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    सत्ता के गलियारे से : फ्रंटफुट पर त्रिवेंद्र, ताबड़तोड़ बैटिंग

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 12 Oct 2020 01:22 PM (IST)

    प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा स्वच्छता को लेकर मुख्यमंत्री की सराहना की। इसके बाद तो त्रिवेंद्र पूरी तरह फॉर्म में आ गए। कोरोना से रोजगार गंवा घर वापस लौट ...और पढ़ें

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    प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा स्वच्छता को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सराहना की।

    देहरादून, विकास धूलिया। कहते हैं कि बड़े-बुजुर्ग पीठ थपथपाएं तो उत्साह पैदा होता है, प्रेरणा मिलती है। ऐसा ही कुछ सूबे में दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा स्वच्छता को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सराहना की। इसके बाद तो त्रिवेंद्र पूरी तरह फॉर्म में आ गए। कोरोना के कारण रोजगार गंवा घर वापस लौटे लाखों लोगों के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार लांच की, तो कुंभ की तैयारियों के सिलसिले में 26 वीं बैठक भी कर डाली। राज्य में दो अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट विकसित करने का रोडमैप तैयार किया। इसके बाद पंचायतों को विकास योजनाओं के लिए 62 करोड़ बांट दिए और निकल गए राज्य के दौरे पर। हालांकि कहने वाले यह भी कह रहे हैं कि दरअसल विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, लिहाजा मुखियाजी ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। अब बात जो भी हो, लेकिन इतना जरूर है कि त्रिवेंद्र की ताबड़तोड़ बैटिंग से विपक्ष भी भौंचक सा है।

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    हसरतें फिर लेने लगी अंगड़ाई

    कोविड के कारण सात महीने पहले टले मंत्रिमंडल विस्तार के अब आकार लेने की संभावना देख सत्तासीन भाजपा के विधायकों की हसरतें फिर अंगड़ाई लेने लगी हैं। फरवरी में हाईकमान ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को इसके लिए ग्रीन सिगनल दे दिया था, लेकिन इसके तुरंत बाद कोरोना ने जो कहर ढहाया, उसने मुखियाजी के कदम थाम लिए। पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण में कमी और रिकवरी रेट में बढ़ोतरी नजर आ रही है, तो सत्ता के गलियारों में फिर चर्चा चल निकली है। मुखियाजी स्वयं छह महीनों में कई दफा इस बात को कह चुके हैं कि उनकी टीम में नए चेहरे शामिल किए जाएंगे। अब कुछ दिनों बाद नवरात्र आरंभ होने जा रहे हैं, तो मंत्री पद के तलबगारों की खुशियां छिपाए नहीं छिप रही। नाम न उजागर करने की बात पर दावा कर रहे हैं कि बस इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। बधाई हो भावी मंत्रियों।

    पहले हुई लड़ाई, फिर भाई-भाई

    तू अनाड़ी, मैं खिलाड़ी, कुछ ऐसा ही नजर आया तीन दिन पहले कुंभनगरी में। संतों की बैठक में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, जो स्थानीय विधायक भी हैं, के साथ कांग्रेस नेता सतपाल ब्रह्मचारी की भिड़ंत ने मीडिया में सुखियां बटोरी। हुआ कुछ यूं कि बैठक हो रही थी गंगा में प्रदूषण रोकने के उपायों पर। गंगा की स्वच्छता सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी कड़ी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आश्रमों को नोटिस देकर एसटीपी लगाने को कहा, तो इसकी प्रतिक्रिया होनी ही थी। बैठक में मंत्री कौशिक सरकार का पक्ष रखने गए थे। जैसा होता ही है, उन्होंने तमाम समस्याओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार को दोषी करार दिया। यह कांग्रेस नेता सतपाल ब्रह्मचारी को नागवार गुजरा। नतीजतन, बैठक में खूब गरमागरमी हुई। मामला बिगड़ता देख बीचबचाव किया गया। यह बात दीगर है कि बाद में कौशिक ने ब्रह्मचारी को छोटा भाई बता मामला मौके पर ही सुलटा दिया।

    कमाल है, नौकरशाही इतनी बेबस

    सूबे में नौकरशाही की मनमानी के प्रति मंत्रियों-विधायकों का रोष तो पिछले 20 सालों के दौरान अकसर सार्वजनिक मंचों पर नजर आता रहा है, लेकिन शायद ऐसा पहली बार हुआ कि एक मंत्री के सामने नौकरशाही बेबस दिख रही है। एक या दो नहीं, आधा दर्जन से ज्यादा टॉप ब्यूरोक्रेट मंत्री के सामने समर्पण कर चुके हैं। मंत्री कौन हैं, जानना चाहेंगे न, ये हैं महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य। विभागीय निदेशक, जो अपर सचिव भी हैं, से इनके विवाद ने खूब चर्चा बटोरी। तूल पकडऩे पर मुख्यमंत्री को जांच बिठानी पड़ी। अपर मुख्य सचिव को जांच का जिम्मा दिया गया, जिसका नतीजा अभी नहीं आया। इस बीच मंत्री के सचिव ने महकमा बदलवा लिया। मजेदार बात यह कि फेरबदल में जिम्मेदारी उन्हें दी गई, जिनके पास विवाद की जांच है। अब उन्होंने भी मुख्यमंत्री दरबार में दस्तक देकर इसमें असमर्थता जता दी है।

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