें 20 से 25 हजार के करीब बंदर रखे जाएंगे। साथ ही जनभावनाओं को भी जोडऩे का प्रयास होगा। लोगों से कहा जाएगा कि यदि वे बंदरों को कुछ देना चाहते हैं तो इन बाड़ों में दें।

हिमाचल की तर्ज पर घोषित करें वर्मिन

बंदरों के उत्पात और खौफ को देखते हुए हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी बंदर को वर्मिन (पीड़क जंतु) घोषित करने पर जोर दिया गया। कहा गया कि राज्य में बंदरों की अत्यधिक संख्या और इनके कारण खेती-बाड़ी व संपत्तियों को हो रहे नुकसान के मद्देनजर इसे वर्मिन घोषित किया जाना चाहिए। इस सिलसिले में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया।

जंगली सूअर मारने को बढ़े अवधि

राज्य में फसलों के साथ ही जनसामान्य के लिए मुसीबत बने जंगली सूअरों को वर्मिन घोषित किए जाने की अवधि बीती 12 नवंबर को खत्म हो चुकी है। यह अवधि बढ़ाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने का निश्चय किया गया।

गर्तांगली में बनेगा सीढ़ीनुमा मार्ग

चीन सीमा से सटे गंगोत्री नेशनल पार्क में स्थित गर्तांगली में सीढ़ीनुमा मार्ग निर्माण के प्रस्ताव को भी बोर्ड ने अनुमोदित कर दिया। गर्तांगली ट्रेल में दो किमी मार्ग बना है, लेकिन इससे आगे सीढ़ीनुमा मार्ग का निर्माण शेष है। यह कार्य कराने के मद्देनजर नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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ये भी हुए निर्णय

-मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रभावित गांवों में जल्द गठित होगी वालेंटरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स

-कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ और हाथी की अधिकतम धारण क्षमता का होगा अध्ययन

-संरक्षित क्षेत्रों के निकट टोंगिया व अन्य गांवों में सोलर लाइट, शौचालय जैसी सुविधाएं होंगी उपलब्ध

-मछली पकडऩे में अवैधानिक तरीके रोकने को युमंद, ममंद व वन पंचायतों का लेंगे सहयोग

-संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत व इनके 10 किमी की परिधि में आने वाली वन भूमि हस्तांतरण व अन्य प्रकरणों को मंजूरी।

-सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं का होगा संरक्षण

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