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Coronavirus: प्रशिक्षु आइएफएस के श्वसन तंत्र तक नहीं पहुंचा वायरस, रिपोर्ट आई निगेटिव

पहले कोरोना पॉजीटिव मरीज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के प्रशिक्षु आइएफएस की हालत में तेजी से सुधार हुआ है। तकरीबन आठ दिनों के इलाज के बाद अब उनकी स्थिति सामान्य है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 25 Mar 2020 01:12 PM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2020 09:40 PM (IST)
Coronavirus: प्रशिक्षु आइएफएस के श्वसन तंत्र तक नहीं पहुंचा वायरस, रिपोर्ट आई निगेटिव
Coronavirus: प्रशिक्षु आइएफएस के श्वसन तंत्र तक नहीं पहुंचा वायरस, रिपोर्ट आई निगेटिव

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के पहले कोरोना पॉजीटिव मरीज, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के प्रशिक्षु आइएफएस की हालत में तेजी से सुधार हुआ है। तकरीबन आठ दिनों के इलाज के बाद अब उनकी स्थिति सामान्य है। उनकी हालिया रिपोर्ट निगेटिव आई है। हालांकि अभी 14 दिन तक उन्हें चिकित्सकों की निगरानी में अस्पताल में ही आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा।

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स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया कि इलाज के बाद मरीज का सैम्पल जांच के लिए हल्द्वानी लैब भेजा गया था। जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। यह राहत की बात है। पर अभी एक बार पुन: सैंपल की जांच होने के बाद ही वह कोरोना मुक्त कहा जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पॉजीटिव केस में कम से कम दो बार पुन: जांच पर रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही व्यक्ति को स्वस्थ कहा जाता है। तभी उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है।

बहरहाल, प्रशिक्षु आइएफएस का उपचार करने वाली डॉक्टरों की टीम हालिया रिपोर्ट से उत्साहित है। राज्य में कोरोना का यह पहला मामला था। अस्पताल में कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि मरीज को एंटी मलेरियल ड्रग क्लोरोक्वीनीन की डोज दी गई। इसके अलावा अन्य दवाएं लक्षणों के आधार पर तय की गईं। उन्होंने बताया कि वायरस का असर मरीज के श्वसन तंत्र को प्रभावित नहीं कर पाया। जिस वजह से मरीज के फेफड़ों में कोई संक्रमण नहीं था। तकरीबन आठ दिन से मरीज का इलाज किया जा रहा है, लेकिन उसे कभी बुखार नहीं आया। हालांकि मरीज पर पूरी नजर रखी जा रही है।

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि मरीज की इम्युनिटी का भी इसमें बड़ा रोल है। उन्होंने कहा कि मरीज में वायरस का ज्यादा लोड नहीं था। लेकिन यदि मरीज कोई बुजुर्ग होता या उसमें पहले से कोई दूसरी बीमारी होती तो संक्रमण का स्तर अधिक हो सकता था।

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