पीएमजीएसवाई के तहत सड़क बनाने में प्रदेश की रफ्तार सुस्त, पढ़िए पूरी खबर
पीएमजीएसवाई के तहत उत्तराखंड में सड़कों के निर्माण की स्थिति ठीक नहीं है। राज्य स्तरीय बीस सूत्रीय कार्यक्रम और क्रियान्वयन समिति की बैठक में इस पर चिंता जताई गई।
By Edited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 03:29 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत प्रदेश में सड़कों के निर्माण की स्थिति ठीक नहीं है। सड़कों के मानक के अनुसार बनने की धीमी प्रगति के कारण टिहरी जिले को सी और रुद्रप्रयाग, चंपावत और नैनीताल को डी श्रेणी में रखा गया है। राज्य स्तरीय बीस सूत्रीय कार्यक्रम और क्रियान्वयन समिति की बैठक में इस पर चिंता जताई गई और निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए।
मंगलवार को बीस सूत्रीय कार्यक्रम और क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष नरेश बंसल की अध्यक्षता में बीस सूत्री कार्यक्रम की राष्ट्रीय रैंकिंग की प्रगति की समीक्षा की गई। बताया गया कि इस वर्ष राष्ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन के तहत दिए गए लक्ष्यों में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई। इसका कारण स्वयं सहायता समूहों का न बन पाना और केंद्र से लक्ष्य के अनुरूप धनराशि का न मिलना बताया गया। पीएमजीएसवाई के संबंध में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में कच्चे व पक्के मार्गों को 2019 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य था।
इनमें टेंडर आदि में विलंब होने और मार्ग वन अधिनियम के अंतर्गत आने के कारण अपेक्षाकृत उपलब्धि हासिल नहीं हो पाई। ऐसे में निर्णय लिया गया कि लक्ष्य संशोधन के लिए ठोस औचित्यपूर्ण प्रस्ताव केंद्र को भेजे जाएंगे। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) में रुद्रप्रयाग, नैनीताल और हरिद्वार जिलों में प्रगति काफी कम पाई गई। बताया गया कि अब इस योजना के स्थान पर जल जीवन मिशन की गाइड लाइन जारी होने वाली है, इसके तहत हर घर में नल लगाकर पानी पहुंचाए जाने की तैयारी है।
प्रदेश ने 50078 घरलू कनेक्शन का लक्ष्य प्रस्तावित किया है। बैठक में निर्देश दिए गए कि आगामी बैठकों में अधिकारी सभी सूचनाओं के साथ उपस्थित होंगे। बैठक में मेजर योगेंद्र यादव अपर सचिव नियोजन सुशील कुमार, निदेशक बीस सूत्रीय कार्यक्रम गीतांजलि शर्मा गोयल समेत विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
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