National Education Policy 2020: अनुसंधान व रोजगार है नई शिक्षा नीति का मूलमंत्र
डॉ. विजय धस्माना (कुलपति स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय उत्तराखंड) का कहना है कि ई शिक्षा नीति के लिए देश को 34 वर्ष तक इंतजार करना पड़ा।
देहरादून, जेएनएन। डॉ. विजय धस्माना (कुलपति, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, उत्तराखंड) का कहना है कि ई शिक्षा नीति के लिए देश को 34 वर्ष तक इंतजार करना पड़ा। इतनी महत्वपूर्ण नीति को अंतिम रूप देने से पहले लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक और 676 जिलों के लोगों से सुझाव लिए गए। देश के इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी नीति के निर्धारण के लिए इतने बड़े स्तर पर आमजन और शिक्षाविदों की राय ली गई हो।
नई शिक्षा नीति देश के नव निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी। इसे लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई, वह प्रशंसनीय है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने इसे वृहद रूप देकर उसकी उपयोगिता को और अधिक सार्थक बनाया है। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति समिति के अध्यक्ष डॉ. कस्तूरीरंगन व उनकी टीम का अथक प्रयास भी समाहित है। देश में विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए कई स्तरों पर सुधार व परिवर्तन की आवश्यकता थी।
इसे ध्यान में रखते हुए ही नई शिक्षा नीति में प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा में व्यापक परिवर्तन की योजना बनाई गई है। स्कूली शिक्षा में वर्ष 2030 तक शत प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य रखा गया है। पांचवीं कक्षा तक की शिक्षा क्षेत्रीय या मातृ भाषा में प्रदान किए जाने का निर्णय भी सराहनीय है। क्षेत्रीय परिवेश में शिक्षा ग्रहण करना बच्चों के लिए सुलभ होता है। इससे वह स्कूल जाने के लिए उत्सुक रहेंगे और शिक्षा ग्रहण करना उन्हें बोझ नहीं लगेगा। क्षेत्रीय या मातृ भाषा में शिक्षा प्रदान करने में अध्यापकों को भी सहूलियत होगी।
नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन अनुपात को वर्ष 2035 तक 50 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए लगभग तीन सौ अनुसंधान विश्वविद्यालय, दो हजार शिक्षण व अनुसंधान विश्वविद्यालय, 10 हजार स्वायत्त डिग्री कॉलेज स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान में बहुत कम विश्वविद्यालयों में गुणवत्ता के साथ अनुसंधान किए जा रहे हैं। अनुसंधान का उद्देश्य सिर्फ पदोन्नति पाने तक ही सीमित रह गया है।
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शोधपत्रों का गुणवत्ता के साथ प्रकाशन भी नहीं हो रहा है। अब अनुसंधान विश्वविद्यालयों के अस्तित्व में आने से युवा गुणवत्तापरक शोध पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करेंगे। नई शिक्षा नीति में वोकेशनल एजुकेशन (व्यावसायिक शिक्षा) को बड़े स्तर पर अपग्रेड करने की योजना है। जिस प्रकार उद्योगों के लिए स्पेशल आर्थिक जोन बनाए गए हैं, नई शिक्षा नीति में उसी तरह शिक्षा के लिए स्पेशल एजुकेशन जोन बनाने का प्रविधान किया गया है। उत्तराखंड के संदर्भ में इस तरह के स्पेशल एजुकेशन जोन बनने से निश्चित तौर पर पहाड़ में रहने वाले युवाओं को गुणवत्तापरक शिक्षा पहाड़ में ही मिल सकेगी।
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