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    आपदा में लापता व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाण पत्र को प्रक्रिया निर्धारित

    By Ritika KumariEdited By:
    Updated: Mon, 22 Feb 2021 09:55 PM (IST)

    प्रदेश सरकार ने चमोली में आई आपदा में लापता व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए प्रक्रिया निर्धारित कर दी है। इसके लिए लापता व्यक्तियों को तीन श्रेणी में बांटा किया गया है। पहली श्रेणी में आपदा प्रभावित स्थान के स्थायी निवासी शामिल होंगे।

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    चमोली में आई आपदा में लापता व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए प्रक्रिया निर्धारित कर दी है।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून।  प्रदेश सरकार ने चमोली में आई आपदा में लापता व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए प्रक्रिया निर्धारित कर दी है। इसके लिए लापता व्यक्तियों को तीन श्रेणी में बांटा किया गया है। पहली श्रेणी में आपदा प्रभावित स्थान के स्थायी निवासी, दूसरी श्रेणी में उत्तराखंड के अन्य जिलों के निवासी और तीसरी श्रेणी में अन्य राज्यों के पर्यटक व ऐसे व्यक्तियों को रखा गया है, जो आपदा के समय आपदा प्रभावित स्थान पर उपस्थित थे। 

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    चमोली में आई आपदा में अभी तक 134 लोग लापता चल रहे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य के भी लापता होने की आशंका जताई गई है। नियमानुसार लापता व्यक्ति के सात साल तक न मिलने के बाद ही मृत माना जाता है। हालांकि, आपदा के दौरान इस नियम में केंद्र की अनुमति के बाद परिवर्तन संभव है। इसी क्रम में प्रदेश सरकार ने इसे लेकर केंद्र को नियमों में शिथिलता प्रदान करने का अनुरोध किया था। केंद्र की स्वीकृति के बाद अब राज्य सरकार ने लापता व्यक्तियों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया जारी कर दी है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि स्थानीय लापता व्यक्ति के संबंध में उनके निकट संबंधी अथवा उत्तराधिकारी द्वारा लापता होने एवं मृत्यु के अंदेशे को लेकर शपथ पत्र व प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) पुलिस स्टेशन को दी जाएगी। यह प्रथम सूचना रिपोर्ट, पुलिस स्टेशन की रिपोर्ट सहित लापता व्यक्ति के परिचय के रूप में राशन कार्ड, परिवार रजिस्टर अथवा बैंक पासबुक की प्रति के साथ प्रभावित क्षेत्र के अभिहित अधिकारी (एसडीएम)को भेजी जाएगी, जो मामले की विस्तृत जांच करेगा और इसके बाद मृत्यु की अस्थायी उपधारणा का आदेश जारी करेगा। इसके आधार पर लापता व्यक्तियों के संबंध में 30 दिन के भीतर दावे व आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। निर्धारित अवधि में दावे व आपत्तियां प्राप्त न होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा। दावे व आपत्तियां आने पर इनकी अपील वरिष्ठ अधिकारी (जिलाधिकारी अथवा उपजिलाधिकारी) के समक्ष की जा सकेगी, जो अपील को निस्तारित करते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने अथवा अस्वीकार करने के संबंध में निर्णय लेंगे। दूसरे जिलों के लापता व्यक्ति के संबंध में भी यही प्रक्रिया लागू होगी। अंतर यह होगा कि इस मामले में एफआइआर आपदा घटित होने से 15 दिन के भीतर हो गई हो। देरी से रिपोर्ट दर्ज होने पर इसके कारणों का उल्लेख करना होगा। इसमें लापता व्यक्ति के संबंधित जिले के अभिहित अधिकारी जांच करेंगे। लापता व्यक्ति का प्रभावित क्षेत्र में सात फरवरी से पूर्व की यात्रा करने अथवा प्रभावित क्षेत्र में रहना जरूरी होगा। जांच अधिकारी यह आख्या प्रभावित क्षेत्र के अभिहित अधिकारी को भेजेगा। इस जांच के आधार पर प्रभावित क्षेत्र के अभिहित अधिकारी लापता व्यक्तियों के संबंध में देहरादून प्रकोष्ठ द्वारा रखी गई सूचना के आधार पर फिर से जांच करेंगे। जांच में गवाहों के कथन, मोबाइल डाटा, अंतिम काल और राहत शिविरों के अभिलेखों की भी जांच की जाएगी। इसके बाद आपत्ति और दावे आमंत्रित किए जाएंगे। इसके 30 दिन बाद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। 

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    दूसरे राज्यों के निवासी के संबंध में स्थानीय राज्य के जांच अधिकारी मामले की जांच उसी मानक के अंतर्गत करेंगे, जिस तरह उत्तराखंड में होगी। इसके बाद वह अपनी रिपोर्ट प्रभावित क्षेत्र के अभिहित अधिकारी को सौंपेंगे। जांच अधिकारी इस जांच के आधार पर एक जांच और करेगा और फिर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करेंगे। 

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