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    Uttarakhand: 2026 में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक पहुंच जाएगी रेल, जानिए अब तक कितना हुआ काम

    Updated: Sat, 09 Mar 2024 01:30 PM (IST)

    Uttarakhand वर्ष 2026 में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल पहुंच जाएगी। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक कुल 125 किमी लंबी ब्राड गेज रेल लाइन में 104 किमी भाग विभिन्न 17 सुरंग के भीतर से होकर गुजरेगा। परियोजना की मुख्य सुरंगों के साथ आपात स्थिति के लिए निकास सुरंगों तथा इन दोनों सुरंगों को जोड़ने के लिए क्रॉस पैसेज का निर्माण भी किया जा रहा है।

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    देवप्रयाग में इस तरह चल रहा है रेल परियोजना का निर्माण कार्य। साभार आरवीएनएल

    जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। राष्ट्रीय एवं सामरिक महत्व की बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर सुरंगों की खोदाई और अन्य निर्माण कार्य वर्ष 2025 के दिसंबर माह तक पूरे हो जाएंगे। परियोजना की कार्य प्रगति उम्मीद के मुताबिक रही तो वर्ष 2026 में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल पहुंच जाएगी।

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    शुक्रवार को रेल विकास निगम के ऋषिकेश कार्यालय में मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार यादव ने बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की कार्य प्रगति मीडिया के साथ साझा की। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक कुल 125 किमी लंबी ब्राड गेज रेल लाइन में 104 किमी भाग विभिन्न 17 सुरंग के भीतर से होकर गुजरेगा।

    213.4 किमी है सुरंगों की कुल लंबाई

    परियोजना की मुख्य सुरंगों के साथ आपात स्थिति के लिए निकास सुरंगों तथा इन दोनों सुरंगों को जोड़ने के लिए क्रॉस पैसेज तथा निकास सुरंगों को नेशनल हाईवे से जोड़ने के लिए एडिट सुरंगों का निर्माण भी किया जा रहा है। रेल परियोजना में सभी तरह की सुरंगों की कुल लंबाई 213.4 किमी है। अब तक परियोजना के 213.4 किमी में से 153.6 किमी (73 प्रतिशत) सुरंगों की खोदाई का कार्य पूरा हो चुका है। इसके साथ ही निर्मित हो चुकी सुरंगों में 20 किमी तक अंतिम कंक्रीट अस्तर का कार्य भी किया जा चुका है।

    16 में से 4 पुलों का हुआ निर्माण

    परियोजना पर बनने वाले कुल 16 प्रमुख पुलों में से चार का निर्माण कार्य पूर्ण कर दिया गया है। श्रीनगर, गौचर तथा कालेश्वर (सिवाई) में रेलवे स्टेशन को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए मोटर पुलों का निर्माण कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है।

    प्रगति पर है काम

    उप महाप्रबंधक सिविल ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत आने वाले देवप्रयाग-पौड़ी मोटर मार्ग 14 किमी तथा कीर्तिनगर से जनासू तक 10 किमी मोटर मार्ग के डामरीकरण का कार्य भी कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विगत वर्षों में कोविड की दो घातक लहरों के अलावा विषम भौगोलिक परिस्थितियों तथा जगह-जगह बदलती भूगर्भीय संरचना के कारण परियोजना की प्रगति पर विपरीत असर पड़ा। बावजूद इसके निर्माण कार्य अपने लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है, जो निश्चित ही दिसंबर 2025 तक पूर्ण कर लिया जाएगा।

    अंतिम चरण में है टेंडर की प्रक्रिया

    ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि ब्राड गेज रेल लाइन के लिए भी टेंडर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। टेंडर प्रक्रिया के बाद शीघ्र ही रेल लाइन बिछाने का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा। जिसके बाद यह परियोजना रेल गाड़ियों के संचालन के लिए तैयार हो जाएगी।

    सीएसआर में किए जा रहे 1364.92 लाख के कार्य

    मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने बताया कि परियोजना के निर्माण के अलावा आरवीएनएल ने इस वर्ष कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत 1364.92 लाख के कार्य स्वीकृत किए हैं। जिनमें टिहरी में मधुमक्खी पालन के लिए 232 लाख, रुद्रप्रयाग में निराश्रित गाय व बैलों के आश्रय को 20 लाख, जीआइसी श्रीनगर के लिए 6.38 लाख, केदारनाथ धाम को 1066 लाख, ड्रग एब्यूज के लिए 20 लाख, स्कूलों में सुरक्षा की दृष्टि से मरम्मत को 12.54 लाख तथा रुद्रप्रयाग में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को आठ लाख के कार्य स्वीकृत किए हैं।

    परियोजना से होने वाली क्षति के लिए दिया जा रहा मुआवजा

    मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार यादव ने बताया कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच रेल परियोजना के निर्माण के कारण भूगर्भीय हलचल से कुछ गांवों में भवनों, रास्तों तथा सड़कों की क्षति पहुंची है। ऐसे गांवों में जिला प्रशासन की ओर से सर्वे कराकर क्षति का मुआवजा आरवीएनएल की ओर से दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ स्थानों पर जल स्रोत सूखने की बात भी सामने आई है, जिसके अस्थायी समाधान के अलावा स्थायी समाधान के लिए भी योजना बनाई जा रही है। पूरी परियोजना में जिलाधिकारियों के माध्यम से शिकायतों का निस्तारण किया जा रहा है।

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