पदोन्नति ठुकराना शिक्षकों को पड़ेगा महंगा, दोबारा नहीं बन पाएंगे प्राचार्य
पदोन्नति ठुकराना अब शिक्षकों को महंगा पड़ेगा। ऐसा करने वाले शिक्षकों को भविष्य में पदोन्नति से हाथ धोना पड़ सकता है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राजकीय डिग्री कॉलेज में प्राचार्य पद पर पदोन्नति ठुकराना अब शिक्षकों को महंगा पड़ेगा। ऐसा करने वाले शिक्षकों को भविष्य में पदोन्नति से हाथ धोना पड़ सकता है। वहीं, पदोन्नति पर रोक लगने की वजह से कॉलेजों में प्राचार्यों के खाली पड़े पदों पर वरिष्ठता के आधार पर प्रभारी के रूप में तैनाती करने पर भी सरकार विचार कर रही है।
राज्य सरकार ने बीते दिनों सरकारी डिग्री कॉलेजों में प्राचार्य पदों पर प्रभारी की नियुक्ति की थी। कई प्रभारी प्राचार्यों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। दरअसल, पदोन्नति का मसला कोर्ट में विचाराधीन है। इस वजह से फिलवक्त पदोन्नति पर रोक लगी हुई है। ऐसे में डिग्री कॉलेजों में प्राचार्यों के खाली पड़े पदों पर प्रभारी प्राचार्यों की तैनाती की गई। इनमें से कई प्राचार्यों ने नई तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया। इससे उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत खफा हैं।
उन्होंने कहा कि भविष्य में प्राचार्य पदों पर पदोन्नति ठुकराने पर डिग्री शिक्षकों को दोबारा पदोन्नति का लाभ नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही पदोन्नति ठुकराने के बारे में संबंधित शिक्षक को लिखित में उच्च शिक्षा विभाग को सूचित करना होगा। हालांकि उच्च शिक्षा महकमे की नियमावली में भी इस संबंध में प्रावधान है।
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डॉ. धन सिंह रावत ने ये भी कहा कि पदोन्नति नहीं लेने पर वरिष्ठता सूची में शामिल अन्य शिक्षकों को लाभ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभाग को कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। उधर, विभाग की ओर से डिग्री कॉलेजों में प्राचार्य पदों पर प्रभारी प्राचार्यों की तैनाती करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। कोशिश की जा रही है कि डिग्री कॉलेज बगैर मुखिया न रहने पाएं।
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