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सिल्ट ने थामी टरबाइनों की रफ्तार, उपभोक्ताओं पर बिजली कटौती की मार

उत्तराखंड में बारिश ने बिजली उत्पादन पर भी असर डाला है। नदियों में गाद (सिल्ट) बढ़ने से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है। वहीं, उपभोक्ताओं को बिजली कटौती की मार झेलनी पड़ रही है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 08:53 PM (IST)
सिल्ट ने थामी टरबाइनों की रफ्तार, उपभोक्ताओं पर बिजली कटौती की मार

देहरादून, [जेएनएन]: बारिश के चलते नदियों में गाद (सिल्ट) बढ़ने से बिजली उत्पादन भी प्रभावित होने लगा है। वहीं, बिजली की जमकर हो रही कटौती से उपभोक्ताओं की परेशानी भी बढ़ गई है। 

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देहरादून के पछवादून स्थित दो परियोजनाओं में उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया। उत्तरकाशी स्थित मनेरी भाली-प्रथम में 14 घंटे और मनेरी भाली-द्वितीय में 13 घंटे उत्पादन ठप रहा। अलकनंदा पर निर्मित श्रीनगर जल विद्युत परियोजना में तीन घंटे उत्पादन प्रभावित रहा। जबकि, ऋषिकेश स्थित चीला पावर हाउस में चौथे दिन भी उत्पादन शुरू नहीं हो पाया। तकनीकी कारणों से यह परियोजना ठप पड़ी हुई है। 

बारिश के कारण इनदिनों में नदियों में सिल्ट की मात्रा कई गुना बढ़ गई है, इसकी वजह से टरबाइनों की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है। कुछ परियोजनाओं में उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया है, जबकि कुछ में नाममात्र की बिजली उत्पादित हो पा रही है। 

मनेरी भाली प्रथम और द्वितीय परियोजना में पिछले कुछ घंटों के अंतराल में लगभग 5000 मेगावाट उत्पादन प्रभावित हुआ है। सोमवार सुबह तड़के साढ़े तीन बजे मनरी भाली प्रथम परियोजना के बैराज में सिल्ट की मात्रा 2300 पार्टिकल प्रति मिलियन (पीपीएम) पहुंच गई थी। जिसके कारण जल विद्युत निगम को शाम साढ़े पांच बजे तक यहां उत्पादन बंद रखना पड़ा। इसकी उत्पादन क्षमता 90 मेगावाट है। 

मनेरी भाली द्वितीय परियोजना में गत सुबह चार बजे से शाम पांच बजे तक विद्युत उत्पादन बंद रखा गया। निगम के उप महाप्रबंधक हर प्रसाद गुप्ता के अनुसार 304 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना के जोशियाड़ा बैराज में सिल्ट की मात्रा 3800 पार्टिकल पर मिलियन (पीपीएम) पर पहुंच गई थी। 

श्रीनगर जल विद्युत परियोजना में सुबह लगभग तीन घंटे विद्युत उत्पादन ठप रहा। पावर हाउस की सभी चार यूनिटें ज्यादा मात्रा में सिल्ट आने के कारण बंद रहीं। एएचपीसी कंपनी के महाप्रबन्धक संतोष रेड्डी ने बताया कि 330 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना की तीन यूनिटों से उत्पादन शुरू कर दिया गया है, एक यूनिट अभी बंद है। 

इधर, देहरादून में यमुना व टौंस नदियों में डिस्चार्ज बढऩे के बाद गाद आने से पछवादून स्थित 51 मेगावाट क्षमता के ढालीपुर व 33 मेगावाट क्षमता के ढकरानी पावर हाउस में दोपहर एक बजे से बिजली उत्पादन ठप पड़ा है। डाकपत्थर बैराज से फ्लशिंग की जा रही है। 

विद्युत उत्पादन शुरू करने के लिए गाद की मात्रा कम होने का इंतजार किया रहा है। यहां अन्य तीन पावर हाउस कुल्हाल, छिबरौ व खोदरी में उत्पादन सुचारु है। 

चीला चार दिन से ठप 

144 मेगावाट क्षमता की चीला जल विद्युत परियोजना में चौथे दिन भी उत्पादन शुरू नहीं हो पाया। शुक्रवार दोपहर तकनीकी कारणों से यहां पावर ाहउस में पानी भर जाने से टरबाइनें डूब गई थीं। अभी पावर हाउस में सफाई का काम जारी है। उत्पादन शुरू होने में अभी कुछ दिन और लगने की संभावना है।

बिजली कटौती से नहीं मिल रही निजात

लोगों ने सोचा था कि बिंदाल टावर लगने के बाद बिजली कटौती की समस्या से निजात मिल जाएगी, मगर ऐसा नहीं हो सका। सोमवार को भी जोगीवाला, बालावाला, पटेलनगर, चकराता रोड, सुभाष रोड, ईसी रोड, डालनवाला, रिंग रोड, कौलागढ़ रोड समेत कई अन्य क्षेत्रों में एक से तीन घंटे तक बिजली गुल रही। 

सुबह से रात तक कई क्षेत्रों में आधे से एक घंटे तक की बिजली कटौती की गई। किसी किसी क्षेत्र में दो से तीन बार भी बिजली गुल रही। इस दौरान लोग परेशान होते रहे। बालावाला, ईसी रोड समेत कई क्षेत्रों में लो-वॉल्टेज की समस्या भी बनी रही। यूपीसीएल का दावा था कि सोमवार से बिजली कटौती नहीं की जाएगी, लेकिन बत्ती गुल होती रही। 

आमजन को कोई जानकारी नहीं 

विभाग रोजाना हो रही बिजली कटौती की जानकारी आम लोगों को नहीं दे रहा है। इससे लोगों को पता नहीं चल पा रहा है कि कब बिजली जाएगी तो आएगी कब। लोगों की शिकायत है कि जब वे कार्यालय में जानकारी लेने के लिए फोन करते हैं तो फोन भी नहीं उठाया जाता।

पेयजल आपूर्ति पर भी असर

बिजली कटौती का पेयजल आपूर्ति पर भी सीधा असर पड़ रहा है। बिजली जाने पर क्षेत्र के नलकूपों को नहीं चलाया जा पा रहा है। इससे लोगों को पानी के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। सोमवार को भी शहर के कई इलाकों में लोगों को पानी के लिए दिक्कत उठानी पड़ी।

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