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    शकूर के हत्यारोपितों की तलाश में तीन राज्यों में दबिश, कई राज खुलने बाकी

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sun, 01 Sep 2019 07:15 AM (IST)

    शकूर हत्याकांड मामले में पुलिस उत्तराखंड दिल्ली और केरल में डेरा डाले हुए है। साथ ही पुलिस की दबिश जारी है।

    शकूर के हत्यारोपितों की तलाश में तीन राज्यों में दबिश, कई राज खुलने बाकी

    देहरादून, जेएनएन। क्रिप्टो करेंसी की आभासी दुनिया के बेताज बादशाह अब्दुल शकूर के कत्ल के साथ न सिर्फ उसकी सल्तनत रेत के ढेर की तरह बिखर गई, बल्कि उसके जरिए निवेश कर करोड़ों-अरबों कमाने का सपना देख रहे दक्षिण भारत के हजारों निवेशकों के भी सपने चकनाचूर हो गए। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में है कि शकूर क्रिप्टो करेंसी के कारोबार में कैसे आया और कैसे इतनी ऊंचाई पर पहुंच गया। वह कहीं अंडरवर्ल्ड या फिर विदेशी सरजमीं से क्रिप्टो करेंसी का संचालन करने वाले गैंग से तो नहीं जुड़ा था।

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    इसका पता लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस शकूर और उसके दोस्तों के ई-मेल से लेकर वॉट्सअप चैटिंग और बैंक अकाउंट के ट्रांजेक्शन तक की तह में जाने में जुटी है। फिलहाल कई राज का खुलासा तब होगा, जब फरार चल रहे शकूर के कोर ग्रुप के तीन सदस्यों समेत पांच आरोपितों की गिरफ्तारी होगी। सूत्रों की मानें तो पुलिस उत्तराखंड, दिल्ली और केरल में डेरा डाले हुए है और दबिश जारी है।

    केरल निवासी अब्दुल शकूर 485 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी का मालिक था। यह बात उसके ग्रुप के करीब दस दोस्तों को पता थी। दो साल पहले शकूर ने अकाउंट हैक होने की बात फैलाई, तो जिन लोगों ने उसके जरिए क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर रखा था, वह रकम वापस लेने का दबाव बनाने लगे थे। इस पर शकूर भूमिगत हो गया। उसके दोस्तों को मालूम था कि शकूर को बिजनेस में घाटा तो हुआ है, लेकिन अब भी उसके पास करीब 485 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी है। यही उसकी जान का दुश्मन बना। 

    क्रिप्टो करेंसी का पासवर्ड जानने के लिए दोस्त उसे घुमाने के बहाने देहरादून लेकर आए। यहां पासवर्ड जानने के लिए उसे इतनी भयंकर यातनाएं दीं कि शकूर उन्हें बर्दाश्त नहीं कर सका और उसकी मौत हो गई। शकूर की मौत से उसके दोस्तों को भी तगड़ा झटका लगा, क्योंकि शकूर के मर जाने से क्रिप्टो करेंसी का पासवर्ड भी उसी के साथ खत्म हो गया, जिसका पता वह शायद ही लगा सकें। पता लगाने का कोई रास्ता हो भी तो शकूर के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार करने वाले पांच दोस्त सलाखों के पीछे हैं और पांच की तलाश में पुलिस उत्तराखंड से लेकर दिल्ली और केरल तक में दबिश दे रही है। 

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    कौन था शकूर

    शकूर तीन-चार साल से क्रिप्टो करेंसी में लोगों से निवेश कराता था। इसके लिए कोर ग्रुप बना रखा था। कोर ग्रुप में रिहाब, अरशद, आसिफ व मुनीफ शामिल थे। कोर गु्रप के सदस्यों ने भी अपनी टीम बना रखी थी। इस टीम में आशिक, सुफेल, आफताब, फारिस ममनून, अरविंद सी व आसिफ शामिल थे। यह टीम क्रिप्टो करेंसी में निवेश के लिए बिचौलिए का काम करती थी। आशिक शकूर का बचपन का दोस्त था। शुरुआती दिनों में सब ठीक चलता रहा और क्रिप्टो करेंसी में हजारों लोगों से निवेश कराकर शकूर 24 साल की उम्र में ही साइबर बिजनेसमैन बन गया। 

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    यह आरोपित हुए गिरफ्तार

    फारिस ममनून पुत्र अब्दुल्ला अबुलन निवासी शबाना मंजिल करूवंबरम मंजीरी मल्लपुरम केरल, अरविंद सी पुत्र रविचंद्रन निवासी चेन्निक कठहोडी मंजीरी मल्लपुरम, आसिफ पुत्र शौकत अली पी व व आफताब मोहम्मद पुत्र सादिक निवासी पलाई पुथनकलइथिल मंजीरी, सुफेल मुख्तार पुत्र मो. अली निवासी पुथईकलम पलपत्ता केरल।

    यह सभी अभी फरार

    आशिक निवासी निल्लीपुरम, अरशद निवासी वेंगरा, यासीन, रिहाब व मुनीफ निवासी मंजीरी मल्लपुरम केरल

    पीएम में मिले थे 11 गहरे घाव

    पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शकूर के शरीर पर 11 तरह की चोटों के निशान मिले थे। पुलिस को प्रेमनगर में मांडूवाला स्थित कमरे की तलाशी में खून से सना चाकू, पेचकस और खून से सने कपड़े बरामद हुए हैं, वहीं कई अधजली सिगरेट भी मिली हैं। माना जा रहा है कि कभी पेचकस घोंपकर तो कभी चाकू से कलाई काट कर तो कभी सिगरेट से जलाकर शकूर को यातनाएं दी गई थीं।

    एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि अब्दुल शकूर हत्याकांड के फरार आरोपितों की तलाश में टीमें संभावित स्थलों पर दबिश दे रही हैं। शकूर के साथ उसके दोस्तों की ई-मेल, लेकर वॉट्सअप चैटिंग और बैंक अकाउंट की डिटेल तक को खंगाला जा रहा है।

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