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उत्‍तराखंड में वन्यजीवों के व्यवहार में बदलाव पर रिपोर्ट तलब

चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन राजीव भरतरी ने सभी नेशनल पार्क सेंचुरी और वन प्रभागों के प्रशासन से वन्यजीवों के व्यवहार पर रिपोर्ट मांगी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 08:36 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 08:36 AM (IST)
उत्‍तराखंड में वन्यजीवों के व्यवहार में बदलाव पर रिपोर्ट तलब
उत्‍तराखंड में वन्यजीवों के व्यवहार में बदलाव पर रिपोर्ट तलब

देहरादून, केदार दत्त। कोरोना वायरस पर नियंत्रण के मद्देनजर लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में वन्यजीवों के व्यवहार में क्या-क्या बदलाव देखने में आ रहे हैं, जल्द ही इसे लेकर तस्वीर साफ होगी। इन दिनों जिस तरह से वन क्षेत्रों से लगे शहरों, कस्बों व गांवों के साथ ही सड़कों के इर्द-गिर्द वन्यजीव बेखौफ विचरण कर रहे हैं, उसने मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। हालांकि, बीते 12 दिनों में वन्यजीवों के हमले की एक घटना को छोड़कर अन्य घटनाएं नहीं हुई, मगर जब लॉकडाउन खुलेगा और आवाजाही बढ़ेगी तो तब दिक्कतें बढ़ सकती हैं। इस सबके दृष्टिगत चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन राजीव भरतरी ने सभी नेशनल पार्क, सेंचुरी और वन प्रभागों के प्रशासन से वन्यजीवों के व्यवहार पर रिपोर्ट मांगी है।

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इन दिनों लोग घरों तक सीमित हैं तो प्रदेश में परिवहन सेवाएं बंद होने से आवाजाही नाममात्र की हो रही है। शहरों, कस्बों व गांवों के साथ ही सड़कों पर सन्नाटा है। इस परिदृश्य के बीच वन क्षेत्रों से लगे आबादी वाले इलाकों के साथ ही सड़कों पर हाथी, हिरन, गुलदार, बंदर जैसे जंगली जानवर निरंतर नजर आ रहे। फिर चाहे वह राजाजी और कार्बेट टाइगर रिजर्व से लगे क्षेत्र हों अथवा दूसरे संरक्षित- आरक्षित वन क्षेत्रों से लगे इलाके। सभी जगह तस्वीर एक जैसी है। 

शुक्र, इस बात का है कि देहरादून के रायपुर क्षेत्र में भालू के हमले की घटना को छोड़ किसी भी जगह वन्यजीवों के हमले अथवा सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने की बात सामने नहीं आई है। बावजूद इसके चिंता लगातार साल रही कि जिस तरह से बेजुबान धमक रहे हैं, वह कहीं इनके व्यवहार में बदलाव का संकेत तो नहीं। चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन राजीव भरतरी भी इससे इत्तेफाक रखते हैं। 

इसी के दृष्टिगत उन्होंने सभी संरक्षित-आरक्षित वन क्षेत्रों के प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है कि वर्तमान में वन्यजीवों के व्यवहार में क्या- क्या बदलाव दिख रहे हैं। भरतरी बताते हैं कि रिपोर्ट मिलने के बाद ये साफ हो सकेगा कि कौन-कौन सी जगहों पर वन्यजीव अधिक आ रहे हैं। ऐसे स्थल चिह्न्ति होने पर आने वाले दिनों में कदम उठाए जा सकेंगे। यदि कहीं, जानवरों का व्यवहार असामान्य लगता है तो इसे लेकर भी विशेषज्ञों से मंथन कर कदम उठाए जाएंगे।

शहर में आ रहे वन्य जीवों को रोकना चुनौती

वाहनों से पैक रहने वाली सड़कें और लोगों से खचाखच रहने वाला शहर इन दिनों सूना पड़ा है। लॉकडाउन के चलते लोग घरों में हैं, लेकिन अब वन्यजीव शहरों का रुख करने लगे हैं। हिरण, हाथी समेत अन्य जीवों की धमक के चलते अब वैन विभाग की चुनौतियां बढ़ गई हैं। विभागीय कर्मियों ने गश्त बढ़ा दी है और जंगल से सटे इलाकों पर निगरानी की जा रही है।

लॉकडाउन के चलते वन विभाग के सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। एक ओर जंगलों में वन तस्करों की सक्रियता की सूचनाएं तो दूसरी ओर शहरों का रुख कर रहे वन्य जीवों को रोकने की जिम्मेदारी। वैन कर्मियों ने वन क्षेत्र के साथ ही अब वन से सटे इलाकों में भी गश्त बढ़ा दी है। दरअसल, दून के अधिकांश इलाके इन दिनों सुनसान नजर आ रहे हैं। ऐसे में जो वन्यजीव अब तक जंगल और खेतों में दिखाई दे रहे थे, वे बेहद व्यस्त रहने वाले मार्गो पर नजर आने लगे हैं। 

बीते गुरुवार को जोहड़ी मुख्य मार्ग पर एक घर के गेट पर हिरण फंस गया। आसपास के कुत्‍तों ने उस पर हमला कर दिया। शोर सुनकर मकान मालिक सुदीप गुरुंग और पड़ोसी सुनील गुरुंग, राजेश सेन बाहर आए। उन्होंने कुत्‍तों को भगाया व हिरण को गेट से निकाला। हिरण काफी जख्मी हो गया था। सूचना पर वन विभाग के कर्मी मौके पर पहुंचे और हिरण को उपचार के लिए ले गए। 

इसके अलावा हरिद्वार में हरकी पैड़ी में हाथी के धमकने और वहां स्नान करने की घटना ने सभी को चौंका दिया। यही नहीं इसके बाद डोईवाला और प्रेमनगर से भी सड़कों पर हाथी घूमने की चर्चाएं रहीं। यह सब देखते हुए वन विभाग भी सतर्क हो गया है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज ने तमाम अधिकारियों को मुस्तैदी से कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने फील्डकर्मियों को गश्त बढ़ाने को कहा है। साथ ही जंगल से सटे रिहायशी इलाकों में कड़ी निगरानी के निर्देश दिए हैं। 

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उनका कहना है कि लॉक डाउन के कारण सड़कों पर वाहन नहीं चल रहे हैं। साथ ही लोग भी वन क्षेत्रों की ओर नहीं जा रहे हैं। ऐसे में चारों ओर शोर-शराबा काफी कम हो गया है। वन्य जीव शांतिपूर्ण वातावरण के कारण ही शहर तक पहुंच रहे हैं। उन्हें किसी से खतरा भी महसूस नहीं हो रहा है। वन विभाग लोगों और वन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति गंभीर है। 

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