अब अल्मोड़ा सीट से राज्य मंत्री रेखा आर्य ने ठोकी ताल
अब राज्य मंत्री रेखा आर्य ने अल्मोड़ा सुरक्षित सीट पर अपना दावा पेश कर दिया है। रेखा आर्य का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2014 में भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी।
देहरादून, विकास धूलिया। आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा के समक्ष अब एक नई और दिलचस्प चुनौती खड़ी होती नजर आ रही है। यह है प्रदेश सरकार के मंत्रियों द्वारा लोकसभा सीटों पर दावेदारी। हाल ही में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने नैनीताल संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की अपनी मंशा सार्वजनिक की और अब राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने अल्मोड़ा सुरक्षित सीट पर अपना दावा पेश कर दिया है। रेखा आर्य का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2014 में भी चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन तब पार्टी हाईकमान के कहने पर चुनाव नहीं लड़ा।
उत्तराखंड में भाजपा की पैठ खासी गहरी मानी जाती है। पिछले पांच सालों के दौरान भाजपा उत्तराखंड में लगभग अपराजेय स्थिति में रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पांचों सीटों पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की। इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 57 सीटों पर परचम फहराया। पार्टी की जीत का क्रम पिछले साल के आखिर में संपन्न नगर निकाय चुनावों में भी जारी रहा। कुल 84 निकायों के चुनाव में भाजपा ने 34 निकायों में निकाय प्रमुख के पदों पर कब्जा जमाया। इनमें राज्य के सात में से पांच नगर निगम के महापौर पद भी शामिल हैं।
दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव के समय से उत्तराखंड में कांग्रेस से दामन झटक भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं की संख्या खासी बड़ी रही। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज ऐन लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा में आए थे। वर्ष 2016 में, जब उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार की बागडोर हरीश रावत के हाथों में थी, तब पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व अमृता रावत सहित दस विधायकों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ली। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य भी भाजपा में शामिल हो गए।
इस राजनैतिक ध्रुवीकरण का नतीजा यह रहा कि एक ओर तो कांग्रेस में कद्दावर माने जाने वाले नेताओं की संख्या चुनिंदा रह गई, तो दूसरी तरफ भाजपा में बड़े नेताओं का जमावड़ा लग गया। हालांकि इनमें से अधिकांश वरिष्ठ नेता प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार का हिस्सा हैं लेकिन इसके बावजूद इन्होंने अब लोकसभा सीटों पर भी अपना दावा पेश कर पार्टी नेतृत्व के समक्ष दिलचस्प चुनौती खड़ी कर दी है। हाल ही में प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री यशपाल आर्य ने नैनीताल संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लडऩे की इच्छा सार्वजनिक की तो अब राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने अल्मोड़ा सुरक्षित सीट से चुनाव मैदान में उतरने के लिए दावा ठोक दिया है।
गौरतलब है कि यशपाल आर्य ने नैनीताल के मौजूदा सांसद भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव न लडऩे की स्थिति में ही अपनी दावेदारी की बात कही है जबकि अल्मोड़ा में ऐसा नहीं है। अल्मोड़ा संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व अजय टम्टा कर रहे हैं, जो उत्तराखंड से मोदी सरकार में एकमात्र मंत्री हैं। ऐसे में रेखा आर्य द्वारा अल्मोड़ा सीट से लोकसभा चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर किए जाने से हालात खासे दिलचस्प बनते नजर आ रहे हैं।
रेखा आर्य (बाल विकास एवं महिला सशक्तीकरण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार) का कहना है कि मैंने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने अनुमति नहीं दी। अब मैंने पार्टी नेतृत्व को अपनी दावेदारी से अवगत करा दिया है। अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान को ही लेना है। पार्टी जो भी निर्णय लेगी, मुझे स्वीकार होगा।
अजय भट्ट (प्रदेश अध्यक्ष भाजपा, उत्तराखंड) का कहना है कि पार्टी के किसी नेता द्वारा चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी पेश करना गलत बात नहीं, बल्कि यह तो एक स्वस्थ परंपरा मानी जानी चाहिए। जब तक प्रत्याशी तय नहीं होता, कोई भी दावेदारी कर सकता है। हां, इतना जरूर है कि प्रत्याशी फाइनल हो जाने के बाद सभी लोग उसके लिए कार्य में जुट जाएंगे।
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