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    ... जब रात 1 बजे अपने संसदीय क्षेत्र में दौरा करने निकल गए थे पीएम मोदी, CM धामी ने शेयर की 'माय मोदी स्टोरी'

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 07:07 PM (IST)

    उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर माय मोदी स्टोरी साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे वाराणसी में देर रात तक विकास कार्यों का निरीक्षण करने के बाद भी प्रधानमंत्री सुबह पूरी ऊर्जा के साथ बैठक में शामिल हुए। धामी ने PM के अनुशासन समर्पण और राष्ट्रप्रेम की प्रशंसा करते हुए इसे सच्चा नेतृत्व बताया।

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    CM धामी ने शेयर की माय मोदी स्टोरी (File Photo)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिवस 17 सितंबर को है, इस दिन को खास बनाने के लिए भाजपा संगठन 17 से 2 अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा मना रहा है। जिसमें स्वच्छता से लेकर रक्तदान शिविर तक का आयोजन किया जाएगा।

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    इसी कड़ी में संगठन के बड़े नेता माय मोदी स्टोरी साझा कर रहे हैं, जिसमें वह प्रधानमंत्री की देशसेवा के प्रति श्रद्धा को लेकर खुद से जुड़े किस्से बता रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी ऐसी ही एक माय मोदी स्टोरी साझा की है।

    अपने एक्स हैंडल (पहले ट्विटर) पर उन्होंने एक वीडियो साझा करते हुए बताया कि कैसे प्रधानमंत्री की मेहनत देख वह हैरान भी हुए और प्रेरणा भी ली। उन्होंने बताया कि मुझे आदरणीय प्रधानमंत्री जी की कार्यशैली को करीब से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उनके साथ बिताया हर क्षण अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रप्रेम का नया पाठ सिखाता है। वाराणसी का एक किस्सा शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि ऐसा ही एक पल वाराणसी में मेरे दिल पर गहरी छाप छोड़ गया।

    बकौल धामी, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक उस रात 1 बजे समाप्त हुई। सभी थके हुए थे, तभी प्रधानमंत्री जी मुस्कुराते हुए बोले - “अभी एक ज़रूरी काम बाकी है।”हम सभी एक-दूसरे को देखने लगे - इतनी रात को, अब और क्या? उन्होंने सहज भाव से कहा, “मेरे लोकसभा क्षेत्र में दिन में निरीक्षण करने से लोगों को असुविधा होती है। इसलिए मैं रात में ही विकास कार्य देखने निकलूंगा।”

    उन्होंने बताया कि और फिर रात के सन्नाटे में, जब पूरा शहर सो रहा था तब प्रधानमंत्री जी सड़कों पर थे। एक-एक परियोजना का जायज़ा लेते हुए, हर विवरण पर ध्यान देते हुए। समय बीता… 3 बजे… फिर 4 बज गए। तब जाकर वे अपने कक्ष में लौटे। लेकिन यही कहानी का सबसे अद्भुत पल है, अगली सुबह 9 बजे, बैठक शुरू होते ही वे सामने थे - पूरी ऊर्जा, वही तेज़ नज़र, वही अडिग एकाग्रता। मानो उन्होंने रात में नींद नहीं, बल्कि देश की सेवा से ऊर्जा पाई हो। उन्हें देखकर हम सबके मन में बस एक ही विचार उठा "यही है सच्चा नेतृत्व।" वो जो उपदेश नहीं देता, उदाहरण बनकर जीता है। उनका जीवन सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व अनुशासन, प्रतिबद्धता और राष्ट्रसेवा का नाम है।

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