पूरी फीस वसूली से बाज नहीं आ रहे निजी स्कूल, सरकार और विभाग के आदेशों की कर रहे नाफरमानी
दून में निजी स्कूल मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। अगर सरकार अभिभावकों को राहत देने के लिए कोई नियम-कानून बनाती भी है तो निजी स्कूल उनकी नाफरमानी कर अपनी जेब भरने से बाज नहीं आते हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून में निजी स्कूल मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। अगर सरकार अभिभावकों को राहत देने के लिए कोई नियम-कानून बनाती भी है तो स्कूल उनकी नाफरमानी कर अपनी जेब भरने से बाज नहीं आते। शासन और शिक्षा विभाग की ओर से कई बार आदेश जारी होने के बाद भी निजी स्कूल बंद होने पर ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान भी पूरी फीस देने का दबाव अभिभावकों पर बना रहे हैं। अभिभावक और छात्र स्कूलों के इस रवैये से परेशान हैं।
निजी स्कूलों पर कोई भी नियम लागू करना सरकार या शिक्षा विभाग के लिए मानो नामुमकिन है। एक रोज पहले ही शिक्षा महानिदेशक विनय शंकर पांडेय ने भी इस संबंध में आदेश जारी किए थे। सरकार और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी नियम बना कर लागू करवाने के निर्देश तो दे देती है, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। पिछले साल कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल बंद होने और अभिभावक की समस्या को देखते हुए उच्च न्यायालय और सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान केवल ट्यूशन फीस वसूलने के निर्देश दिए थे।
हालांकि, नवंबर महीने में बोर्ड और फरवरी में कक्षा छह से ऊपर सभी के लिए स्कूल खुलने पर अन्य फीस वसूलने की छूट दे दी गई। पिछला सत्र खत्म होने पर कई निजी स्कूलों ने फीस जमा नहीं कर सके अभिभावकों के बच्चों के परिणाम हो रोक दिए। कई बच्चों को ऑनलाइन कक्षा से बाहर करने के मामले भी सामने आए। इस वर्ष दोबारा करीब तीन महीने से स्कूल बंद हैं और प्राथमिक कक्षाओं के स्कूल पिछले साल मार्च से ही बंद हैं। लेकिन निजी स्कूल हर कक्षा के छात्रों और उनके अभिभावकों पर पूरी फीस जमा करने को लगातार दबाव बना रहे हैं। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित अभिभावक भी स्कूलों की बात मानने को मजबूर हैं।
अभिभावकों की शिकायत
नेहरू कॉलोनी निवासी वीरेंद्र ने बताया कि उनका बच्चा डिफेंस कॉलोनी स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ रहा है। हर महीने करीब 3500 रुपए ट्यूशन फीस जमा करने को कहा जा रहा है। इसके अलावा करीब 10 हजार रुपए सालाना शुल्क और अन्य शुल्क जमा करने को दबाव बनाया जा रहा है। विभाग के आदेशों का हवाला देकर भी स्कूल अन्य शुल्क लेने पर तुला है। पथरियाबाग निवासी विनीता ने बताया कि उनका बच्चा कारगी चौक के समीप एक निजी स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ता है। पिछले साल से उसका स्कूल नहीं खुला, लेकिन तब भी उनसे एनुअल चार्ज वसूला जा रहा है, खेल और वार्षिक उत्सव की फीस अलग।
अभिभावक एकता समिति के अध्यक्ष लव चौधरी ने बताया कि हर दिन निजी स्कूलों में फीस वसूली से जुड़ी शिकायत लेकर अभिभावक आते हैं। शिक्षा विभाग को शिकायतों से अवगत भी करवाया जाता है, लेकिन शिक्षा विभाग नोटिस देकर इतिश्री कर देता है। विभाग जबतक ऐसे स्कूलों पर सख्त कार्रवाई नहीं करेगा स्थिति में सुधार आना मुश्किल है।
मुख्य शिक्षाधिकारी आशा रानी पैन्युली ने बताया कि शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान केवल ट्यूशन फीस लेने की छूट दी है। इसके अलावा अगर किसी मद में फीस वसूली गई तो संबंधित स्कूल पर नियमानुसार कार्रवाई होगी, जो अभिभावक यह फीस देने में भी समर्थ नहीं, उन्हें स्कूल के प्रधानाचार्य के नाम अपनी समस्या बताते हुए पत्र लिखना होगा। ऐसे अभिभावकों को स्कूल फीस जमा करने के लिए अतिरिक्त समय देंगे। अभिभावकों को लिखत में पुख्ता सबूतों के साथ शिकायत करनी होगी। लिखित शिकायत मिले बिना किसी स्कूल पर कार्रवाई अमल में लाना संभव नहीं।

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