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    'आधार' की उलझन में फंसा आमजन, सुध लेने वाला कोई नहीं

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 27 Mar 2019 07:08 PM (IST)

    आधार केंद्रों की चरमराई व्यवस्था लोगों के लिए नासूर जैसी हो गई है। आधार कार्डों में कई त्रुटियां निकल रही हैं। जिन्हें ठीक कराने के लिए उन्हें कई चक्कर काटने पड़ रह हैं।

    'आधार' की उलझन में फंसा आमजन, सुध लेने वाला कोई नहीं

    देहरादून, जेएनएन। देश के नागरिकों को आधार नंबर (यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर) के रूप में विशिष्ट पहचान देने का ऐतिहासिक कदम तो उठाया गया, लेकिन आधार केंद्रों की चरमराई व्यवस्था लोगों के लिए नासूर जैसी हो गई है। आधार कार्डों में कई त्रुटियां निकल रही हैं, जिन्हें ठीक कराने के लिए लोग डाकघर और बैंकों में बने केंद्रों के चक्कर काटकर परेशान हो रहे हैं। एक साल से कमोवेश ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। जनहित से जुड़ी इस सेवा को लेकर बैंक उदासीन हैं तो डाकघरों में लंबी लाइनों में उन्हें धक्के खाने पड़ रहे हैं। 

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    दरअसल, यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) की ओर से डाकघरों व बैंकों में आधार केंद्र बनाए गए हैं। यहां आधार कार्ड बनवाने व उनमें सुधार का काम किया जाता है। इन दो मुख्य सरकारी संस्थानों में आधार केंद्र खोलने का मुख्य मकसद यह था कि इन संस्थानों की शाखाएं हर क्षेत्र में होती हैं। इससे अधिक केंद्रों में लोगों को सेवा का लाभ मिलेगा। मगर, मार्च 2018 में सभी डाकघरों व बैंकों की शाखाओं में आधार केंद्र तो खोल दिए गए, लेकिन यहां सेवाओं की स्थिति की ओर किसी जिम्मेदार ने गौर नहीं किया। 

    पहले बात डाकघरों की करें तो देहरादून में जीपीओ में ही आधार केंद्र का भली-भांति संचालन हो रहा है। जबकि, अन्य डाकघरों में सेवा शुरू होने में चार से छह महीने तक लग गए। अब कुछ महीने जाकर डाकघरों में सेवा शुरू तो हुई, लेकिन भीड़ के कारण सभी की समस्या का समाधान संभव नहीं हो पा रहा। नतीजा, रोजाना आधे लोगों को बिना काम कराए लौटना पड़ रहा है।

    अब बैंकों की व्यवस्था पर नजर डालें तो यहां स्थिति और भी खराब है। शुरू में तो बैंकों ने आधार सेवा में रूचि ली, लेकिन समय बीतने के साथ बैंकों का इससे मोहभंग हो गया। दून की विभिन्न बैंकों की शाखाओं में करीब 35 से केंद्र खोले गए थे, लेकिन वर्तमान में 25 ही चल रहे हैं। लोग समस्याएं लेकर पहुंचते हैं तो कभी ऑपरेटर गायब होता है तो कभी कर्मी दिलचस्पी नहीं दिखाते। नतीजा, आम जनता की आधार कार्ड संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। आमजन की समस्या पर जिम्मेदार प्रशासन के अधिकारी भी आंखें मुंदे हुए हैं। 

    बैंकों के आधार केंद्रों का हाल 

    राष्ट्रीयकृत व निजी बैंकों में आधार केंद्रों के संचालन में खास दिलचस्पी नहीं ली जा रही है। लोगों की शिकायत हैं कि बैंकों में जाने पर ऑपरेटर गायब होते हैं तो शिकायत यह भी आती हैं कि बैंककर्मी लोगों को यह कहकर भी गुमराह करते हैं कि यह सेवा सिर्फ बैंक के खाताधारकों के लिए है। जबकि, नियम तो यह है कि बैंकों में कोई भी सामान्य व्यक्ति इस सेवा का लाभ ले सकता है। वहीं, कई बैंक आधार केंद्र का प्रचार भी नहीं करते हैं। यही कारण हैं कि  बैंकों के केंद्रों में लोग नजर नहीं आते। 

    डाकघर की नई व्यवस्था से भी परेशानी 

    डाकघर की नई व्यवस्था से भी लोग खासे परेशान हैं। दरअसल, पहले डाकघरों में लोगों को रोजाना 60 से 70 टोकन वितरित किए जाते थे। इन्हीं लोगों को उस दिवस पर सेवा का लाभ मिल पाता था। लेकिन, अब नई व्यवस्था में सोमवार को ही सप्ताह भर के टोकन वितरित कर दिए जा रहे हैं। सोमवार को न पहुंचने पर लोगों के पास अगले सोमवार के टोकन लेने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बच रहा है। इसमें भी जिन्हें सोमवार को टोकन मिल रहा है, उन्हें भी शनिवार तक का समय दिया जा रहा है। 

    यूआइडीएआइ नहीं कर पाया समाधान 

    दरअसल, पहले आधार कार्ड बनवाने व करेक्शन की सेवा कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) में उपलब्ध थी, लेकिन सीसएससी में लगातार अधिक शुल्क लेने की शिकायतें आने के बाद यूआइडीएआइ ने सीएससी की आधार आइडी ब्लॉक कर दी। मार्च 2018 से डाकघरों व बैंकों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ, बल्कि समस्या और बढ़ गई। 

    30 फीसद आधार केंद्र बने शोपीस 

    देहरादून ही नहीं, अन्य जिलों में भी लोग आधार कार्ड संबंधी समस्याएं लेकर भटक रहे हैं। प्रदेशभर में डाकघर व विभिन्न बैंकों की शाखाओं के कुल 177 आधार केंद्र खोले गए हैं। इनमें करीब 30 फीसद, यानि करीब 59 केंद्रों का सही से संचालन नहीं हो पा रहा है। किसी केंद्र में ऑपरेटर की कमी का हवाला दिया जा रहा है तो बैंकों के केंद्रों में आधार सेवा का प्रचार न होने के कारण लोगों की जानकारी नहीं मिल पा रही। 

    शिक्षा विभाग ने भी झाड़ा पल्ला 

    आधार कार्ड संबंधी समस्या को देखते हुए शिक्षा विभाग ने भी सरकारी स्कूलों में आधार केंद्र खोलने की बात कही थी, ताकि लोगों को राहत मिले। करीब 400 आधार केंद्र खोले जाने थे, लेकिन अधिकारियों ने भी आमजन की समस्या से मुंह फेर दिया। इस संबंध में जानकारी लेने के लिए शिक्षा महानिदेशक ज्योति यादव से भी कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो पाई। 

    सर्किल डाकघर के प्रवर अधीक्षक जीएम तनेजा ने बताया कि देहरादून समेत अन्य जिलों के डाकघरों में आधार केंद्रों का संचालन भली-भांति हो रहा है। पर्वतीय जिलों के दो-चार केंद्रों में कनेक्टिविटी के अभाव के कारण थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। 

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