Move to Jagran APP

Coronavirus: प्लाज्मा थेरेपी की ओर एक कदम और बढ़ा दून मेडिकल कॉलेज

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में भी जल्द ही कोरोना पीड़ित मरीजों का इलाज प्लाज्मा थेरेपी से होगा। इसके लिए कॉलेज प्रशासन ने थेरेपी की अहम कड़ी एफेरेसिस मशीन का ऑर्डर दे दिया।

By Edited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 10:52 AM (IST)
Coronavirus: प्लाज्मा थेरेपी की ओर एक कदम और बढ़ा दून मेडिकल कॉलेज
Coronavirus: प्लाज्मा थेरेपी की ओर एक कदम और बढ़ा दून मेडिकल कॉलेज

देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में भी जल्द ही कोरोना पीड़ित मरीजों का इलाज प्लाज्मा थेरेपी से किया जाएगा। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने प्लाज्मा थेरेपी की अहम कड़ी एफेरेसिस मशीन (रक्त से प्लाज्मा अलग करने वाली मशीन) का ऑर्डर दे दिया है। कुछ दिनों में यह मशीन अस्पताल में स्थापित कर दी जाएगी।

prime article banner

दुनियाभर के शोधकर्ताओं ने प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना के इलाज के लिए उपयोगी बताया है। भारत में भी कई राज्य इस पर काम कर रहे हैं। जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। अब दून मेडिकल कॉलेज भी कोरोना के मरीजों पर यह थेरेपी अपनाने की तैयारी में है।

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना के अनुसार इस थेरेपी में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीज का प्लाज्मा कोरोना पीड़ित व्यक्ति को चढ़ाया जाता है। अभी तक जहा भी प्लाज्मा थेरेपी पर काम हुआ है, वहा मरीजों की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है। इसी को देखते हुए अस्पताल के लिए एफेरेसिस मशीन मंगवाई गई है। मशीन आते ही आइसीएमआर से दिशा-निर्देश प्राप्त कर मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। गंभीर मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। 

यह है प्लाज्मा थेरेपी 

इस प्रक्रिया में किसी बीमारी से ठीक हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा को स्टोर करके उसी बीमारी से संक्रमित मरीजों के शरीर में डाला जाता है। प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी (जो किसी वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में बनता है) के असर से मरीज के शरीर में मौजूद वायरस कमजोर होने लगता है। जिससे मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। 

यह भी पढ़ें: Coronavirus: कोविड सेंटर से पांच लोग डिस्चार्ज, मरीजों की संख्या शून्य Dehradun News

ऐसे काम करती है एफरेसिस मशीन 

प्लाज्मा डोनर के शरीर से एफरेसिस मशीन में तीन बार में रक्त भेजा जाता है। यह मशीन रक्त से प्लाज्मा अलग कर रक्त को वापस डोनर के शरीर में पहुंचा देती है। डोनर के शरीर से 500 मिली प्लाज्मा निकालकर उसे माइनस 40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर सहेजा जाता है। इसके बाद मरीज के शरीर में डाला जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.