Updated: Sun, 01 Dec 2024 04:19 PM (IST)
Administrators in District Panchayats उत्तराखंड में जिला पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। भाजपा ने इस फैसले को ...और पढ़ें
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। Administrators in District Panchayats: हरिद्वार को छोड़कर राज्य के शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कब होंगे, यह तो भविष्य के गर्त में छिपा है, लेकिन जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्ष को प्रशासक की जिम्मेदारी सौंपने के निर्णय से राजनीतिक घमासान भी तेज हो चला है। भाजपा ने इस निर्णय को पंचायतीराज एक्ट में निहित प्रविधान और जनप्रतिनिधियों की भावनाओं के अनुरूप बताया है।
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वहीं कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए कहा कि इस निर्णय से लोकतंत्र पर भरोसा करने वालों की धारणा को आघात पहुंचा है। पंचायतीराज एक्ट में प्रविधान है कि यदि किसी कारणवश त्रिस्तरीय पंचायतों में समय पर चुनाव नहीं हो पाते हैं तो उनमें अधिकतम छह माह के प्रशासक नियुक्त किए जा सकते हैं। बताया गया कि एक्ट में प्रशासक को परिभाषित नहीं किया गया है।
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अलबत्ता, जिला पंचायत के लिए विशेष प्रविधान है कि किसी व्यक्ति को सरकार प्रशासक नियुक्त कर सकती है। संभवतया इसी आधार पर जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है। यद्यपि, इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो चली है।
कहा जा रहा है कि जब जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्षों को ही प्रशासक की जिम्मेदारी दी जा सकती है तो प्रधानों व क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के मामले में ऐसा क्यों नहीं। ऐसे एक नहीं अनेक विषय पंचायतों को लेकर उठाए जा रहे हैं।
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जिला पंचायतों की संख्या 13
असल में जिला पंचायतों की स्थिति देखें तो राज्य में इनकी संख्या 13 है। हरिद्वार जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर भाजपा काबिज है। शेष 12 जिलों में से नौ में अध्यक्ष भाजपा के हैं।
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शेष जिलों की बात करें तो इनमें से चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी के पति पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके अलावा उत्तरकाशी में जिला पंचायत अध्यक्ष पद निर्दलीय जीते दीपक बिजल्वाण बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अल्मोड़ा में जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेस से हैं।
पंचायत प्रतिनिधि मांग कर रहे थे कि उन्हें प्रशासक बनाया जाए। पंचायतीराज एक्ट में जिला पंचायत अध्यक्षों के लिए इसका प्रविधान है और इसी के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है। हम तो चाहते थे कि ब्लाक प्रमुख व ग्राम प्रधानों के मामले में भी ऐसा किया जाए, लेकिन एक्ट में इसका प्रविधान नहीं था। सरकार एक्ट से बाहर नहीं जा सकती थी। जहां तक कांग्रेस के आरोप की बात है तो एक्ट में ये प्रविधान कांग्रेस के कार्यकाल में हुए थे। कांग्रेस इस मामले में दोहरी नीति अपना रही है। - महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा
प्रदेश सरकार ने नई परंपरा डाल दी है। सरकार की नीयत में खोट है। पंचायत चुनाव के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। निकाय चुनाव में भी सरकार असमंजस की स्थिति पैदा कर रही है और अब पंचायतों में भी ऐसा ही किया जा रहा है। लोकतंत्र पर विश्वास करने वालोंं की धारणा पर यह निर्णय आघात करने वाला है। सरकार को सोचना चाहिए कि वह कई जिला पंचायत अध्यक्षों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है और उन्हें निलंबित तक किया गया। - मथुरा दत्त जोशी, उपाध्यक्ष संगठन, प्रदेश कांग्रेस कमेटी
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