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    हाईटेक बिजली व्यवस्था को करना होगा इंतजार, भूमिगत होंगी लाइनें

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 28 Jun 2018 08:59 PM (IST)

    दूनवासियों को हाईटेक बिजली व्यवस्था के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। साथ ही दून में बिजली की लाइनें भूमिगत करने को सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।

    हाईटेक बिजली व्यवस्था को करना होगा इंतजार, भूमिगत होंगी लाइनें

    देहरादून, [जेएनएन]: दूनवासियों को हाईटेक बिजली व्यवस्था के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने केंद्र से समय सीमा एक बार फिर से बढ़वा ली है।

    पुनर्गठित त्वरित विद्युत विकास योजना (आरएपीडीआरपी) के तहत सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्वेजीशन सिस्टम (स्काडा) का काम पूरा करने के लिए सितंबर तक का वक्त मिल गया है। हालांकि, यूपीसीएल ठेकेदारों को कोई छूट नहीं देगा। ठेकेदारों पर जुलाई तक काम पूरा करने का दबाव बरकरार है। 

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    दरअसल, केंद्र की योजना आरएपीडीआरपी को 31 मार्च 2016 तक पूरा करना था। लेकिन, तब तक 40 फीसद से भी ज्यादा काम शेष था और यूपीसीएल ने केंद्र से समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी। इसे स्वीकार करते हुए 31 मार्च 2017 तक का वक्त दिया था। 

    हालांकि, इस समयावधि के बीतने के बाद स्काडा समेत कई काम शेष थे। योजना की वित्तीय क्लोजिंग के नाम पर कुछ समय मिला और काफी काम निपटाए गए। लेकिन, स्काडा का काफी काम अभी भी बाकी है। ऐसे काम करेगा स्काडा स्काडा सिस्टम के तहत फीडर में उपकरण लगाए गए हैं। 

    इससे बिजली व्यवस्था में आने वाले हर व्यवधान की जानकारी कंट्रोल रूम को तुरंत मिल जाएगी। अगर किसी फीडर में फाल्ट आएगा तो दूसरे फीडर से तत्काल संबंधित क्षेत्र में बिजली आपूर्ति चालू हो जाएगी। साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि फीडर के कौन से हिस्से में फाल्ट आया है। 

    अगर बिजली बंद करने की जरूरत पड़ती है तो पूरा फीडर बंद नहीं करना पड़ेगा। कंट्रोल रूम से सिर्फ उक्त हिस्से को छोड़कर फीडर चालू किया जा सकेगा। इसके बाद संबंधित जेई को सूचित कर दिया जाएगा कि कहां पर फाल्ट है। स्काडा से जुड़े 21 बिजली घर स्काडा सिस्टम का कार्य करीब तीन साल पहले शुरू हुआ था। तब 17 सब स्टेशन इसमें शामिल थे। 

    यह योजना सिर्फ देहरादून शहर यानी नगर निगम क्षेत्र के लिए थी। नगर निगम सीमा विस्तार के बाद इसमें ग्रामीण खंड के अजबपुर सब स्टेशन से जुड़े दो फीडर डिफेंस कॉलोनी और एमडीडीए को भी शामिल किया है। साथ ही शहरी क्षेत्र में चार बिजली घर और बन गए हैं। कुल 21 बिजली घर इससे जोड़े हैं।

    47 मिलियन यूनिट के पार पहुंची बिजली मांग

    बिजली मांग इस बार एक के बाद एक नया रिकॉर्ड बना रही है। मंगलवार को बिजली मांग अब तक की सर्वाधिक 47.56 मिलियन यूनिट (एमयू) रही। हालांकि राहत की बात ये है कि इसके बावजूद तमाम स्रोतों से बिजली की उपलब्धता सरप्लस रही। 

    उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने करीब पांच एमयू बिजली पंजाब को भी एडवांस बैंकिंग के करार के तहत दी। इस बार बिजली मांग मई से नए रिकॉर्ड स्थापित कर रही है। सोमवार को ही सर्वाधिक बिजली मांग 46.84 मिलियन यूनिट (एमयू) रही थी। यह रिकॉर्ड भी मंगलवार को धराशायी हो गया। 

    जबकि, पिछले साल अधिकतम 43.76 मिलियन यूनिट मांग का रिकॉर्ड बना था। यूपीसीएल के मुख्य अभियंता एवं प्रवक्ता एके सिंह ने बताया कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज में बिजली के दाम कम हो गए हैं। 

    अब अधिकतम दरें पांच रुपये प्रतियूनिट से कम हैं। साथ ही पिछले सप्ताह के मुकाबले जल विद्युत परियोजनाओं से भी उत्पादन दो से तीन एमयू बढ़ा है। ऐसे में बिजली मांग पूरी करने के साथ एडवांस बैंकिंग में भी कोई दिक्कत नहीं रही। 

    कई दिनों से हो रही थी अघोषित कटौती 

    बढ़ती बिजली मांग, बाजार में बढ़े बिजली के दाम और एडवांस बैंकिंग की बाध्यता के चलते पिछले कई दिनों से अघोषित कटौती हो रही थी। सोमवार को मांग के सापेक्ष सरप्लस बिजली की उपलब्धता थी, लेकिन बैंकिंग के चलते करीब डेढ़ एमयू ही कमी रही। 

    कहां से कितनी बिजली मिली 

    यूजेवीएनएल, 17.34 

    एमयू गैस परियोजना, 6.66 एमयू 

    सोलर, 0.38 एमयू 

    केंद्रीय पूल, 15.62 एमयू 

    इंडियन एनर्जी एक्सचेंज, 8.43 एमयू 

    रॉयल्टी, 1.69 एमयू 

    कुल मांग, 47.56 एमयू

    भूमिगत लाइन को सहमति 

    एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के अफसरों के साथ बैठक में दून के मुख्य मार्गो पर सभी बिजली लाइनें भूमिगत करने को सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। साथ ही एडीबी ने फेज-2 में पूरे दून की लाइनों को भूमिगत करने के साथ छोटी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण को भी पैसा देने की बता कही है। 

    लेकिन, श्रीनगर-काशीपुर 400 केवी लाइन निर्माण को लेकर एडीबी ने स्पष्ट कर दिया है कि वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही स्वीकृति दी जाएगी। बुधवार को एडीबी के साउथ ईस्ट एशिया के निदेशक प्रियंथा दून पहुंचे। 

    पहले उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) और पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) मुख्यालय में बैठक की। इसके बाद शासन में सचिव ऊर्जा राधिका झा और सचिव वित्त अमित नेगी के साथ बैठक हुई। 

    एडीबी निदेशक ने भूमिगत लाइन के प्रस्ताव पर कहा कि गूगल मैप के माध्यम से सोशल इकॉनोमिक इंपेक्ट को देखा जाए। साथ ही कार्ययोजना इस हिसाब से तैयार हो, जिससे अगले 15-20 साल लोड बढ़ने की स्थिति में कोई फर्क न पड़े। साथ ही काम इस तरह से हो कि एक स्मार्ट व्यवस्था बन सके। 

    फेज-1 का काम शुरू होने के बाद शहर की सभी लाइनें भूमिगत करने का प्रस्ताव भेजा जाए। श्रीनगर-काशीपुर 400 केवी लाइन निर्माण पर सचिव ऊर्जा ने पिटकुल के प्रबंध निदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी को मिशन मोड पर काम करने के निर्देश दिए। 

    कहा कि वन विभाग से जरूरी स्वीकृति के लिए एक अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाए और रोजाना निगरानी हो। क्योंकि, केंद्र सरकार की इकोनॉमिक अफेयर्स कमेटी भी साफ कर चुकी है कि ऐसी स्थिति न बने कि पैसा मिल जाए और जरूरी स्वीकृतियां न मिलने के कारण काम शुरू ही न हो। 

    दोनों परियोजनाओं के लिए एडीबी से 80 फीसद धनराशि अनुदान के रूप में मिलेगी और 20 फीसद धनराशि सरकार को खर्च करनी होगी। इस पर एडीबी निदेशक की सचिव वित्त अमित नेगी से बात हुई। सचिव वित्त ने कहा कि इस संबंध में बजट में प्रावधान किया जाएगा। 

    बैठक में यूपीसीएल के निदेशक परियोजना एमके जैन, निदेशक परिचालन अतुल अग्रवाल, यूजेवीएनएल के निदेशक परियोजना संदीप सिंघल आदि मौजूद रहे।

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