Rajya Sabha Election: श्याम जाजू की खुलेगी लॉटरी, या लगेगा विजय बहुगुणा का नंबर
राज्यसभा के लिए भजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जाजू को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का भी नंबर लग सकता है।
देहरादून, विकास धूलिया। उत्तराखंड में आगामी नवंबर में रिक्त होने जा रही राज्यसभा की एक सीट के लिए भाजपा में जोर आजमाइश शुरू हो गई है। विधानसभा का गणित पूरी तरह भाजपा के माकूल होने के कारण पार्टी के कई दिग्गजों की निगाहें इस सीट पर लगी हुई हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू को इस सीट के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का भी नंबर लग सकता है, बशर्ते, पार्टी किसी स्थानीय नेता को ही राज्यसभा भेजने की रणनीति अमल में लाए।
उत्तराखंड के हिस्से राज्यसभा की कुल तीन सीटें हैं। इनमें से दो फिलहाल कांग्रेस और एक भाजपा के पास है। कांग्रेस से सिने अभिनेता राज बब्बर और प्रदीप टम्टा राज्यसभा में हैं, जबकि भाजपा से पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी। राज बब्बर वर्ष 2015 में कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य मनोरमा डोबरियाल शर्मा के निधन के कारण रिक्त हुई सीट के उप चुनाव में जीत दर्ज कर राज्यसभा पहुंचे थे। मनोरमा डोबरियाल शर्मा नवंबर 2014 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुई थी।
राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष होता है, लिहाजा इस सीट पर उपचुनाव जीते राज बब्बर का कार्यकाल नवंबर 2020 में पूरा हो जाएगा। मौजूदा विधानसभा में भाजपा के पास तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत है। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक हैं। इस गणित के मुताबिक भाजपा आसानी से राज्यसभा चुनाव जीतने की स्थिति में है। यही वजह है कि कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं की नजरें इस सीट पर टिकी हुई हैं। इनमें भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी श्याम जाजू और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का नाम सबसे ऊपर है। केंद्रीय संगठन से जुड़े होने के नाते दावा जाजू का ज्यादा मजबूत समझा जा रहा है। हालांकि, विजय बहुगुणा की दावेदारी भी पुख्ता है।
उत्तराखंड से अक्सर भाजपा और कांग्रेस, स्थानीय के साथ ही पार्टी के अन्य राज्यों के वरिष्ठ नेताओं को भी राज्यसभा भेजती रही हैं। अगर पार्टी किसी स्थानीय नेता को मौका देती है तो इस स्थिति में विजय बहुगुणा उसकी पहली पसंद हो सकते हैं। गौरतलब है कि बहुगुणा की मार्च 2016 में कांग्रेस की टूट में सबसे अहम भूमिका रही थी। तब वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे, तो माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें लोकसभा या राज्यसभा भेज सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने स्वयं वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। भाजपा ने उनके पुत्र सौरभ बहुगुणा को टिकट दिया, जो अब विधायक हैं।
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का कहना है कि विजय बहुगुणा को पिछले चार साल में लोकसभा या राज्यसभा जाने का मौका नहीं मिल पाया। इन दोनों वरिष्ठ नेताओं के अलावा भाजपा के हरियाणा के प्रदेश संगठन मंत्री सुरेश भट्ट का नाम भी दावेदारों में शुमार किया जा रहा है। भट्ट उत्तराखंड के ही मूल निवासी हैं। 'राज्यसभा चुनाव के लिए अभी वक्त है, लेकिन इसे लेकर मंथन का दौर प्रारंभ हो गया है। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर ही कोई निर्णय लेगा। राष्ट्रीय नेतृत्व का जो भी फैसला होगा, वह सभी को स्वीकार होगा।
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