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    Coronavirus: दून शहर को खतरे में डाल रहे एहतियात न बरतने वाले लोग

    By Bhanu Prakash SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 09 Jul 2020 09:08 AM (IST)

    दून में जिस तरह से लोग बेपरवाह होकर बिना मास्क पहने शारीरिक नियमों को धता बताकर बाजार में घूम रहे हैं उससे कोरोना संक्रमण की चुनौती कई गुना बढ़ सकती है।

    Coronavirus: दून शहर को खतरे में डाल रहे एहतियात न बरतने वाले लोग

    देहरादून, जेएनएन। लॉकडाउन हटाकर शुरू किए गए अनलॉक का ये मतलब नहीं कि कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो गया है। बेशक रिकवरी रेट ऊपर चढ़ा है, मगर नए मामले अब भी आ रहे हैं। जिस तरह से लोग बेपरवाह होकर, बिना मास्क पहने शारीरिक नियमों को धता बताकर बाजार में घूम रहे हैं, उससे कोरोना संक्रमण की चुनौती कई गुना बढ़ सकती है। 

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इस बात पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं कि अनलॉक में लोग नियमों की उतनी परवाह नहीं कर रहे, जितनी लॉकडाउन में कर रहे थे। एहतियात न बरतने वाले लोग खुद के साथ पूरे शहर के जीवन को खतरे में डालने का काम कर रहे हैं। दून में बाजार का हाल देखकर यह नहीं लगता कि कोरोना का संक्रमण अभी जारी है। किसी भी भीड़भाड़ वाले स्थान पर नजर पड़ते ही दिख जाता है कि लोग एहतियात की बातों को भूलते जा रहे हैं। 

    यहां तक कि वाहनों में भी यात्री संख्या का ख्याल नहीं रखा जा रहा। पुलिस की सख्ती कम हुई तो लोग अपनी जिम्मेदारी भूलने लगे हैं। यहां तक कि सरकारी कार्यालयों में भी या तो लोग मास्क नहीं पहन रहे या फिर उसे सिर्फ होंठों तक पर पहना जा रहा है। कार्यालयों में सहकर्मी शारीरिक दूरी के नियमों का भी उचित पालन नहीं कर रहे। 

    रेस्तरांओं को रात आठ बजे की जगह नौ बजे तक खुलने की छूट क्या मिली कि लोग साढ़े नौ बजे तक बाहर निकल रहे हैं और देर रात तक सड़कों पर घूम रहे हैं। बाजार में दकानें आठ बजे के बाद भी खुली मिल रही हैं। मोहल्लों में तो आलम और भी खराब है। झुंड में लोग मोहल्लों में घूम रहे हैं और छोटे बच्चों तक की सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा जा रहा। दूसरी तरफ जिन अस्पतालों में नियमित ओपीडी चल रही है, वहां तो कई दफा आठ-दस लोग सटकर बैठने लगे हैं।

    मसूरी में कंटेनमेंट जोन नए खतरे की आहट!

    मसूरी क्षेत्र के भट्ठा गांव में बनाया गया कंटेनमेंट जोन संबंधित क्षेत्र का पहला पाबंदी क्षेत्र भी है। अनलॉक के साथ मसूरी में पर्यटकों की आमद बढ़ी है, साथ ही कोरोना का खतरा भी। बताया जा रहा है कि जिन चार लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है, उनमें एक होटल कर्मी भी है। यह भी पता चला है कि जिस क्षेत्र से यात्र कर वह व्यक्ति लौटा है, वहां किसी में भी कोरोना का संक्रमण नहीं पाया गया। 

    ऐसे में अंदेशा है कि स्थानीय स्तर पर ही उसे यह संक्रमण मिला है। हालांकि, इस बात की अभी पूरी तरह पुष्टि नहीं हो पाई है। इतना जरूर है कि कोरोना के नए मामले आने के बाद प्रशासन व नगर पालिका मसूरी प्रशासन अधिक सतर्क हो गया है। 

    इस तरह की जानकारी भी मिल रही है कि रेड जोन से आने वाले कई लोग बिना रेड जोन वाले क्षेत्रों से आवागमन का रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। ऐसे तमाम लोग मसूरी के होटलों में क्वारंटाइन भी हैं। फिलहाल नए संक्रमण के बाद अधिकारी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग व वृहद स्तर पर सैंपलिंग अभियान में जुट गए हैं।

    उठाए जा रहे हैं सख्त कदम 

    देहरादून के जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव के अनुसार, जो लोग कोरोना संक्रमण को लेकर नियमों का मखौल उड़ा रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इसके साथ ही जिन प्रतिष्ठानों, कार्यालय प्रमुखों व वाहन चालकों पर नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी है, उनके खिलाफ भी अब चालानी व अन्य तरह की कार्रवाई की जाएगी। जिस भी प्रतिष्ठान में ऐसी अनदेखी बार-बार की जा रही उसे अनिश्चितकाल के लिए सील भी किया जा सकता है।

    मास्क न पहनने पर 218 के चालान

    प्रशासन ने दूसरे दिन भी मास्क न पहनने वालों के खिलाफ अभियान चलाया। दून में जहां संक्रमण के सबसे अधिक मामले हैं, वहां भी लोग सार्वजनिक स्थानों पर बिना मास्क के घूम रहे हैं। उपजिलाधिकारी सदर गोपाल राम बिनवाल के नेतृत्व में अभियान चलाया गया। दून में सर्वाधिक 73 लोग बिना मास्क के मिले। इन सभी का सौ-सौ रुपये का चालान किया गया। इसी तरह डोईवाला में 41, विकासनगर में 34, मसूरी में 32, कालसी में 20 व ऋषिकेश में 18 लोगों के चालान किए गए।

    अस्पतालों में मरीज-तीमारदार के बीच नहीं दिख रही दूरी

    लॉकडाउन खुलने के बाद सहूलियत क्या मिली, शारीरिक दूरी के नियम की धज्जियां उड़ने लगीं। सरकारी व निजी अस्पताल, सभी जगह स्थिति एक सी है। ऐसा लग रहा है कि कोरोना का खौफ खत्म हो गया है। जबकि अस्पतालों में संक्रमण का ज्यादा खतरा है। शहर के दूसरे प्रमुख सरकारी अस्पताल, कोरोनेशन में मरीज-तीमारदार सटकर खड़े दिखे।

    कोरोना की दस्तक होने के साथ ही सरकार ने एडवाइजरी जारी की थी कि वार्डो में भीड़ कम की जाए। मरीजों से मिलने वालों की संख्या सीमित रखी जाए। पर निर्देश कागजों तक सिमटे हैं। वार्डो में भी मरीज से मिलने लोग बेरोकटोक जा रहे हैं। गांधी अस्पताल की स्थिति भी कमोबेश कुछ इसी तरह की है। बेशक कुछ चिकित्सकों के कक्ष के बाहर मरीज एक निश्चित दूरी बनाकर खड़े हैं, पर कुछ जगह नियम तार-तार दिखे।

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    निजी अस्पताल भी इसी तरह की लापरवाही दिखा रहे हैं। कुछ अस्पताल संचालक अंदर बेहतर व्यवस्था का दावा कर रहे हैं, लेकिन व्यवस्था कोविड-19 प्रोटोकाल के खिलाफ मिली। सबसे जरूरी मानक शारीरिक दूरी का पालन कहीं नहीं दिख रहा है।

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